गिरिडीहः :जैन धर्म के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी-मधुबन आये 200 से अधिक तीर्थयात्री पिछले डेढ़ माह फंसे हुए हैं. इन यात्रियों को अब घर की चिंता सता रही है. हालांकि केंद्र के नए आदेश के बाद इन्हें जल्द घर वापसी की उम्मीद भी लग रही है.
ये यात्री महाराष्ट्र, कर्नाटक, त्रिपुरा समेत अलग-अलग राज्यों से हैं. इन यात्रियों को अब अपने घर की चिंता सता रही है. हालांकि इन यात्रियों को रहने व खाने में किसी प्रकार परेशानी न हो इसका ख्याल तलेटी तीर्थ, बीसपंथी जैसी संस्था रख रही है.
केंद्र की घोषणा से बढ़ी उम्मीद
लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों, छात्रों व सैलानियों के घर वापसी के लिए सशर्त अनुमति देने की घोषणा करने के बाद इन यात्रियों को यह उम्मीद है कि अब राज्य सरकार भी कुछ सकारात्मक कदम उठाएगी और उनकी घर वापसी हो सकेगी.
घर में मौत के बाद भी नहीं पहुंच पाए
मधुबन में फंसे तीर्थयात्रियों ने अपनी पीड़ा भी बतायी. महाराष्ट्र के बेलगाम से आये अन्ना साहेब दुग्गे ने बताया कि वे अकेले ही दर्शन के लिए मधुबन आये थे.
इस बीच 29 मार्च को गांव में उसके चिकित्सक भाई श्रीकांत सताप दुग्गे का निधन हो गया. उसे बहुत दुःख हुआ लेकिन वे अपने भाई को अंतिम बार देख नहीं सके.
इसी तरह एक यात्री मल्लपा ने बताया कि उसकी मां विद्या भी गांव में गुजर गई परन्तु वह भी नहीं जा सका. वहीं यात्रियों को लेकर पहुंचा बस चालक शरद पंडित का कहना है कि अनुमति मिलती तो वे यात्रियों को लेकर वापस चला जाता.
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इसी तरह छतीसगढ़ के एक यात्री पिछले 2 माह 4 दिनों से यहां फंसे है. यात्री बताते हैं कि उसकी नौकरी भी चली गयी है और घर वापसी नहीं हो पा रही है. इधर इन यात्रियों की सेवा कर रहे बीसपंथी संस्था के मैनेजर एएस अन्नदाते कहते हैं कि इन्हें किसी प्रकार की समस्या होने नहीं दी जा रही है.
इसी तरह तीर्थक्षेत्र कमेटी के प्रबंधक सुमन सिन्हा भी बताते हैं कि यात्रियों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. तलेटी तीर्थ के दीपक मेपानी भी कहते हैं कि जो भी यात्री मधुबन में हैं उनकी पूरी सेवा की जा रही है.