गिरिडीह: गिरिडीह में गर्मी शुरू होने के साथ ही कई सुदूरवर्ती गांवों में पानी की दिक्कत शुरू हो गई है. कई गांव में लोग नदी किनारे चुआं खोदकर गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. सरकार हर साल दावा करती है कि लोगों को पीने के पानी की दिक्कत नहीं होगी लेकिन हकीकत इसके उलट है. गिरिडीह में उग्रवाद प्रभावित कई गांव हैं जहां लोगों को पीने के पानी की दिक्कत हो रही है.
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दो किलोमीटर दूर जाकर चुआं खोदकर लाते हैं पानी
गिरिडीह में गावां प्रखंड के मंझने पंचायत में टिलहवा और हरिजन टोला है. दोनों टोलों के लोगों को पानी की काफी दिक्कत हो रही है. यहां के लोग करीब दो किलोमीटर पैदल चलकर नदी के पास जाते हैं और चुआं खोदकर पानी की व्यवस्था करते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि हरिजन टोला में दो चापाकल है जो खराब पड़ा है. टिलहवा टोला में सिर्फ एक सार्वजनिक कुआं है जिससे गंदा पानी निकलता है. लोगों ने जल्द डीप बोरिंग कराने की मांग की है. इस मामले में जूनियर इंजीनियर जहेंद्र भगत ने कहा कि खराब पड़े चापाकल को जल्द ठीक किया जाएगा.
कई गांव में भयावह हालात
उग्रवाद प्रभावित पीरटांड़ के खरपोका पंचायत के दोन्दो सिमर गांव में भी कुछ इसी तरह के हालात हैं. इस गांव में 300 परिवार रहते हैं जिसमें लगभग 50 घरों को पानी नसीब नहीं हो पा रहा है. गांव से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर चिरकिया नदी है जो यहां के लोगों के लिए जीवनदायिनी है. इसी नदी के पानी से लोग नहाते हैं और इसी नदी का पानी जानवरों को भी पिलाया जाता है. वॉर्ड सदस्य भी इस नदी से पानी ढोकर लाती हैं. तेजिया देवी बताती हैं कि कई दिन पहले तत्कालीन डीसी डीपी लकड़ा को पानी की समस्या से अवगत कराया था. इसके बाद यहां जलमीनार लगा था लेकिन वह कारगर नहीं रहा. इस तरह के कई गांव और टोले हैं जहां पानी की भारी दिक्कत है. ऐसी व्यवस्था करने की जरूरत है ताकि लोगों को पानी के लिए न भटकना पड़े.