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गिरिडीह से रांची पैदल निकल गए थे सहायक पुलिस कर्मी, SP के समझाने के बाद लौटे वापस - गिरिडीह एसपी अमित रेणु के समझाने के बाद वापस लौटे सहायक पुलिस कर्मी

आरक्षी पद पर नियुक्ति की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए सहायक पुलिसकर्मी पैदल ही गिरिडीह से रांची के लिए निकल गए थे. हालांकि रास्ते में ही इन्हें अधिकारियों ने रोक दिया. सड़क पर बैठकर गिरिडीह एसपी अमित रेणु ने इन कर्मियों से बात की. एसपी ने इन्हें समझाया जिसके बाद ये सभी सहायक वापस लौटे.

Assistant police personnel had left Ranchi on foot from Giridih, गिरिडीह से रांची पैदल निकल गए थे सहायक पुलिस कर्मी
सहायक पुलिस कर्मियों से बात करते एसपी
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Published : Sep 11, 2020, 3:20 PM IST

गिरिडीहः आरक्षी पद पर नियुक्ति किये जाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए सहायक पुलिसकर्मी शुक्रवार को पैदल ही रांची के लिए निकले पड़े तो रास्ते में ही डीएसपी बिनोद रवानी, संतोष कुमार मिश्र, इंस्पेक्टर आदिकांत महतो, रत्नेश मोहन ठाकुर और सार्जेंट मेजर अभिनव पाठक ने इन्हें रोक दिया. इसके बाद सहायक पुलिसकर्मी सड़क पर जा बैठे तो एसपी अमित रेणु भी वहां पहुंचे.

देखें पूरी खबर

एसपी ने कर्मियों से बातचीत की

एसपी भी सड़क पर बैठ गए और इन सहायक पुलिसकर्मियों से वार्ता की. एसपी ने सहायक पुलिस कर्मियों को समझाया और कहा कि उनकी हर बातों को सुना जायेगा. बातें वरीय अधिकारियों तक भी पहुंचायी जायेगी. जो भी समस्या है वे उनके पास आकर रखे. एसपी के समझाने के बाद सहायक पुलिसकर्मी वापस पुलिस लाइन पहुंचे. यहां पुलिस लाइन में भी एसपी ने इनसे वार्ता की है. यहां बता दें कि आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मी शुक्रवार की सुबह पैदल ही रांची के लिए निकले थे. इन कर्मियों में से कई महिला कर्मियों के साथ बच्चे थे.

और पढ़ें- BJP बनाएगी शैडो कैबिनेट, RPN सिंह बोले- जब बीजेपी की असली कैबिनेट थी तब सिर्फ भ्रष्टाचार हुआ था

क्या है पूरा आंदोलन

सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग झारखंड, रांची और पुलिस महानिरीक्षक (कार्मिक) की ओर से निर्गत आदेश के आलोक में राज्य के बारह अतिनक्सल प्रभावित जिलों में 25 सौ सहायक पुलिस कर्मियों की नियुक्ति तीन वर्ष के लिए की गई है. जिसका मानदेय मात्र 10 हजार रुपए है. नियुक्ति के बाद उस वक्त की रघुवर सरकार ने कहा था कि तीन वर्ष सेवा होने के बाद सहायक पुलिस कर्मियों को झारखंड पुलिस में आरक्षी के पद पर सीधी नियुक्ति कर दी जाएगी, इसका विज्ञापन में भी उल्लेख है. इसके बाद भी वर्तमान झारखंड सरकार का रवैया सहायक पुलिस कर्मियों के प्रति काफी उदासीन है. कर्मियों ने बताया कि काला बिल्ला लगाकर काम करने और हड़ताल में जाने के बाद भी सरकार ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया है. इसलिए आंदोलन के तहत मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने वे लोग रांची के लिए निकले थे.

गिरिडीहः आरक्षी पद पर नियुक्ति किये जाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए सहायक पुलिसकर्मी शुक्रवार को पैदल ही रांची के लिए निकले पड़े तो रास्ते में ही डीएसपी बिनोद रवानी, संतोष कुमार मिश्र, इंस्पेक्टर आदिकांत महतो, रत्नेश मोहन ठाकुर और सार्जेंट मेजर अभिनव पाठक ने इन्हें रोक दिया. इसके बाद सहायक पुलिसकर्मी सड़क पर जा बैठे तो एसपी अमित रेणु भी वहां पहुंचे.

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एसपी ने कर्मियों से बातचीत की

एसपी भी सड़क पर बैठ गए और इन सहायक पुलिसकर्मियों से वार्ता की. एसपी ने सहायक पुलिस कर्मियों को समझाया और कहा कि उनकी हर बातों को सुना जायेगा. बातें वरीय अधिकारियों तक भी पहुंचायी जायेगी. जो भी समस्या है वे उनके पास आकर रखे. एसपी के समझाने के बाद सहायक पुलिसकर्मी वापस पुलिस लाइन पहुंचे. यहां पुलिस लाइन में भी एसपी ने इनसे वार्ता की है. यहां बता दें कि आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मी शुक्रवार की सुबह पैदल ही रांची के लिए निकले थे. इन कर्मियों में से कई महिला कर्मियों के साथ बच्चे थे.

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क्या है पूरा आंदोलन

सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग झारखंड, रांची और पुलिस महानिरीक्षक (कार्मिक) की ओर से निर्गत आदेश के आलोक में राज्य के बारह अतिनक्सल प्रभावित जिलों में 25 सौ सहायक पुलिस कर्मियों की नियुक्ति तीन वर्ष के लिए की गई है. जिसका मानदेय मात्र 10 हजार रुपए है. नियुक्ति के बाद उस वक्त की रघुवर सरकार ने कहा था कि तीन वर्ष सेवा होने के बाद सहायक पुलिस कर्मियों को झारखंड पुलिस में आरक्षी के पद पर सीधी नियुक्ति कर दी जाएगी, इसका विज्ञापन में भी उल्लेख है. इसके बाद भी वर्तमान झारखंड सरकार का रवैया सहायक पुलिस कर्मियों के प्रति काफी उदासीन है. कर्मियों ने बताया कि काला बिल्ला लगाकर काम करने और हड़ताल में जाने के बाद भी सरकार ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया है. इसलिए आंदोलन के तहत मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने वे लोग रांची के लिए निकले थे.

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