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धान उत्पादन से ज्यादा उसे बेचने में परेशान हैं किसान, बोरे के अभाव में कभी भी बंद हो सकती है खरीदारी - garhwa farmers news

गढ़वा में किसान धान बेचने के लिए परेशान हैं. सरकारी मैसेज आने के बाद भी अव्यवस्था के कारण किसान डरे हुए हैं. दरअसल, सरकारी जूट के बोरे की कमी हो गई है और इस साल राज्य सरकार ने 31 मार्च तक धान की खरीद करने का निर्णय लिया है. ऐसे में जैसे-जैसे समय बीत रहा है किसानों का डर भी बढ़ता जा रहा है.

Farmers upset for selling paddy in Garhwa
किसान
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Published : Mar 10, 2021, 12:49 PM IST

Updated : Mar 10, 2021, 1:27 PM IST

गढ़वाः जिले के किसानों के लिए धान पैदा करना और उसे बेचना बड़ी चुनौती बनी हुई है. महीनों बाद सरकारी दर पर धान बेचने का सरकारी मैसेज मिलने के बाद भी खरीदारी बंद होने का भय उन्हें अंदर से डरा है. इस बार खरीदारी बंद होने का भय सरकारी जूट के बोरे की कमी से पैदा हुआ है. किसानों ने दिन-रात जिले की बाजार समिति स्थित एफसीआई गोदाम के सामने डेरा डाल रखा है ताकि उनका धान खरीद लिया जाए, लेकिन अब बोरे की कमी से उनका धैर्य जवाब देने लगा है.

देखें पूरी खबर

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इस वर्ष गढ़वा में धान की फसल अच्छी हुई है. यूरिया खाद की कालाबाजारी, ग्रामीण क्षेत्रों में कट बिजली की आपूर्ति के बावजूद जिले में 75 से 80 प्रतिशत किसानों ने धान की अच्छी पैदावार की है. नवंबर 2020 में ही किसानों के धान बिक्री के लिए तैयार हो गए थे लेकिन सरकार ने खरीदारी शुरू नहीं की. दिसंबर माह में झारखंड सरकार के वित्त मंत्री ने किसानों के तैयार धान में नमी बताकर उसकी खरीदारी नहीं करने की बात कही.

नहीं हो रही है पैक्स से खरीदारी

किसानों के भारी दबाव के बाद जनवरी 2021 से जिला मुख्यालय में एफसीआई के माध्यम से धान का क्रय शुरू किया गया. किसानों ने हर पंचायत में पैक्स के माध्यम से धान खरीदने की मांग की. जिले में 189 पंचायत और 20 प्रखंड हैं. सरकार के प्रावधानों के अनुसार सभी पंचायतों में पैक्स के माध्यम से धान की खरीदारी होती थी. इस वर्ष सरकार सभी प्रखंड मुख्यालयों में भी क्रय केंद्र नहीं खोल सकी. केवल 13 प्रखंडों में भी धान का क्रय किया जा रहा है. इन्ही केंद्रों से पूरे जिले के किसानों को जोड़ दिया गया है.

मैसेज मिलने के 15 दिन बाद भी नहीं खरीदा जा रहा है धान

गढ़वा बाजार समिति स्थित धान क्रय केंद्र पर किसानों का जमावड़ा लग रहा है, जिस किसान को 20 फरवरी को धान खरीदने का मैसेज भेजा गया था लेकिन उस किसान की बारी 9 मार्च तक नहीं आ सकी. ऐसे सैकड़ों किसान प्रतिदिन गढ़वा आते हैं और अपनी बारी की जानकारी प्राप्त कर लौट जाते हैं. एक किसान ने कहा कि उसके 1350 क्विंटल धान का मैसेज आज तक प्राप्त नहीं हुआ. गेहूं बेचने के सीजन में धान बेचना पड़ रहा है. यही कारण है कि किसान आत्महत्या के लिए विवश हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें-जीतने का जुनूनः जॉन्डिस होने के बावजूद ट्रैक पर बिजली की रफ्तार से दौड़ी फ्लोरेंस, वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम के लिए किया क्वालीफाइ

सरकारी बोरे की कमी से किसान परेशान

जिला मुख्यालय के एफसीआई धान क्रय केंद्र में मात्र एक हजार सरकारी बोरे बचे हैं. इसमें मात्र 400 क्विंटल धान ही खरीदे जाएंगे, जबकि सरकार ने इस क्रय केंद्र से जुड़े किसानों को 25 हजार बोरा धान क्रय करने का मैसेज भेज चुकी है. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने फिलहाल 31 मार्च 2021 तक ही धान क्रय करने का निर्णय लिया है. सरकार के इस निर्णय से भी किसान डरे हुए हैं.

