गिरिडीहः सड़क दुर्घटना हमेशा ही दुखद खबर लेकर आती है. दुर्घटना में आये दिन किसी ना किसी की जान चली जाती है तो कोई न कोई घायल हो जाता है. गिरिडीह में भी हर दूसरे तीसरे दिन कहीं ना कहीं सड़क दुर्घटना होती रहती है. कहा जाए तो हर साल जहां लगभग 200 लोगों की मौत होती है. वहीं 7 सौ से अधिक लोग घायल भी हो जाते हैं. जो लोग घायल होते हैं उनमें से कई लोग तो हमेशा के लिए दिव्यांग हो जाते हैं. जबकि कइयों को जिंदगी बचाने के लिए लंबी जदोजहद करनी पड़ती है. इलाज में इतना खर्च होता है कि घर की माली हालत पूरी तरह से खराब हो जाती है. वहीं बेरोजगारी की समस्या भी मुंह बाए खड़ी हो जाती है. ऐसे ही लोगों की स्थिति जानने का प्रयास ईटीवी भारत ने किया है.
केस स्टडी 01 : तीन वर्ष बेड पर पड़ा है भुनेश्वरऐसे ही पीड़ित में एक हैं 24 वर्षीय भुनेश्वर यादव. भुनेश्वर अहिल्यापुर थाना इलाके के बुधुडीह के रहनेवाले हैं. तीन वर्ष पूर्व भुनेश्वर सड़क हादसे का शिकार हुए थे. पेशे से राज मिस्त्री भुनेश्वर जब घायल हुए तो उन्हें इलाज के लिए धनबाद व बाद में रांची ले जाया गया लेकिन वे ठीक नहीं हो सके. अभी भी उनकी जिंदगी बेड में ही कट रही है.
बेचनी पड़ी जमीन
इस मामले पर भुनेश्वर के भाई सुकर यादव ने बताया कि दुर्घटना के बाद इलाज में काफी खर्च हुआ. जमीन भी बेचनी पड़ी इसके बाद भी उसका भाई ठीक नहीं हुआ है. बताया कि अभी घर के एक दर्जन लोगों का भरण पोषण उसे ही करना पड़ता है.
मदद को उठे हाथ
भुनेश्वर की दशा को देखकर बुधुडीह के ही सामाजिक कार्यकर्ता नवीन कुमार समेत अन्य युवक आगे आए हैं. युवक भुनेश्वर के इलाज को लेकर चंदा इकठ्ठा कर रहे हैं. नवीन बताते हैं कि भुनेश्वर के स्पाइनल कोड में प्रॉब्लम है इसका इलाज फिजियोथेरेपी है लेकिन उसमें बड़ा रोड़ा पीछे का जख्म है. भुनेश्वर और उसका परिवार इलाज कराने में असमर्थ है ऐसे में वह अन्य युवकों की मदद से चंदा एकत्रित कर रहे हैं ताकि भुनेश्वर का इलाज हो सके. केस स्टडी 02: एक धक्के ने परिवार को बनाया पैसे का मोहताज दूसरा मामला शहर के चिरैयाघाट का है. यहां पर 9 दिसम्बर को बाइक के धक्के से राजू गिरी नामक युवक घायल हो गया. आनन-फानन में उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया यहां पर चिकित्सकों ने उसके पैर की सर्जरी की बाद में प्लेट लगाया अभी दो सर्जरी होना बाकी है. इस दुर्घटना के बाद राजू की माली हालत काफी खराब हो गई है इलाज में स्थानीय मोहल्ला वासियों ने भी कुछ मदद की थी इसके बावजूद दो से ढाई लाख रुपया का कर्ज राजू के परिवार वालों पर हो गया है. घर वालों ने बताया कि राजू इकलौता कमाऊ सदस्य था अब वह बेड पर है और इलाज चल रहा है, ऐसे में घर की माली हालत काफी खराब हो गई है. राजू की मां धर्मशिला देवी कहना है कि अभी डॉक्टरों ने 2 साल तक राजू को बेड पर रहने को कहा है, इतने दिन घर कैसे चलेगा, राजू की दवा कहां से आएगी यह समझ में नहीं आता.इसे भी पढ़ें- विधायक विनोद सिंह ने विकास योजनाओं का किया निरीक्षण, अधूरे पड़े छात्रावास को पूरा करने की कही बात
सतर्क रहें सुरक्षित रहे
सड़क दुर्घटना को लेकर लोगों का कहना है कि तेज रफ्तार के साथ साथ नाबालिग, अप्रशिक्षित चालक द्वारा वाहन को हांकना. जर्जर वाहनों का सड़क पर चलना भी दुर्घटना का कारण है. आजसू नेता अर्जुन बैठा कहते हैं कि वाहनों के रफ्तार पर लगाम लगाने की जरूरत है.
सरकार है गंभीर
जेएमएम जिलाध्यक्ष संजय सिंह कहते हैं कि वाहन चलाने खासकर बाइक चलाने में लापरवाही के साथ साथ नियमों का अवहेलना करना दुर्घटना का अहम कारण है. घायलों का इलाज भी कराने में लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है. वैसे मुख्यमंत्री ने घायलों के इलाज के लिए कानून बनाने की बात कही है. घायलों को अस्पताल ले जाने वाले लोगों को पारितोषिक देने की घोषणा की है. इस दिशा में और भी काम करने की आवश्यकता है.
जागरूकता के साथ चलती है वाहन चेकिंग
प्रशासन का कहना है कि वाहन दुर्घटना पर रोक के लिए वाहनों की चेकिंग लगातार होती है. लोगों को हेलमेट पहनकर ही बाइक चलाने को कहा जाता है और जुर्माना भी लगाया जाता है. एसडीपीओ अनिल सिंह कहते हैं कि प्रशासन तो जागरूकता अभियान चला ही रही है. आमलोग भी अपनी सुरक्षा का ख्याल रखते हुए वाहन का परिचालन करें और नियमों का पालन करें.