गिरिडीहः बाबा सम्राट बस दुर्घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सवालों की जद में बस के मालिक से लेकर परिवहन विभाग तक है. सवाल हाई स्पीड से लेकर स्कूटर के बीमा तक से जुड़ा है.
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सवाल बीमा कंपनी से लेकर फिटनेस व परमिट देने वाले अधिकारियों से भी जुड़ा है. सवाल आमजनों के हित से लेकर मृतकों के परिजनों के मुआवजा से जुड़ा है. इन्हीं सवालों का जवाब पिछले सात दिनों से ईटीवी भारत भी लगातार खोज रही है. इसी खोजबीन में एक अहम जानकारी हाथ लगी है. यह जानकारी बस की स्पीड से जुड़ी हुई है. दरअसल 5 अगस्त की दुर्घटना के बाद ईटीवी भारत ने परमिट में जिक्र हजारीबाग से गिरिडीह पहुंचने के लिए निर्धारित समय को लेकर सवाल उठाया था. ईटीवी भारत ने स्कूटर पर बस के परिचालन का सवाल उठाया. इसी बीच यह जानकारी मिली है कि दुर्घटनाग्रस्त बस घटना के दिन कुलगो टॉल प्लाजा से बराकर नदी तक महज 30-31 मिनट में पहुंच गई थी. जबकि कुलगो से बराकर की दूरी लगभग 35-36 किमी है.
ऊंची-नीची सड़क, घाटी व बाजार भी फिर भी हाई स्पीडः 36 किमी की दूरी 30-31 मिनट में विज्ञान के जानकार अगर इसे फार्मूले के अनुसार कागजों पर जोड़ेंगे तो एवरेज स्पीड लगभग 70 किमी प्रतिघंटे की निकलती है. लेकिन प्रैक्टिकल में ऐसा संभव नहीं है और खासकर जब हम डुमरी-गिरिडीह जैसे घुमावदार व ऊंची नीची सड़क पर परिवहन करें तो यह सड़क डुमरी से लेकर गिरिडीह तक कहीं भी सपाट नहीं है.
सड़क में भले ही गड्ढे नहीं हो लेकिन घुमाव व ऊंची-नीची काफी है. इतना ही नहीं जलेबिया घाटी भी इसी सड़क पर है. मतलब कुलगो से लेकर डुमरी चौक पहुंचने और फिर वहां से बराकर तक पहुंचने में दर्जनाधिक स्थान पर वाहन की रफ्तार को धीमा करना किसी भी ड्राइवर के लिए मजबूरी है. इस तरह की बाधा रहने के बाद भी ड्राइवर अगर 31 मिनट में लगभग 35-36 किमी की दूरी तय कर ले तो स्पीड पर सवाल उठना लाजमी है.
विज्ञान के जानकार शिक्षक सतीश जायसवाल बताते हैं कि इंजन की प्रॉपर्टी को जोड़ा जाए तो हर बार ब्रेक व कल्च के इस्तेमाल के बाद औसत स्पीड 1.34 गुणा अधिक हो जाएगी. यानि 70 किमी को 1.34 से गुणा कर दे तो स्पीड लगभग 93 किमी प्रतिंटा हो जाती है. इस जानकारी के बाद ऐसे में स्पीड गवर्नर को लेकर भी सवाल उठ रहा है. सवाल यह है कि स्पीड गवर्नर काम कर रहा था या नहीं, या फिर उसे सिर्फ शोभा के लिए लगा दिया गया था. हालांकि वाहन के मालिक राजू खान बार बार यही कह रहे हैं कि उनके वाहन में स्पीड गवर्नर था और स्पीड 80 से नीचे थी.
स्पीड 80 भी तो भी परमिट के नियम को तोड़ाः वैसे ईटीवी भारत दुर्घटनाग्रस्त वाहन को दिए परमिट में हजारीबाग से गिरिडीह तक पहुंचने के लिए तय समय पर भी सवाल उठा चुका है. फिर भी हम परिवहन विभाग के द्वारा दिए गए समय को भी मान ले तो भी बाबा सम्राट बस के चालक ने परमिट के निर्धारित समय को भी तोड़ दिया. परमिट में परिवहन विभाग ने हजारीबाग से गिरिडीह की लगभग 115 किमी दूरी तय करने के लिए 2 घंटा 15 मिनट का समय निर्धारित किया था. यानि 50 किमी प्रतिघंटा हम यदि स्पीड को 100 किमी प्रतिघंटे से कम 70-80 किमी प्रतिघंटा ही मान ले तब भी इस बस को यात्रियों की जान की परवाह किए बगैर लापरवाही से हांका जा रहा था. कुल मिलाकर कहा जाए तो बस पूरी स्पीड में थी और बराकर पुल पहुंचते पहुंचते और तेज हो गई.
आदतन स्पीड में चलती है बसः इस विषय पर कई लोगों ने, कई यात्रियों ने यह बताया कि गिरिडीह से रांची चलनेवाली ज्यादातर एसी बस पूरी स्पीड में रहती है. भीड़ भाड़ वाले इलाके में भी स्कलेटर से ड्राइवर का पांव नहीं हटता. शनिवार की रात में स्पीड से जुड़ी इस खबर का संकलन के दरमियान डुमरी के सहयोगी ने बताया कि वे दिन में अपने घर के पास थे जो आबादी वाला क्षेत्र है और वहां की सड़क भी बहुत अधिक चौड़ी नहीं है. इस दौरान रांची से गिरिडीह जा रही एसी बस गुजरी जो पूरी स्पीड में थी. ऐसे में अब भी परिवहन विभाग को सचेत होने की जरूरत है.