गिरिडीह: कोरोना संक्रमितों की बड़ी संख्या से गिरिडीह जिले में जीवन रक्षक दवाओं की मांग बढ़ गई थी. इससे कई स्थानों से दवा नहीं मिलने की शिकायत प्रशासन को मिली थी. इससे सबक लेकर जिला प्रशासन, सामाजिक कार्यकर्ताओं और ड्रग एसोसिएशन के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से निगरानी शुरू की. इसका अच्छा नतीजा निकला और गिरिडीह जिले में दवाओं की किल्लत खत्म हो गई है. मरीजों और तीमारदारों को जरूरी सभी दवाएं समय पर मिल रहीं हैं.
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इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन और राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना या उससे जुड़े लक्षणों को देखते हुए जरूरी जीवन रक्षक दवाओं की सूची भी जारी की थी. जिन दवाओं की सूची विश्व स्वास्थ्य संगठन और राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किया गया था, उसकी जिले में मांग बढ़ गई है. इधर इन दिनों गांवों में कोरोना के साथ-साथ टायफाइड भी कहर बरपा रहा है, जिसके कारण टायफायड से बीमार लोगों को ठीक करने के लिए जरूरी दवा की खपत भी बढ़ गई है. इससे दवाओं की किल्लत हो गई था. इसी के साथ कई जगह कालाबाजारी की भी शिकायत मिली थी. इसी को लेकर जिला प्रशासन ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है. इसको लेकर डीसी राहुल कुमार सिन्हा के ओर से टीम गठित की गई है. टीम बारीकी से दवा दुकानों का निरीक्षण कर रही है, ताकि वे ब्लैक मार्केटिंग न कर सकें. इन सबके कारण गिरिडीह में जीनवरक्षक दवाओं की कमी दूर हो गई है.
क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता
सामाजिक कार्यकर्ता रामजी यादव बताते हैं कि जब कोरोना का प्रकोप बढ़ा तो कुछ दवा की कमी देखी गई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन के साथ-साथ कई सामाजिक संगठन आगे आए. प्रशासन जहां लगातार निरीक्षण करता रहा, वहीं कई संगठनों ने दवा का वितरण भी शुरू कर दिया और दवा की किल्लत भी खत्म हो गई. ड्रग एशोसिएशन के सुजीत कपिसवे का कहना है कि जिले में दवा की किल्लत नहीं है, कोरोना से संबंधित दवा के अलावा अन्य बीमारियों की दवा उपलब्ध है. दवा की उपलब्धता के लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ केमिस्ट और ड्रगिस्ट एसोसिएशन लगातार सक्रिय हैं.
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24 घंटे खुली रहती हैं दुकानें
लोगों को दवा की किल्लत नहीं झेलनी पड़े इसके लिए गिरिडीह के डीसी ने शहरी और उससे सटे इलाके की छह दवा दुकानों, प्रखंड क्षेत्र की 15 दुकानों के अलावा 9 नर्सिंग होम में संचालित दवा की दुकानों को 24 घंटे तक खुला रखने का भी आदेश दिया है.
चल रही है चेकिंग
दवा की किल्लत से किसी मरीज को परेशानी नहीं हो. इसके लिए जिला प्रशासन शुरू से ही चौकस है. आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी या अनाधिकृत उपयोग नहीं हो, इसे लेकर जहां डीसी लगातार संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं. वहीं ड्रग इंस्पेक्टर के साथ दंडाधिकारी के ओर से दवा दुकानों की चेकिंग भी की जा रही है.