धनबाद: जिला के बरवाअड्डा इलाके के दमकाडा बरवा पंचायत के ढूंढवाडीह में बीते 19 जुलाई को एक बच्चा बुरी तरह से झुलस गया था. जिसके बाद उसे एक स्थानीय सामाजिक संस्था ने मदद पहुंचाई. बाद में यह मामला सूबे के मुखिया हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंचा और दोनों ने धनबाद जिला प्रशासन से बच्चे को मदद पहुंचाने का आदेश भी दिया, बावजूद उसके मदद को अब तक किसी तरह की मदद बच्चे को नहीं मिल पाई है. ईटीवी भारत की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि शुरू से लेकर ह्यूमैनिटी ग्रुप बरवाअड्डा आज तक बच्चे की मदद कर रहा है.
बता दें कि 19 जुलाई को खेल-खेल के दौरान बच्चा फिसल कर खौलते दाल में गिर गया था. जिसके बाद उसका दाहिना हाथ पूरी तरह जल गया. परिवार की माली स्थिति ठीक नहीं होने के कारण अभिभावक झोलाछाप डॉक्टर से बच्चे का इलाज करवा रहे थे, लेकिन उससे कोई लाभ नहीं हो सका. अंत में एक सामाजिक संस्था ने पहल करते हुए बच्चे को स्थानीय एक नर्सिंग होम में ले जाकर उसका इलाज करवाया और मदद के लिए एक फोटो भी सोशल मीडिया में डाल दिया.
बच्चे को नहीं मिली मदद
बच्चे के जलने की खबर को लोंगो ने सीएम हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट भी किया था. जिसके बाद मुखिया हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए धनबाद जिला प्रशासन को यह आदेश दिया कि बच्चे की मदद किया जाए, लेकिन 3 दिन बीत जाने के बाद भी आज तक जिला प्रशासन की ओर से बच्चे और उसके परिवार तक कोई मदद नहीं पहुंचाई जा सकी है.
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पीड़ित परिवार से किसी अधिकारी ने नहीं की मुलाकात
सीएम हेमंत सोरेन के ट्वीट के बाद धनबाद उपायुक्त ने ट्वीट के माध्यम से सूबे के मुखिया को यह जानकारी दी थी कि रेड क्रॉस सोसाइटी उन्हें 10 हजार की सहायता देने का प्रयास कर रहा है, लेकिन यह प्रयास अब तक धरातल पर नहीं उतर पाया है. ईटीवी भारत की टीम ने उस स्थान पर जाकर वास्तविकता की जानकारी ली. परिवार के सदस्यों ने बताया कि संस्था के 2 लोगों के अलावा अब तक कोई भी उनसे मुलाकात करने तक नहीं आया है. बच्चे की मां संयोती देवी ने कहा कि आज भी डॉक्टर के पास समाजसेवी राजकुमार मंडल ही लेकर गए और उनके बच्चे का फिर से मरहम पट्टी करवाया.
समाजसेवियों की मदद से चल रहा गुजर बसर
बता दें कि यह मल्हार परिवार दमकाडा बरवा इलाके में बीते लगभग 15-20 सालों से झोपड़ी बनाकर रह रहा है और खानाबदोश की जिंदगी बीता रहा है. यहां कुल 18 परिवार हैं. जिसमें लगभग 80 लोग शामिल है. इन्हें अब तक किसी प्रकार की कोई सरकारी मदद भी नहीं पहुंच पाई है और ना ही इन लोगों के पास राशन कार्ड ना वोटर कार्ड और ना ही आधार कार्ड है. कुछ लोगों के पास आधार कार्ड है, जिन्हें लॉकडाउन में कुछ राशन मिल पाया, लेकिन जिनके पास आधार और वोटर कार्ड नहीं है उन्हें चावल तक मुहैया नहीं कराया गया. पूरा लॉकडाउन समाजसेवियों के दम पर इन लोगों ने अपना गुजर बसर किया.
समाज को मदद की जरूरत
कोरोना के कहर काल में भी इस परिवार के पास रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो रही है, क्योंकि इन्हें किसी प्रकार की कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल पाई है. कोरोना के समय में अभी मजदूरी भी ढंग से नहीं मिल पा रही है जिसके कारण यह काफी परेशान हैं. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग क्या होता है कि यह लोग नहीं जानते. ऐसे में इन लोगों तक जिला प्रशासन को कोरोना के प्रति जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए और यथासंभव सिर्फ एक जले हुए बच्चे को नहीं, बल्कि पूरे मल्हार समाज के लोग जो परिवार वहां रह रहे हैं उन तक जिला प्रशासन को मदद पहुंचानी चाहिए. 15-20 सालों से इस स्थान पर रहने के बावजूद आज तक जिला प्रशासन की नजर इन लोगों पर नहीं पड़ी, जो गंभीर सवाल है. फिलहाल सीएम के आदेश के बावजूद अब तक बच्चे को मदद नहीं मिली पाना यह चिंता का विषय है.