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कलयुगी मां नवजात बच्ची को झाड़ियों में फेंका, चींटियां-कीड़े घंटों नोचते रहे कोमल शरीर

गढ़वा के आरोग्यम हॉस्पिटल के सामने झाड़ी में एक नवजात बच्ची लावारिस अवस्था में मिली. अस्पताल से गुजर रही एक महिला ने उस बच्ची को उठाकर उसका इलाज करवाया. वहीं, गांव वालों ने इसकी सूचना चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को दी. जिसके बाद उसे सुरक्षित परवरिश के लिए मेदिनीनगर स्थित चाइल्ड सेंटर में भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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Published : Jun 2, 2019, 8:18 PM IST

जानकारी देती सीडब्ल्यूसी की प्रतिनिधि

गढ़वा: जिले में एक बार फिर एक मां अपनी ममता को कलंकित कर गई या फिर उसे ऐसा करने के लिए विवश कर दिया गया. उसने अपनी जिगर के टुकड़े को जन्म देने के बाद झाड़ियों में फेंक दिया. इस दौरान जिंदा नवजात बच्ची को कीड़े काटते रहे.
जानकारी के मुताबिक, जिला मुख्यालय के आरोग्यम हॉस्पिटल के पास झाड़ियों में एक नवजात बच्ची को कपड़े में लेपटकर किसी ने फेंक दिया था. बच्ची तपती धूप और कीड़ों के काटने के दर्द से रो रही थी. बच्ची के रोने की आवाज वहां से गुजर रही सुनीता ने सुनी और उसे उठा कर अस्पताल में भर्ती करवाया.

जानकारी देती सीडब्ल्यूसी की प्रतिनिधि

सुनीता का कहना है कि जब उसे बच्ची मिली तो उसके पूरे शरीर पर चींटियां रेंग रही थी. उसने एक-एक कर चींटी को हटाया और फिर बच्ची को दूध पिलाकर नहलाया. इसके बाद सदर अस्पताल ले जाकर उसका इलाज कराया. गांव वालों ने सूचना मिलने पर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी बघमनवा गांव पहुंची और बच्ची का जायजा लिया. कमेटी ने बच्चे की सुरक्षित परवरिश के लिए मेदिनीनगर स्थित चाइल्ड सेंटर में भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

गढ़वा: जिले में एक बार फिर एक मां अपनी ममता को कलंकित कर गई या फिर उसे ऐसा करने के लिए विवश कर दिया गया. उसने अपनी जिगर के टुकड़े को जन्म देने के बाद झाड़ियों में फेंक दिया. इस दौरान जिंदा नवजात बच्ची को कीड़े काटते रहे.
जानकारी के मुताबिक, जिला मुख्यालय के आरोग्यम हॉस्पिटल के पास झाड़ियों में एक नवजात बच्ची को कपड़े में लेपटकर किसी ने फेंक दिया था. बच्ची तपती धूप और कीड़ों के काटने के दर्द से रो रही थी. बच्ची के रोने की आवाज वहां से गुजर रही सुनीता ने सुनी और उसे उठा कर अस्पताल में भर्ती करवाया.

जानकारी देती सीडब्ल्यूसी की प्रतिनिधि

सुनीता का कहना है कि जब उसे बच्ची मिली तो उसके पूरे शरीर पर चींटियां रेंग रही थी. उसने एक-एक कर चींटी को हटाया और फिर बच्ची को दूध पिलाकर नहलाया. इसके बाद सदर अस्पताल ले जाकर उसका इलाज कराया. गांव वालों ने सूचना मिलने पर चाइल्ड वेलफेयर कमेटी बघमनवा गांव पहुंची और बच्ची का जायजा लिया. कमेटी ने बच्चे की सुरक्षित परवरिश के लिए मेदिनीनगर स्थित चाइल्ड सेंटर में भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

Intro:गढ़वा। गढ़वा में एक बार फिर एक मां अपनी ममता को कलंकित कर गयी या फिर उसे ऐसा करने के लिए विवश कर दिया गया। उसने अपनी जिगर की टुकड़े को जन्म देने के बाद झड़ी में फेंक दिया। जिंदा नवजात बच्ची कीड़ों का निवाला बन गयी। एक राहगीर महिला ने उस बच्ची को सहारा दिया। अपना दूध पिला उसे नया जीवन दिया और इलाज कर उसे जख्म-दर्द से राहत दिलायी।


Body:बता दूं कि जिला मुख्यालय के आरोग्यम हॉस्पिटल के समीप झाड़ी में एक नवजात बच्ची को कपड़ा में लिपटकर फेंक दिया गया था। तपती धूप में बच्ची लू से तो परेशान थी ही। उसे हजारों कीड़े नोच खा रहे थे। दर्द से लड़ने का साहस तो बच्ची में थी नहीं, परन्तु वह रोकर अपना दर्द जरूर बयां कर रही थी। उसी वक्त बघमनवा गांव की सुनीता देवी मंदिर से पूजा कर लौट रही थी। उसे एक मजदूर ने एक बच्ची की रोने की बात कही। सुनीता की ममता उसे बच्ची तक खींच कर ले गयी।


Conclusion: सुनीता कहती हैं कि पूरे शरीर को चींटी नोच खा रहे थे। एक-एक चींटियों को अलग किया। दूध पिलाया। नहलाया और तेल मालिस किया। सदर अस्पताल ले जाकर इलाज कराया। गांव वालों ने इसकी सूचना चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को दी। वे लोग बघमनवा गांव पहुंचकर बच्ची का जायजा लिया और उसे सुरक्षित परवरिश के लिए मेदिनीनगर स्थित चाइल्ड सेंटर में भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
विजुअल-बच्ची के साथ ग्रामीण
-बच्ची का तहकीकात करते सी डब्ल्यू सी के प्रतिनिधि
बाइट- सुनीता देवी
बाइट-सी डब्ल्यू सी की प्रतिनिधि
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