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Purchse Of Bench desk: बेलाटांड स्कूल के बेंच डेस्क नहीं हैं मानक के अनुरूप, फिर भी डीएसई ने बनाया भुगतान का दबाव! - engineer described quality of bench desk as bad

गिरिडीह में बेंच डेस्क खरीद में गड़बड़ी का मामला बेलाटांड स्कूल में जांच के दौरान हुए विवाद के बाद ही सामने आया. अब तो यह बात सामने आ रही है कि इस स्कूल के बेंच डेस्क को शिक्षा विभाग के अभियंता ने गुणवत्तापूर्ण बताया ही नहीं था. इसके बावजूद भुगतान का दबाव बनाया जा रहा था. engineer described quality of bench desk as bad

quality of bench desk as bad in Giridih
बेलाटांड स्कूल के बेंच डेस्क नहीं है मानक अनुरूप
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 11, 2023, 12:56 PM IST

गिरिडीह: 'एइ, जेइ कौन होता है, मैं विभाग का हेड हूं. मैंने कह दिया गुणवत्ता सही है तो सही है' यह खबर आपको याद होगी. बेंच-डेस्क खरीद में हुई गड़बड़ी से जुड़ी ईटीवी भारत की यह पहली खबर थी. 28 सितंबर को यह खबर प्रकाशित हुई. खबर डीएसई का वायरल वीडियो मिलने के बाद बनायी गई थी.

ये भी पढ़ें: बेंच डेस्क की गुणवत्ता पर मुखिया ने उठाया सवाल तो उछल पड़े DSE, कहा- एई-जेई नहीं मैं हूं हेड...बेंच डेस्क की गुणवत्ता पर मुखिया ने उठाया सवाल तो उछल पड़े DSE, कहा- एई-जेई नहीं मैं हूं हेड...

डीएसई ने की थी जांच: इस वीडियो में डीएसई विनय कुमार उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेलाटांड में बेंच डेस्क की गुणवत्ता जांच करते दिखे थे. यहां जांच का तरीका भी इनका काफी निराला दिखा. पहले बेंच-डेस्क पर डीएसई जा चढ़े, फिर उसके ऊपर से कूद कर जमीन पर आ पहुंचे और यह बताया कि क्वालिटी कितनी बेहतर है कि एक 90-95 किलो का आदमी डेस्क पर चढ़ गया और फर्नीचर को कुछ हुआ ही नहीं.

डीएसई ने सफाई में क्या कहा था: दरअसल इस गुणवत्ता का सर्टिफिकेट देने के पीछे भी बहुत बड़ा कारण था. कारण स्कूल में जबरन बेंच डेस्क को भेजने के बाद प्रबंधन समिति द्वारा भुगतान नहीं करना था. इसी भुगतान को करवाने के लिए साहब परेशान थे तो खुद ही सर्टिफिकेट देने पहुंच गए. हालांकि इस वीडियो के वायरल होने के बाद डीएसई ने अपनी सफाई में यह कहा था कि वे भुगतान को लेकर दबाव नहीं बना रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः Purchase Of Bench-Desk: जिला शिक्षा अधीक्षक की सफाई, कहा- मेरे द्वारा नहीं दिया गया दबाव

एइ-जेइ ने फर्नीचर को बताया था फेल: अब जो बात सामने आ रही है वह और भी चौंकाने वाली है. दरअसल जिला शिक्षा अधीक्षक जिस बेलाटांड स्कूल के बेंच डेस्क का भुगतान आपूर्तिकर्ता को करवाने के लिए परेशान थे, उस स्कूल के फर्नीचर को विभाग ने ही फेल बता दिया है. फर्नीचर की गुणवत्ता उत्तम नहीं है. इसकी रिपोर्ट डीएसई की जांच से दो माह पहले ही परियोजना के सहायक अभियंता और कनीय अभियंता ने कर ली थी. अब सवाल उठता है कि जब परियोजना के अभियंता ने 22 जुलाई को ही कह दिया था कि फर्नीचर मानक के अनुरूप नहीं है और प्रबंधन समिति इस बेंच-डेस्क को वापस करे तो फिर पुनः जांच और भुगतान को लेकर दबाव क्यूं बनाय गया.

90 में से 40 की गुणवत्ता सही नहीं: इधर जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नीलम अइलीन टोप्पो के निर्देश पर झारखंड शिक्षा परियोजना के कनीय अभियंता ने जिले के 935 स्कूल में से 90 स्कूल के बेंच डेस्क की जांच की है. इस जांच में 40 स्कूलों का बेंच डेस्क विभाग के मानक के अनुरूप नहीं पाया गया. जिन स्कूलों के बेंच डेस्क में गड़बड़ी मिली है, उनमें लोहे के फ्रेम का वजन 22 की जगह 16 से 20 मिला है. अब जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 40 स्कूलों के प्रधानाध्यापक को पत्र लिखकर उन्हें निर्देश दिया है कि वे बेंच डेस्क वापस करें और तय मानक के अनुसार ही फर्नीचर खरीदें. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इसकी पुष्टि भी की है. जिन स्कूलों को यह निर्देश दिया गया है उनमें उमवि बेलाटांड भी है और वह स्कूल भी शामिल है जहां जाकर ईटीवी भारत की टीम ने खबर संकलित किया था. ऐसे में ईटीवी भारत ने जिस गड़बड़ी की बात उठाई थी उस खबर पर अब मुहर लग गई है.

