गिरिडीह: टोटेमिक कुरमी/ कुडमी समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर समाज 20 सितंबर से पूरे झारखंड में अनिश्चितकालीन रेल चक्का जाम करेगा. इसके लिए झारखंड में तैयारी चल रही है. इसी कड़ी में मंगलवार को बगोदर प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में टोटेमिक कुरमी/ कुड़मी समाज ने धरना देकर टोटेमिक कुरमी/ कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग की.
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प्रदर्शनकारियों का कहना था इस मांग को लेकर वे 72 साल से संघर्ष कर रहे हैं, इसके बावजूद सरकार गंभीर नहीं है. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि ये उनके अस्तित्व का प्रश्न है. इसकी रक्षा के लिए वे आर- पार की लड़ाई लड़ेंगे. इसी के साथ सरकार को अल्टीमेटम दिया कि 20 सितंबर से पहले अगर समाज को सरकार अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं देती है तब बाध्य होकर 20 सितंबर रेल चक्का जाम करेंगे.
इस मौके पर आंदोलनकारी छोटन प्रसाद छात्र ने कहा कि 1935 तक टोटेमिक कुरमी/ कुड़मी समाज अनुसूचित जनजाति में शामिल था. कहा कि टोटेमिक कुरमी/ कुड़मी जनजाति देश की आजादी से पहले प्रीमिटिव ट्राइब (आदिम जनजाति) में सूचीबद्ध था, किन्तु 1950 ई० में जब देश गणतंत्र घोषित हुआ तब कुरमी/कुड़मी महतो जनजाति को छोड़कर सभी आदिम जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध किया गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संसद में सरकारी भूल एवं भूल सुधारने की बात कबूल की थी, तब से अबतक 72 वर्षों से लगातार यह जनजाति अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध कराने के लिए संघर्षरत है.