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ढाई साल से बंद है कबरीबाद माइंस से कोयला उत्पादन, आमोखास सभी हैं परेशान

गिरिडीह कोलियरी का कबरीबाद माइंस बंद है. माइंस के बंद रहने से कोयला का उत्पादन नहीं हो रहा है तो इसका असर कोलियरी को मिलनेवाले लक्ष्य पर भी पड़ रहा है. दूसरी तरह कोयलांचल का हर व्यक्ति परेशान है. सभी इसी उम्मीद में दिन काट रहे हैं कि माइंस शुरू हो और यहां के दिन बहुरें. बकरीबाद माइंस में कोयला उत्पादन नहीं होने से लोग परेशान

Bakrabad mines in Giridih
कबरीबाद माइंस
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Published : Jul 27, 2021, 7:03 PM IST

गिरिडीह: पिछले दो दशक से लगातार घाटे में चल रही गिरिडीह कोलियरी की दशा में सुधार होता नहीं दिख रहा है. वहीं कबरीबाद माइंस के बंद रहने से घाटा को पाटने के प्रयास को भी लगातार झटका लग रहा है. इस माइंस के बंद रहने से प्रत्यक्ष तौर पर 10 हजार से अधिक परिवार प्रभावित हो रहा है. वहीं, अप्रत्यक्ष तौर पर भी काफी संख्या में लोग प्रभावित हैं.


ये भी पढ़ें- बंद पड़े कबरीबाद माइंस से जल्द शुरू होगा उत्पादन, केंद्र ने दिया टोर, अब राज्य को देना है CTO

फांकाकशी में हैं मजदूर

कबरीबाद माइंस बन्द रहने का सबसे सीधा असर कोयला लोडिंग करनेवाले असंगठित मजदूरों, ट्रक के मालिक और ड्राइवर-खलासी पर पड़ा है. माइंस बन्द है तो कोयला का उत्पादन भी नहीं हो रहा है. उत्पादन नहीं तो रोड डिस्पैच भी नहीं है. ऐसे में मजदूरों, ट्रक मालिकों और इससे जुड़े हुए लोगों को समुचित रोजगार नहीं मिल रहा है. कई मजदूर तो रोजगार की तलाश में महानगर की ओर पलायन कर चुके हैं जबकि कई लोग पलायन करने की तैयारी में हैं. ट्रक मालिक संतोष यादव का कहना है कि दो वर्षों से 1200 वाहन (ट्रक) के मालिक बेहाल हैं. वाहन का ईएमआई भी कर्ज लेकर भरना पड़ा रहा है.

देखें पूरी खबर
टोर तो मिला सीटीओ का इंतजार

यहां बता दें कि गिरिडीह कोलियरी में दो माइंस संचालित है. एक माइंस में कोयला का उत्पादन हो रहा है लेकिन कबरीबाद माइंस में उत्पादन बाधित है. इसके पीछे टोर (टर्म्स ऑफ रेफरेंस) और सीटीओ (कंसेंट टू ऑपरेट) कारण रहा है. टोर और सीटीओ के अभाव में माइंस में उत्पादन का कार्य ढाई वर्ष से बंद है.

Bakrabad mines in Giridih
कोयला ढोता ट्रक (फाइल फोटो)
MP-MLA के प्रयास से मिला टोर

इस बार जब गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार बने तो कबरीबाद माइंस शुरू करने का प्रयास किया गया. सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी और जीएम मनोज अग्रवाल के साथ मिलकर नई रणनीति बनाकर कार्य शुरू किया गया. सांसद और विधायक दिल्ली गए यहां कोल और पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की और पूरी बात रखी गई. दूसरी तरफ जीएम मनोज की अगुवाई में सीसीएल के अधिकारी भी प्रयास में जुटे रहे. मई 2021 में टोर मिल गया. अब माइंस शुरू करने के लिए सीटीओ की दरकार है. सीटीओ जल्द मिलेगा इसका भरोसा विधायक सुदिव्य ने भी दिया है.


ये भी पढ़ें- संकट में गिरिडीह कोलियरी, सीटीओ के अभाव में कोयला उत्पादन ठप


क्या कहते हैं अधिकारी

इस मामले पर परियोजना पदाधिकारी एसके सिंह ने कहा कि पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला है जिसके कारण माइंस बंद है. अधिकारी लगातार संबंधित विभाग के संपर्क में है. पूरी कोशिश है कि जल्द से जल्द सीटीओ मिले और माइंस से कोयला का उत्पादन शुरू किया जा सके. उन्होंने बताया कि स्थानीय सांसद और विधायक ने सीटीओ के लिए पूरा भरोसा दिलाया है.