इसे भी पढ़ेंः Purchase Of Bench Desk: डीएसई से स्पष्टीकरण, डीसी ने पूछा- अनियमितता रोकने में दिख रही है आपकी विफलता

गिरिडीह: 'एइ, जेइ कौन होता है, मैं विभाग का हेड हूं. मैंने कह दिया गुणवत्ता सही है तो सही है' यह खबर आपको याद होगी. बेंच-डेस्क खरीद में हुई गड़बड़ी से जुड़ी ईटीवी भारत की यह पहली खबर थी. 28 सितंबर को यह खबर प्रकाशित हुई. खबर डीएसई का वायरल वीडियो मिलने के बाद बनायी गई थी.

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डीएसई ने की थी जांच: इस वीडियो में डीएसई विनय कुमार उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेलाटांड में बेंच डेस्क की गुणवत्ता जांच करते दिखे थे. यहां जांच का तरीका भी इनका काफी निराला दिखा. पहले बेंच-डेस्क पर डीएसई जा चढ़े, फिर उसके ऊपर से कूद कर जमीन पर आ पहुंचे और यह बताया कि क्वालिटी कितनी बेहतर है कि एक 90-95 किलो का आदमी डेस्क पर चढ़ गया और फर्नीचर को कुछ हुआ ही नहीं.

डीएसई ने सफाई में क्या कहा था: दरअसल इस गुणवत्ता का सर्टिफिकेट देने के पीछे भी बहुत बड़ा कारण था. कारण स्कूल में जबरन बेंच डेस्क को भेजने के बाद प्रबंधन समिति द्वारा भुगतान नहीं करना था. इसी भुगतान को करवाने के लिए साहब परेशान थे तो खुद ही सर्टिफिकेट देने पहुंच गए. हालांकि इस वीडियो के वायरल होने के बाद डीएसई ने अपनी सफाई में यह कहा था कि वे भुगतान को लेकर दबाव नहीं बना रहे हैं.

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एइ-जेइ ने फर्नीचर को बताया था फेल: अब जो बात सामने आ रही है वह और भी चौंकाने वाली है. दरअसल जिला शिक्षा अधीक्षक जिस बेलाटांड स्कूल के बेंच डेस्क का भुगतान आपूर्तिकर्ता को करवाने के लिए परेशान थे, उस स्कूल के फर्नीचर को विभाग ने ही फेल बता दिया है. फर्नीचर की गुणवत्ता उत्तम नहीं है. इसकी रिपोर्ट डीएसई की जांच से दो माह पहले ही परियोजना के सहायक अभियंता और कनीय अभियंता ने कर ली थी. अब सवाल उठता है कि जब परियोजना के अभियंता ने 22 जुलाई को ही कह दिया था कि फर्नीचर मानक के अनुरूप नहीं है और प्रबंधन समिति इस बेंच-डेस्क को वापस करे तो फिर पुनः जांच और भुगतान को लेकर दबाव क्यूं बनाय गया.

90 में से 40 की गुणवत्ता सही नहीं: इधर जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नीलम अइलीन टोप्पो के निर्देश पर झारखंड शिक्षा परियोजना के कनीय अभियंता ने जिले के 935 स्कूल में से 90 स्कूल के बेंच डेस्क की जांच की है. इस जांच में 40 स्कूलों का बेंच डेस्क विभाग के मानक के अनुरूप नहीं पाया गया. जिन स्कूलों के बेंच डेस्क में गड़बड़ी मिली है, उनमें लोहे के फ्रेम का वजन 22 की जगह 16 से 20 मिला है. अब जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 40 स्कूलों के प्रधानाध्यापक को पत्र लिखकर उन्हें निर्देश दिया है कि वे बेंच डेस्क वापस करें और तय मानक के अनुसार ही फर्नीचर खरीदें. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इसकी पुष्टि भी की है. जिन स्कूलों को यह निर्देश दिया गया है उनमें उमवि बेलाटांड भी है और वह स्कूल भी शामिल है जहां जाकर ईटीवी भारत की टीम ने खबर संकलित किया था. ऐसे में ईटीवी भारत ने जिस गड़बड़ी की बात उठाई थी उस खबर पर अब मुहर लग गई है.

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