धान क्रय पदाधिकारी लखन मुर्मू ने कहा कि 5 हजार बोरे की मांग की गयी है. उन्होंने कहा कि गोदाम की कमी के कारण भी धान का कार्य बाधित हो रहा है. किसानों को सुविधा देने के लिए वह अपने टीम के साथ रात एक बजे तक काम करते हैं.

गढ़वाः जिले के किसानों के लिए धान पैदा करना और उसे बेचना बड़ी चुनौती बनी हुई है. महीनों बाद सरकारी दर पर धान बेचने का सरकारी मैसेज मिलने के बाद भी खरीदारी बंद होने का भय उन्हें अंदर से डरा है. इस बार खरीदारी बंद होने का भय सरकारी जूट के बोरे की कमी से पैदा हुआ है. किसानों ने दिन-रात जिले की बाजार समिति स्थित एफसीआई गोदाम के सामने डेरा डाल रखा है ताकि उनका धान खरीद लिया जाए, लेकिन अब बोरे की कमी से उनका धैर्य जवाब देने लगा है.

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इस वर्ष गढ़वा में धान की फसल अच्छी हुई है. यूरिया खाद की कालाबाजारी, ग्रामीण क्षेत्रों में कट बिजली की आपूर्ति के बावजूद जिले में 75 से 80 प्रतिशत किसानों ने धान की अच्छी पैदावार की है. नवंबर 2020 में ही किसानों के धान बिक्री के लिए तैयार हो गए थे लेकिन सरकार ने खरीदारी शुरू नहीं की. दिसंबर माह में झारखंड सरकार के वित्त मंत्री ने किसानों के तैयार धान में नमी बताकर उसकी खरीदारी नहीं करने की बात कही.

नहीं हो रही है पैक्स से खरीदारी

किसानों के भारी दबाव के बाद जनवरी 2021 से जिला मुख्यालय में एफसीआई के माध्यम से धान का क्रय शुरू किया गया. किसानों ने हर पंचायत में पैक्स के माध्यम से धान खरीदने की मांग की. जिले में 189 पंचायत और 20 प्रखंड हैं. सरकार के प्रावधानों के अनुसार सभी पंचायतों में पैक्स के माध्यम से धान की खरीदारी होती थी. इस वर्ष सरकार सभी प्रखंड मुख्यालयों में भी क्रय केंद्र नहीं खोल सकी. केवल 13 प्रखंडों में भी धान का क्रय किया जा रहा है. इन्ही केंद्रों से पूरे जिले के किसानों को जोड़ दिया गया है.

मैसेज मिलने के 15 दिन बाद भी नहीं खरीदा जा रहा है धान

गढ़वा बाजार समिति स्थित धान क्रय केंद्र पर किसानों का जमावड़ा लग रहा है, जिस किसान को 20 फरवरी को धान खरीदने का मैसेज भेजा गया था लेकिन उस किसान की बारी 9 मार्च तक नहीं आ सकी. ऐसे सैकड़ों किसान प्रतिदिन गढ़वा आते हैं और अपनी बारी की जानकारी प्राप्त कर लौट जाते हैं. एक किसान ने कहा कि उसके 1350 क्विंटल धान का मैसेज आज तक प्राप्त नहीं हुआ. गेहूं बेचने के सीजन में धान बेचना पड़ रहा है. यही कारण है कि किसान आत्महत्या के लिए विवश हो जाते हैं.

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सरकारी बोरे की कमी से किसान परेशान

जिला मुख्यालय के एफसीआई धान क्रय केंद्र में मात्र एक हजार सरकारी बोरे बचे हैं. इसमें मात्र 400 क्विंटल धान ही खरीदे जाएंगे, जबकि सरकार ने इस क्रय केंद्र से जुड़े किसानों को 25 हजार बोरा धान क्रय करने का मैसेज भेज चुकी है. सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने फिलहाल 31 मार्च 2021 तक ही धान क्रय करने का निर्णय लिया है. सरकार के इस निर्णय से भी किसान डरे हुए हैं.

धान क्रय पदाधिकारी लखन मुर्मू ने कहा कि 5 हजार बोरे की मांग की गयी है. उन्होंने कहा कि गोदाम की कमी के कारण भी धान का कार्य बाधित हो रहा है. किसानों को सुविधा देने के लिए वह अपने टीम के साथ रात एक बजे तक काम करते हैं.

Last Updated : Mar 10, 2021, 1:27 PM IST
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