Bakrabad mines in Giridih
कोयला ढोता ट्रक (फाइल फोटो)
बहरहाल बातें जो भी हो गिरिडीह के लोगों की उम्मीदें कबरीबाद माइंस से ही टिकी है. लोगों को यह भरोसा है कि इस माइंस से कोयला का उत्पादन शुरू हो जाता है तो गिरिडीह कोलियरी पर मंडरा रहा बंदी का खतरा भी टल सकता है.
Bakrabad mines in Giridih
महाप्रबंधक कार्यालय

गिरिडीह: पिछले दो दशक से लगातार घाटे में चल रही गिरिडीह कोलियरी की दशा में सुधार होता नहीं दिख रहा है. वहीं कबरीबाद माइंस के बंद रहने से घाटा को पाटने के प्रयास को भी लगातार झटका लग रहा है. इस माइंस के बंद रहने से प्रत्यक्ष तौर पर 10 हजार से अधिक परिवार प्रभावित हो रहा है. वहीं, अप्रत्यक्ष तौर पर भी काफी संख्या में लोग प्रभावित हैं.


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फांकाकशी में हैं मजदूर

कबरीबाद माइंस बन्द रहने का सबसे सीधा असर कोयला लोडिंग करनेवाले असंगठित मजदूरों, ट्रक के मालिक और ड्राइवर-खलासी पर पड़ा है. माइंस बन्द है तो कोयला का उत्पादन भी नहीं हो रहा है. उत्पादन नहीं तो रोड डिस्पैच भी नहीं है. ऐसे में मजदूरों, ट्रक मालिकों और इससे जुड़े हुए लोगों को समुचित रोजगार नहीं मिल रहा है. कई मजदूर तो रोजगार की तलाश में महानगर की ओर पलायन कर चुके हैं जबकि कई लोग पलायन करने की तैयारी में हैं. ट्रक मालिक संतोष यादव का कहना है कि दो वर्षों से 1200 वाहन (ट्रक) के मालिक बेहाल हैं. वाहन का ईएमआई भी कर्ज लेकर भरना पड़ा रहा है.

देखें पूरी खबर
टोर तो मिला सीटीओ का इंतजार

यहां बता दें कि गिरिडीह कोलियरी में दो माइंस संचालित है. एक माइंस में कोयला का उत्पादन हो रहा है लेकिन कबरीबाद माइंस में उत्पादन बाधित है. इसके पीछे टोर (टर्म्स ऑफ रेफरेंस) और सीटीओ (कंसेंट टू ऑपरेट) कारण रहा है. टोर और सीटीओ के अभाव में माइंस में उत्पादन का कार्य ढाई वर्ष से बंद है.

Bakrabad mines in Giridih
कोयला ढोता ट्रक (फाइल फोटो)
MP-MLA के प्रयास से मिला टोर

इस बार जब गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार बने तो कबरीबाद माइंस शुरू करने का प्रयास किया गया. सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी और जीएम मनोज अग्रवाल के साथ मिलकर नई रणनीति बनाकर कार्य शुरू किया गया. सांसद और विधायक दिल्ली गए यहां कोल और पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की और पूरी बात रखी गई. दूसरी तरफ जीएम मनोज की अगुवाई में सीसीएल के अधिकारी भी प्रयास में जुटे रहे. मई 2021 में टोर मिल गया. अब माइंस शुरू करने के लिए सीटीओ की दरकार है. सीटीओ जल्द मिलेगा इसका भरोसा विधायक सुदिव्य ने भी दिया है.


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क्या कहते हैं अधिकारी

इस मामले पर परियोजना पदाधिकारी एसके सिंह ने कहा कि पर्यावरण अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला है जिसके कारण माइंस बंद है. अधिकारी लगातार संबंधित विभाग के संपर्क में है. पूरी कोशिश है कि जल्द से जल्द सीटीओ मिले और माइंस से कोयला का उत्पादन शुरू किया जा सके. उन्होंने बताया कि स्थानीय सांसद और विधायक ने सीटीओ के लिए पूरा भरोसा दिलाया है.

Bakrabad mines in Giridih
कोयला ढोता ट्रक (फाइल फोटो)
बहरहाल बातें जो भी हो गिरिडीह के लोगों की उम्मीदें कबरीबाद माइंस से ही टिकी है. लोगों को यह भरोसा है कि इस माइंस से कोयला का उत्पादन शुरू हो जाता है तो गिरिडीह कोलियरी पर मंडरा रहा बंदी का खतरा भी टल सकता है.
Bakrabad mines in Giridih
महाप्रबंधक कार्यालय
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