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पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को 3 साल की सजा, गिरिडीह के ब्रह्मडीहा कोल ब्लॉक आवंटन मामला

पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे
पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे
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Published : Oct 26, 2020, 11:09 AM IST

Updated : Oct 26, 2020, 5:41 PM IST

11:05 October 26

कोल ब्लॉक आवंटन मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री को सजा

रांचीः पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को गिरिडीह के ब्रह्मडीहा कोल ब्लॉक के आवंटन मामले में 3 साल की सजा मिली है. कोर्ट ने 21 वर्ष बाद इस मामले में फैसला सुनाया है. मामले में दोषी पाए गए दो अन्य अधिकारियों को भी 3 साल की जेल की सजा मिली है. वहीं कोर्ट ने फिलहाल उन्हें जमानत दे दी है.

1999 का है मामला

यह मामला 1999 में झारखंड कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितताओं से संबंधित है. जब दिलीप रे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्य मंत्री थे. यह मामला झारखंड के जिला गिरिडीह में 105.153 हेक्टेयर गैर-राष्ट्रीयकृत परित्यक्त कोयला खनन क्षेत्र के आवंटन से संबंधित है.

ब्रह्मडीहा कोयला ब्लॉक के आवंटन में घालमेल

सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि ब्रह्मडीहा कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए कोयला मंत्रालय को मई 1998 में सीटीएल ने आवेदन किया था, लेकिन कोल इंडिया लिमिटेड ने मंत्रालय को बताया कि खनन खतरनाक हो सकता है क्योंकि कोयला ब्लॉक एक परित्यक्त खान क्षेत्र था और पानी से भरा हुआ था. 23 अप्रैल 1999 को फिर से दिलीप रे के कार्यालय में फाइल भेजी गई और 12 मई 1999 को सीटीएल ने मंत्री को एक नया प्रतिनिधित्व सौंपते हुए कहा कि उनके आवेदन पर शीघ्रता से विचार किया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें- एक 'पालना' जो कह रहा है पालो 'ना'! खड़े कर रहा है इंसानियत और व्यवस्था पर गंभीर सवाल

अवैध रूप से कोयला का खनन

जब 13 मई 1999 को तत्कालीन केंद्रीय कोयला सचिव के बाद दिलीप रे के कार्यालय में फाइल आई तो इसे अतिरिक्त सचिव नित्या नंद गौतम के डेस्क पर भेजा गया. सीबीआई ने आरोप लगाया कि गौतम ने अपने पिछले अवलोकन से पूरी तरह से यू-टर्न ले लिया जिसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी ने कोयला मंत्रालय की ओर से दिशानिर्देशों में ढील देने के लिए कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए सीटीएल की सिफारिश की. कोयला मंत्रालय द्वारा 1 सितंबर 1999 को सीटीएल के पक्ष में ब्रह्मडीह कोयला ब्लॉक के आवंटन को पत्र जारी किया. यह आरोप लगाया गया था कि ब्लॉक के आवंटन के बाद, सीटीएल ने संबंधित अधिकारियों की ओर से किसी भी खदान खोलने की अनुमति के बिना भी अवैध रूप से कोयला निकालना शुरू कर दिया.

11:05 October 26

कोल ब्लॉक आवंटन मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री को सजा

रांचीः पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को गिरिडीह के ब्रह्मडीहा कोल ब्लॉक के आवंटन मामले में 3 साल की सजा मिली है. कोर्ट ने 21 वर्ष बाद इस मामले में फैसला सुनाया है. मामले में दोषी पाए गए दो अन्य अधिकारियों को भी 3 साल की जेल की सजा मिली है. वहीं कोर्ट ने फिलहाल उन्हें जमानत दे दी है.

1999 का है मामला

यह मामला 1999 में झारखंड कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितताओं से संबंधित है. जब दिलीप रे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्य मंत्री थे. यह मामला झारखंड के जिला गिरिडीह में 105.153 हेक्टेयर गैर-राष्ट्रीयकृत परित्यक्त कोयला खनन क्षेत्र के आवंटन से संबंधित है.

ब्रह्मडीहा कोयला ब्लॉक के आवंटन में घालमेल

सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि ब्रह्मडीहा कोयला ब्लॉक के आवंटन के लिए कोयला मंत्रालय को मई 1998 में सीटीएल ने आवेदन किया था, लेकिन कोल इंडिया लिमिटेड ने मंत्रालय को बताया कि खनन खतरनाक हो सकता है क्योंकि कोयला ब्लॉक एक परित्यक्त खान क्षेत्र था और पानी से भरा हुआ था. 23 अप्रैल 1999 को फिर से दिलीप रे के कार्यालय में फाइल भेजी गई और 12 मई 1999 को सीटीएल ने मंत्री को एक नया प्रतिनिधित्व सौंपते हुए कहा कि उनके आवेदन पर शीघ्रता से विचार किया जा सकता है.

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अवैध रूप से कोयला का खनन

जब 13 मई 1999 को तत्कालीन केंद्रीय कोयला सचिव के बाद दिलीप रे के कार्यालय में फाइल आई तो इसे अतिरिक्त सचिव नित्या नंद गौतम के डेस्क पर भेजा गया. सीबीआई ने आरोप लगाया कि गौतम ने अपने पिछले अवलोकन से पूरी तरह से यू-टर्न ले लिया जिसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी ने कोयला मंत्रालय की ओर से दिशानिर्देशों में ढील देने के लिए कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए सीटीएल की सिफारिश की. कोयला मंत्रालय द्वारा 1 सितंबर 1999 को सीटीएल के पक्ष में ब्रह्मडीह कोयला ब्लॉक के आवंटन को पत्र जारी किया. यह आरोप लगाया गया था कि ब्लॉक के आवंटन के बाद, सीटीएल ने संबंधित अधिकारियों की ओर से किसी भी खदान खोलने की अनुमति के बिना भी अवैध रूप से कोयला निकालना शुरू कर दिया.

Last Updated : Oct 26, 2020, 5:41 PM IST
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