गिरिडीह: जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के निदेशक (लेखा प्रशासन और स्वनियोजन) आलोक कुमार गंभीर आरोपों से घिर गए हैं. इन पर रांची के हरमू हाउसिंग कॉलोनी निवासी प्रेमजीत कुमार ने परिवाद पत्र दायर किया है. परिवाद पत्र में इन पर अपने पद का दुरुपयोग करने, परिवादी के विरुद्ध झूठी प्राथमिकी दर्ज करने, आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने जैसे आरोप लगाए गए हैं. इस मामले को लेकर झारखंड के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जांच शुरू कर दी है.
सरकार के अवर सचिव ने आलोक कुमार के खिलाफ दायर परिवाद पत्र और एसीबी द्वारा की जा रही जांच को लेकर ग्रामीण विकास विभाग प्रधान सचिव को पत्र लिखकर अग्रतर कार्रवाई करने को कहा है. जबकि ग्रामीण विकास विभाग की संयुक्त सचिव शैल प्रभा कुजूर ने गिरिडीह डीसी को पत्र लिखकर जांच करने और अग्रतर कार्रवाई करने को कहा.
31 तक जवाब दें निदेशक: इधर, गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने आलोक कुमार को पूरी वस्तुस्थिति स्पष्ट करने को कहा है. इसे लेकर उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी के कार्यालय से एक पत्र भी आलोक कुमार को प्रेषित किया गया है. पत्र के माध्यम से डीसी ने जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के निदेशक (लेखा प्रशासन और स्वनियोजन) आलोक कुमार 31 अगस्त तक जवाब देने को कहा है.
क्या है आरोप: यहां बता दें कि हरमू हाऊसिंग कॉलोनी निवासी प्रेमजीत कुमार ने परिवाद पत्र दायर किया है. पत्र में इन्होंने कहा है कि कर्मटोली रोड, आदिवासी होस्टल के पास कर्म प्लाजा बिल्डिंग के 2nd Floor में Hungry The Complete kitchen को अपनी पत्नी के 'नाम से खोले जाने, खोले गये रेस्टोरेंट को DRDA, निदेशक, गिरिडीह (आलोक कुमार वर्तमान पता- कुसुम विहार, रोड नंबर-7 मोराबादी, रांची) द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर छीन लिये जाने, आलोक कुमार द्वारा परिवादी के विरुद्ध लालपुर थाना में झूठी FIR दर्ज कराये जाने, परिवादी द्वारा उस FIR के खिलाफ आलोक कुमार के विरूद्ध FIR दर्ज कराये जाने, आय से अधिक संपति अर्जित करने का उल्लेख और कई आरोप लगाए गए हैं.
सभी आरोप झूठ की पोटली, संपत्ति माता-पिता की: इधर, इन आरोपों को आलोक कुमार ने गलत बताया है. उन्होंने बताया कि रांची में उनका जो मकान और फ्लैट है, वह उनके माता-पिता की खरीदी जमीन पर है. फ्लैट को कंवर्जन में बिल्डर ने बनाया है. लोहरदगा में जो जमीन है, वह पुस्तैनी है. रही रेस्टोरेंट की तो प्रेमजीत द्वारा उनके मकान में रेस्टोरेंट चलाया जा रहा था. इसका किराया वह नहीं दे रहे थे. किराया काफी अधिक हो गया तो उन्होंने मांग की. इस पर उनके साथ मारपीट कर उन्हें घायल कर दिया गया. घटना के बाद उन्होंने मुकदमा दर्ज करवाया. दूसरे पक्ष ने भी मुकदमा किया. उन्होंने कहा कि मुझे परेशान करने के लिए झूठा आरोप लगाकर विभाग को दिया गया है, जिसकी जांच चल रही है. यह सब सिर्फ और सिर्फ उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है. उन्होंने कहा कि अपनी संपत्ति की रिपोर्ट समय-समय पर विभाग को भी देते रहते हैं.
कम्प्यूटर ऑपरेटर ने भी बढ़ा रखी है परेशानी: यहां यह भी बता दें कि एक तरफ इस तरह के आरोपों की जांच से आलोक कुमार गुजर रहे हैं. दूसरी तरफ डीआरडीए गिरिडीह के कंप्यूटर सहायक सौरव कुमार रवानी का वायरल ऑडियो ने भी परेशान कर रखा है. इस ऑडियो में सौरव खुलेआम रिश्वत मांग रहे हैं. हालांकि इस मामले को लेकर निदेशक ने सौरव को शो कॉज किया है और कार्रवाई की बात कही है.