गिरिडीह: जिला शिक्षा अधीक्षक विनय कुमार का एक वीडियो जिले में चर्चा का विषय बना है. वीडियो के साथ-साथ चर्चा बेंच डेस्क खरीद की भी हो रही है. इस बीच महेशलुंडी पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव ने डीएसई पर कई तरह के आरोप लगाए हैं. वीडियो के साथ साथ मुखिया द्वारा लगाया गया आरोप भी चर्चा के केंद्र में हैं. यह पूरा मामला जिला समाहरणालय के ठीक पीछे अवस्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेलाटांड से जुड़ा हुआ है. मामला बेंच डेस्क खरीद का है.
क्या है पूरा मामला: दरअसल, महेशलुंडी पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेलाटांड के प्रबंधन समिति की अनुमति के बगैर जुलाई माह में स्कूल में 1.40 लाख मूल्य के बेंच डेस्क को भेज दिया गया. 28 सेट बेंच डेस्क भेजने के बाद भुगतान का दबाव विद्यालय के सचिव अमृत साव पर दिया जाने लगा. अमृत ने कहा कि बगैर समिति की अनुमति के वे कोई खरीदी नहीं कर सकते. ऐसे में भुगतान का सवाल ही नहीं उठता है. इसी भुगतान को लेकर चल रहे विवाद के संदर्भ में डीएसई स्कूल पहुंचे जहां भुगतान का दबाव बनाने का प्रयास किया गया.
डीएसई बनाते हैं गलत तरीके से भुगतान का दबाव- सचिव: इस विषय पर विद्यालय के सचिव अमृत साव बताते हैं कि जुलाई माह में जबरन उनके स्कूल में बेंच-डेस्क भेजा गया और डीएसई के साथ-साथ एक शिक्षक दीपक भी उनपर भुगतान करने का दबाव देने लगे. उन्होंने भुगतान से इनकार किया और बेंच-डेस्क का गुणवत्ता प्रमाण पत्र देने की मांग की तो डीएसई ने ऐसे प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया. बुधवार को जब विद्यालय प्रबंधन समिति की बैठक में पहुंचे तो यहां पर भी डीएसई ने गुणवत्ता प्रमाण पत्र देने से इनकार किया और यहां तक कहा कि इंजीनियर कौन होता हैं बेंच डेस्क को पास या फेल करनेवाला जब विभाग का हेड खुद पास कर रहा हो.
मुखिया का आरोप: इधर, मुखिया शिवनाथ साव का कहना हैं कि बेंच-डेस्क की खरीदी में जिलास्तर पर गड़बड़ी हुई हैं. विभाग के आदेश की अवहेलना करते हुए विद्यालय पर किसी खास आपूर्तिकर्ता से बेंच डेस्क खरीदी का दबाव बनाया जा रहा है. जिला शिक्षा अधीक्षक बगैर मानक के भुगतान करवाना चाहते हैं और इसी तरह का दबाव मेरे पंचायत के विद्यालय पर बनाया गया. कहा कि ऐसी किसी तरह की मनमानी चलने नहीं दी जाएगी.
क्या कहते हैं डीएसई: इधर, डीएसई का कहना हैं कि उनके द्वारा किसी प्रकार का दबाव किसी स्कूल पर नहीं बनाया गया है. वे नियम के अनुसार काम करने वाले पदाधिकारी हैं. यदि प्रबंधन समिति को लगता है कि गुणवत्तापूर्ण बेंच-डेस्क नहीं आया है तो वे भुगतान रोक सकते हैं. रही बात बेंच पर चढ़ने कि तो वे बेंच-डेस्क की गुणवत्ता दिखाने के लिए चढ़े थे. कहा कि बेंच डेस्क की खरीदी में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई हैं. इधर शिक्षक दीपक कुमार ने कहा कि वे बेंच-डेस्क की खरीद बिक्री नहीं करते हैं. उन्हें इस खरीदी बिक्री से कोई लेन देन नहीं है.
क्या हैं वीडियो में: इधर, वायरल वीडियो में डीएसई विनय स्कूल के कक्ष में रखे बेंच-डेस्क पर जम्प कर रहे हैं. डेस्क पर उछल कर वापस जमीन में कूदने के क्रम में यह कह रहे हैं कि "कहां गुणवत्ता खराब है, जब 90-97 किलो का व्यक्ति बेंच पर चलता है तो और बेंच को कुछ नहीं होता तो गुणवत्ता सही है तब न टिक गया." वीडियो में लोग फिर से गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए इंजीनियर से अप्रूव कराये बगैर बेंच-डेस्क को स्कूल भेजने पर सवाल उठाते हैं तो डीएसई यहां यह कहते हैं कि "वे अपने विभाग के हेड हैं और जब उन्होंने बेंच डेस्क पास कर दिया तो इंजीनियर कौन होता है".