गढ़वा: झारखंड के बीपीएड डिग्री धारकों को एक्सपायरी होने का डर सताने लगा है. अलग राज्य गठन के बाद से राज्य में शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई हैं. इससे योग्यताधारी सशंकित हैं और उन्हें अपनी नियुक्ति की उम्र खो देने की चिंता सता रही है. वे अब बहाली प्रक्रिया शुरू कराने के लिए सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने की योजना बनाने में जुट गए हैं.
बता दें कि गढ़वा में करीब एक हजार सहित झारखण्ड में 35000 से ज्यादा बीपीएड डिग्री धारक हैं. शिक्षा के साथ-साथ खेल और शारीरिक शिक्षा को जोड़ने के लिए गठित कमेटी ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें 35,000 शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति करने की अनुशंसा की थी. रिपोर्ट में शारीरिक शिक्षा को प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल में अनिवार्य और प्लस टू विद्यालयों में वैकल्पिक विषय के रूप में रखने की बात कही गयी थी. अनुशंसा में सभी विद्यालयों ने एक-एक शारीरिक शिक्षकों को नियुक्त करने को कहा गया था. सरकार की ओर से गठित इस कमेटी की रिपोर्ट पर अमल नहीं होने से बीपीएड डिग्री धारकों में नाराजगी है. वे कई बार सरकार से नियुक्ति की मांग भी कर चुके हैं, अभी तक उनकी समस्या वहीं की वहीं ठहरी हुई है.
ये भी पढ़ें- चतरा जिला का टंडवा अंचल दो भाग में बंटा, प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने दी स्वीकृति सरकार को दी चेतावनी गढ़वा के बीपीएड योग्यताधारियों ने बैठक कर सरकार से एक बार फिर बहाली प्रक्रिया शुरू करने की मांग की हैं. साथ ही बैठक में सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई शुरू करने की भी योजना बनाई गई. बीपीएड योग्यताधारी संघ के अध्यक्ष सुबोध कुमार पाठक ने कहा कि कुछ ही वर्षों में वे नियुक्ति की उम्र सीमा को पार कर जाएंगे और नौकरी पाने से वंचित हो जाएंगे.