गिरिडीह: जिले में शिक्षा विभाग द्वारा तय मानक को ताक पर रखते हुए बेंच डेस्क की खरीदी की गई हैं. शिक्षा विभाग ने जो नियम बनाए हैं, उसे दरकिनार किया गया है. विभाग के कनीय अभियंता और उसके बाद सहायक अभियंता द्वारा गुणवत्ता प्रमाण पत्र दिए बगैर ही आपूर्तिकर्ता को भुगतान कर दिया गया है. यह जानकारी कई स्कूलों में पहुंचने के बाद ईटीवी भारत की टीम को मिली है. पता चला है कि सभी खरीदी किसी न किसी दबाव में हुई है.
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दरअसल, गुरुवार को जिला शिक्षा अधीक्षक विनय कुमार का वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें वे उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेलाटांड में बेंच डेस्क की जांच करते दिखे थे. जांच के दौरान वे वीडियो में यह कहते दिखे कि "जेई, एई, नहीं मैं हूं हेड और मैंने जब कह दिया कि गुणवत्ता सही है तो सही है." यह जांच बेलाटांड में बगैर प्रबंधन समिति के आदेश के ही बेंच डेस्क को स्कूल भेजने और बिल का भुगतान करने के दबाव के बीच महेशलुंडी मुखिया शिवनाथ साव की आपत्ति पर हुई थी. इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. दूसरे दिन शुक्रवार को ईटीवी भारत की टीम सदर प्रखंड के कई स्कूलों में पहुंची और खरीदी की जानकारी ली.
अभियंता के सर्टिफिकेट का नहीं किया गया इंतजार: ईटीवी भारत की टीम शुक्रवार को प्राथमिक विद्यालय गंगापुर, रा उत्क्रमित मध्य विद्यालय आरक्षी केंद्र, रा नेहरू मध्य विद्यालय गिरिडीह, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बक्सीडीह और उत्क्रमित मध्य विद्यालय अकदोनी कला पहुंची. यहां पर एक बात सामान्य मिली. पता चला कि विभाग के नियमों के विपरीत कनीय अभियंता और सहायक अभियंता से गुणवत्ता संबंधित प्रमाण पत्र निर्गत किए बगैर आपूर्तिकर्ता को भुगतान कर दिया गया है. ऐसे में इन विद्यालय के सचिव सह प्रधानाध्यापक ने गोलमोल जवाब दिया.
जेई और एई जांच करने पहुंचे ही नहीं: उत्क्रमित मध्य विद्यालय आरक्षी केंद्र के प्रधानाध्यापक दिनेश राम ने कहा कि प्रबंधन समिति के निर्णय पर खरीदारी हुई है. उन्होंने यह कहा कि उनके यहां जेई और एई आए ही नहीं. इसी तरह रा नेहरू मध्य विद्यालय गिरिडीह के प्रधानाध्यापक अनंत कुमार सिन्हा ने कहा कि उनके यहां भी प्रबंधन समिति के निर्णय के बाद खरीदी हुई है. जेई आए नहीं. वहीं उत्क्रमित मध्य विद्यालय बक्सीडीह की प्रधानाध्यापक मोना ने ऑन कैमरा कुछ भी नहीं बताया. उन्होंने कहा कि खरीदी हुई और भुगतान भी हुआ है. गुणवत्ता सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था. इसी तरह का जवाब मध्य विद्यालय अकदोनी कला के प्रधानाध्यापक जितेंद्र कुमार ने भी दिया. इस दौरान जब इनसे पूछा गया कि किसी का दबाव था तो वे चुप हो गए, दबी जुबान से कहा मैं तो अदना सा शिक्षक हूं.
खुलकर बोलीं गंगापुर की शिक्षिका: दूसरी तरफ प्राथमिक विद्यालय गंगापुर की सहायक शिक्षिका सह सचिव ने कहा कि उनके यहां प्रबंधन समिति की तरफ से बेंच डेस्क खरीदी का निर्णय नहीं हुआ था. इस बीच एक दिन सीआरपी पहुंचे और कहा कि डीएसई साहब ने बेंच डेस्क भेजा है. चूंकि विभाग के आलाधिकारी का नाम लिया गया तो सामान को रखना मजबूरी थी.
बयान देने से बचते रहे जेई और एई: इधर, विभाग के सहायक अभियंता से मोबाइल पर संपर्क किया गया. उन्होंने कहा कि वे कल इस विषय पर बयान देंगे. जब इनसे पूछा गया कि क्या उनके द्वारा किसी भी विद्यालय में खरीदे गए बेंच-डेस्क की गुणवत्ता चेक करते हुए प्रमाण पत्र जारी किया गया है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि बहुत जगह जेई ने जांच किया है, शिक्षक को बता दिया गया है. अब जिला शिक्षा पदाधिकारी के सामने ही वे बात करेंगे. एई ने यह साफ नहीं कहा कि उनके द्वारा गुणवत्ता प्रमाण पत्र दिया गया है या नहीं. इसी तरह विभाग के जेई अरविंद कुमार से संपर्क किया गया. उन्होंने कहा कि वे बेंगाबाद मीटिंग में हैं और शाम को बात होगी. शाम में ईटीवी भारत के गांडेय प्रतिनिधि ने उनसे संपर्क किया. इस बार उन्होंने कहा कि मीटिंग खत्म करने के बाद बयान देंगे, लेकिन बीच मीटिंग में ही वे निकल लिए. दूसरी तरफ डीएसई ने शुक्रवार को फिर कहा कि उनका खरीदी से कोई लेना देना नहीं है. वे खुद जांच करेंगे.
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मुखिया ने की कार्रवाई की मांग: इधर, महेशलुंडी के मुखिया शिवनाथ साव ने इस मामले में कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि वे इस मामले की लिखित शिकायत जिलाधिकारी से करेंगे. उनकी मांग है कि गुणवत्ता के विपरीत खरीदी और भुगतान की जांच होनी चाहिए.
जिला शिक्षा पदाधिकारी का पत्र: यहां बता दें कि राज्य परियोजना कार्यालय के पत्र के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने 10 मई 2023 को एक पत्र जारी किया था. पत्र में कहा गया था कि दिनांक 16 मार्च 2023 के द्वारा जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में 935 विद्यालयों में अतिरिक्त बेंच-डेस्क के लिए राशि आवंटित की गयी है. लेकिन बेंच डेस्क की गुणवत्ता जांच करने के बाद कनीय अभियंता और सहायक कनीय अभियंता प्रमाण पत्र जारी करेंगे. जिसकी जांच के बाद ही राशि का भुतान किया जाएगा.