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गया के तिल से बने तिलकुट की बढ़ी डिमांड, बगोदर में खूब हो रही खरीदारी - गिरिडीह में गया का तिलकुट

Tilkut demand in Giridih. गिरिडीह के बगोदर में गया के तिल से बने तिलकुट की डिमांड बढ़ गई है. लोग तिलकुट की खूब खरीदारी कर रहे हैं. कारीगरों में इसे लेकर खासा उत्साह है.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 12, 2024, 2:04 PM IST

बगोदर में तिलकुट की बढ़ी डिमांड

गिरिडीह : गया का तिलकुट तो मशहूर है ही, गया के तिल से बना तिलकुट भी लोगों को खूब पसंद आ रहा है. मकर संक्रांति के मौके पर इन दिनों बगोदर में गया के तिल से तिलकुट बनाया जा रहा है. बगोदर में तैयार होने वाले तिलकुट की मांग बगोदर और इसके आसपास के प्रखंडों में बढ़ने लगी है. एक अनुमान के मुताबिक बगोदर में एक माह में डेढ़ से दो सौ क्विंटल तिलकुट तैयार होता है और इलाके में इसकी आपूर्ति की जाती है.

इधर, बगोदर में बन रहे तिलकुट की खुशबू से बगोदर का वातावरण भी सुगंधित हो रहा है. बगोदर में इन दिनों तिलकुट बनाने की पांच दुकानें कुटीर व्यवसाय के रूप में चल रही हैं. यहां तैयार तिलकुट दूसरे जिलों में भी सप्लाई किया जाता है. गुड़ और चीनी दोनों से तिलकुट बनाया जा रहा है.

मकर संक्रांति पर्व को देखते हुए यह कुटीर व्यवसाय एक माह तक चलता है. मकर संक्रांति का त्योहार खत्म होते ही यह कारोबार भी मंदा हो जाता है और धंधे को बंद कर दिया जाता है. तिलकुट बनाने के व्यवसाय में स्थानीय कारीगर लगे हुए हैं. उन्हें स्थानीय स्तर पर एक माह तक रोजगार भी मिल जाता है.

30 से 35 क्विंटल तिलकुट की हो जाती है बिक्री: तिलकुट बनाने का कारोबार करने वाले राजीव कुमार उर्फ भोला कहते हैं कि यह कारोबार एक महीने तक जोरों पर चलता है. तिलकुट तैयार होते ही सप्लाई भी शुरू हो जाती है. बताया जाता है कि इसकी सप्लाई बगोदर प्रखंड समेत बिष्णुगढ़, टाटीझरिया, बरकट्ठा आदि में होती है. वे एक माह में 30 से 35 क्विंटल तिलकुट तैयार कर बेचते हैं. उन्होंने बताया कि तिलकुट बनाने के लिए गया से तिल मंगवाया जाता है. यहां तीन तरह के तिलकुट बनाये जाते हैं. जिसमें चीनी, गुड़ और खोवा तिलकुट शामिल है. कारीगरों ने बताया कि चीनी और गुड़ से बने तिलकुट की मांग ज्यादा है. मकर संक्रांति के दो-चार दिन पहले से ही खोवा से तिलकुट बनाया जाता है. हालांकि खोवा तिलकुट महंगा होने के कारण इसकी बिक्री कम है. तिलकुट बनाने में रूपेश साव, दिलीप साव, सुनील कुमार, सौरव कुमार, मिथुन कुमार आदि कारीगर लगे हुए हैं.

यह भी पढ़ें: तिलकुट की खुशबू से महका बाजार, रांची के दुकानों पर खरीदारों की भीड़, जानें क्या है दाम

यह भी पढ़ें: तिल की खूशबू से महक उठा तिलकुट का बाजार ....बिहार के गया नहीं रामगढ़ में तैयार हो रहा तिलकुट

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बगोदर में तिलकुट की बढ़ी डिमांड

गिरिडीह : गया का तिलकुट तो मशहूर है ही, गया के तिल से बना तिलकुट भी लोगों को खूब पसंद आ रहा है. मकर संक्रांति के मौके पर इन दिनों बगोदर में गया के तिल से तिलकुट बनाया जा रहा है. बगोदर में तैयार होने वाले तिलकुट की मांग बगोदर और इसके आसपास के प्रखंडों में बढ़ने लगी है. एक अनुमान के मुताबिक बगोदर में एक माह में डेढ़ से दो सौ क्विंटल तिलकुट तैयार होता है और इलाके में इसकी आपूर्ति की जाती है.

इधर, बगोदर में बन रहे तिलकुट की खुशबू से बगोदर का वातावरण भी सुगंधित हो रहा है. बगोदर में इन दिनों तिलकुट बनाने की पांच दुकानें कुटीर व्यवसाय के रूप में चल रही हैं. यहां तैयार तिलकुट दूसरे जिलों में भी सप्लाई किया जाता है. गुड़ और चीनी दोनों से तिलकुट बनाया जा रहा है.

मकर संक्रांति पर्व को देखते हुए यह कुटीर व्यवसाय एक माह तक चलता है. मकर संक्रांति का त्योहार खत्म होते ही यह कारोबार भी मंदा हो जाता है और धंधे को बंद कर दिया जाता है. तिलकुट बनाने के व्यवसाय में स्थानीय कारीगर लगे हुए हैं. उन्हें स्थानीय स्तर पर एक माह तक रोजगार भी मिल जाता है.

30 से 35 क्विंटल तिलकुट की हो जाती है बिक्री: तिलकुट बनाने का कारोबार करने वाले राजीव कुमार उर्फ भोला कहते हैं कि यह कारोबार एक महीने तक जोरों पर चलता है. तिलकुट तैयार होते ही सप्लाई भी शुरू हो जाती है. बताया जाता है कि इसकी सप्लाई बगोदर प्रखंड समेत बिष्णुगढ़, टाटीझरिया, बरकट्ठा आदि में होती है. वे एक माह में 30 से 35 क्विंटल तिलकुट तैयार कर बेचते हैं. उन्होंने बताया कि तिलकुट बनाने के लिए गया से तिल मंगवाया जाता है. यहां तीन तरह के तिलकुट बनाये जाते हैं. जिसमें चीनी, गुड़ और खोवा तिलकुट शामिल है. कारीगरों ने बताया कि चीनी और गुड़ से बने तिलकुट की मांग ज्यादा है. मकर संक्रांति के दो-चार दिन पहले से ही खोवा से तिलकुट बनाया जाता है. हालांकि खोवा तिलकुट महंगा होने के कारण इसकी बिक्री कम है. तिलकुट बनाने में रूपेश साव, दिलीप साव, सुनील कुमार, सौरव कुमार, मिथुन कुमार आदि कारीगर लगे हुए हैं.

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