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गिरिडीह: अस्पताल में तड़पता रहा मरीज, ड्यूटी ऑफ की बात कह नहीं आए डॉक्टर

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Published : Aug 6, 2019, 9:52 AM IST

गिरिडीह में खराब चिक्तिसा व्यवस्था और लापरवाह प्रशासन की वजह से स्वास्थ्य सेवा दिनों दिन बिगड़ती जा रही है. सोमवार को डुमरी रेफरल अस्पताल में एक मरीज को डॉक्टर ना होने के कारण वापस लौटना पड़ा. घटना को लेकर एसडीएम को लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की गई है.

डुमरी रेफरल अस्पताल

गिरिडीह: जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सदर अस्पताल तक डॉक्टरों का अभाव और खराब व्यवस्था के कारण स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है. इस बार डुमरी रेफरल अस्पताल में ड्यूटी ऑफ होने का बात कहकर अस्पताल के डॉक्टर ने मरीज का इलाज करने से मना कर दिया. वहीं डॉक्टर के इंतजार में मरीज घंटों तक अस्पताल में पड़ा रहा.

देखें पूरी खबर

जानकारी के अनुसार, जिले के बलथरिया गांव निवासी उतीमचंद प्रसाद के बेटे राकेश प्रसाद की तबीयत बिगड़ने की वजह से डुमरी अस्पताल लाया गया था. उन्हें सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई 108 एम्बुलेंस तो मिली, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर नहीं नसीब हो पाया.

ये भी पढ़ें:- बोकारोः पिंड्राजोरा को प्रखंड का दर्जा दिलाने की मांग, नहीं तो करेंगे अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन

इस मामले को लेकर भाजपा युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार ने डुमरी के अनुमंडल पदधिकारी प्रेमलाता मुर्मू और एसडीएम को एक लिखित शिकायत की है. उन्होंने डुमरी रेफरल अस्पताल में कार्यरत डाक्टरों द्वारा मरीजों के प्रति किए जा रहे उदासीन रवैया से अवगत कराया है. वहीं, घटना को लेकर विभागीय कार्रवाई की मांग भी की है.

गिरिडीह: जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सदर अस्पताल तक डॉक्टरों का अभाव और खराब व्यवस्था के कारण स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है. इस बार डुमरी रेफरल अस्पताल में ड्यूटी ऑफ होने का बात कहकर अस्पताल के डॉक्टर ने मरीज का इलाज करने से मना कर दिया. वहीं डॉक्टर के इंतजार में मरीज घंटों तक अस्पताल में पड़ा रहा.

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जानकारी के अनुसार, जिले के बलथरिया गांव निवासी उतीमचंद प्रसाद के बेटे राकेश प्रसाद की तबीयत बिगड़ने की वजह से डुमरी अस्पताल लाया गया था. उन्हें सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई 108 एम्बुलेंस तो मिली, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर नहीं नसीब हो पाया.

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इस मामले को लेकर भाजपा युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार ने डुमरी के अनुमंडल पदधिकारी प्रेमलाता मुर्मू और एसडीएम को एक लिखित शिकायत की है. उन्होंने डुमरी रेफरल अस्पताल में कार्यरत डाक्टरों द्वारा मरीजों के प्रति किए जा रहे उदासीन रवैया से अवगत कराया है. वहीं, घटना को लेकर विभागीय कार्रवाई की मांग भी की है.

Intro:गिरिडीह/डुमरी।
स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर व्यवस्था सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है. इस बार डुमरी रेफरल अस्पताल ड्यूटी ऑफ कहकर एक चिकित्सक मरीज को देखने तक नहीं आये जबकि डॉक्टर अस्पताल परिसर में ही थे. चिकित्सक की इंतजार में मरीज आधे घण्टे तक अस्पताल में पड़ा रहा बाद में उसे बाइक के सहारे निजी क्लिनिक पहुंचाया गया.Body:एसडीओ से शिकायत

इस मामले को लेकर भाजयुमो के जिला उपाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार ने डुमरी के अनुमडलाधिकारी प्रेमलाता मुर्मू को एक लिखित शिकायत देकर कर डुमरी रेफरल अस्पताल में कार्यरत डाक्टरों द्वारा मरीजों के प्रति किये जा रहे उदासिन रवैया से अवगत करते हुए मरीजो के जीवन के साथ खेलने वाले डाक्टरों पर कारवाई करने की मांग कि है. एसडीएम को दिये गये आवेदन में लिखा है कि रात में बलथरिया निवासी उतीमचंद प्रसाद के पुत्र राकेश प्रसाद की तबीयत बिगड़ गई तबीयत बिगड़ता देख उसके परिवार वालों ने सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई 108 एम्बुलेंस कि मदद से उसे डुमरी रेफरल अस्पताल पहुंचाया. बीमार राकेश को जब अस्पताल लाया गया तो एक भी डाक्टर अस्पताल में डयुटी पर नही दिखे. पता चला की बीती रात अस्पताल में डा. जितेन्द्र सिंह की डयुटी थी लेकिन वो अपने घर चले गये थे. बीमार के परिजनों को रोते देख अस्पताल में कार्यरत कर्मी जानकी प्रसाद ने अस्पताल के कैम्पस में सभी डाक्टर का दरवाजा खतखटाया लेकिन कैम्पस में डा. मंसुर आलम ही थे. Conclusion:जब उन्हे अस्पताल में आये मरीज के इलाज के लिए अस्पताल चलने को कहा गया तो उन्होने अपनी डयुटी नही होने कि बात कह इलाज करने से साफ मना कर दिया. इसके बाद पीडि़त के परिजनो ने मुझे डाक्टर द्वारा मरीजो से किये जा रही इस तरह के रवैये कि सुचना दी. सुचना पर जब में अस्पताल पहुचा तो देखा कि मरीज की हालत खराब होती जा रही है. और उसे दुसरे अस्पताल ले जाने के लिए किसी तरह कि व्यवस्था नही थी. अस्पताल में खड़े 108 का एम्बुलेंश भी उसे दुसरे अस्पताल नही ले जा रही थी कारण पुछे जाने पर पुछे जाने पर बताया गया कि अस्पताल में मरीज का ना तो प्रथामिक उपचार चलाया गया है और ना ही उसका रेफर पेपर बनाया गया है. कहा कि इस दौरान अस्पताल में कई बोल बम जाने बाले कांवारिया भी थे कावंरियों को भी अस्पताल से बिना इलाज कराये लौटना पड़ा. जब डेढ़ बजे रात तक अस्पताल में कोई डाक्टर नही आने और उक्त मरीज की बिगडती तबीयत को देखते हुए उसे मोटर साईकिल के सहारे क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. श्री साहु ने अस्पताल में डयूटी के समय नदारद रहने और और अस्पातल कैम्पस में रहने के बाबजूद मरीज का इलाज नही करने वाले डाक्टर पर कारवाई की मांग की है. 
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