बगोदर, गिरिडीह: बगोदर के शहीद विधायक महेंद्र सिंह का गांव मिसाल पेश कर रहा है. गांव में होने वाले झगड़े-फसाद के मामले 37 सालों से बगोदर थाना नहीं पहुंचा है. महेंद्र सिंह के नेतृत्व में गठित ग्राम सभा की ओर सेगांव के मामलों का निपटारा गांव में किया जाता है. इस गांव की प्रशंसा चारों ओर की जाती है, प्रशासन का भी मानना है कि इस गांव से दूसरे गांव के लोगों को सीख लेने की जरूरत है, ताकि छोटे-छोटे मामलों का निपटारा गांव में ही हो सके.
ग्राम सभा के सचिव हरेंद्र सिंह बताते हैं कि ऐसा नहीं कि गांव में छोटे-मोटे झगड़े-फसाद नहीं होते. मगर इस तरह के मामले में ग्राम सभा का दखल होता है और उसका निपटारा किया जाता है. उन्होंने बताया कि शहीद विधायक महेंद्र सिंह के नेतृत्व में 1978 में ग्राम सभा का गठन हुआ था, तब से ग्राम सभा संचालित होता आ रहा है. उन्होंने कहा कि ग्राम सभा गांव की जंगल पर भी नजर रखता है, जंगल काटने वालों पर भी ग्राम सभा की ओर से आवश्यक कार्रवाई की जाती है. इसके अलावा स्थानीय डैम पर भी ग्राम सभा का नियंत्रण है, डैम में मछली डालने और फिर उसके बेचने से जो पैसे आते हैं उसे गांव के विकास में लगाया जाता है. इसके पूर्व मछली के पैसे से गांव के बिजली उपभोक्ताओं का बिल भरा जाता था.
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महेंद्र सिंह की 16वीं शहादत दिवस
16 जनवरी 2005 को अज्ञात अपराधियों ने विधानसभा चुनाव के दौरान महेंद्र सिंह की गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी. घटना के पूर्व वो विधानसभा के दुर्गी ध्वैया में एक चुनावी कार्यक्रम में शामिल थे.
तीन बार विधायक चुने गए थे महेंद्र सिंह
शहीद महेंद्र सिंह बगोदर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक चुने गए थे. 1990 में वे पहली बार विधायक चुने गए, उसके बाद हार की मुंह नहीं देखा. 1995 और 2000 की चुनाव में भी उनकी जीत हुई थी.