जमशेदपुरः शहर से 26 किलोमीटर की दूरी पर बसे जादूगोड़ा के पशु चिकित्सालय में बिजली, पानी और चिकित्सा की सुविधाएं नदारद हैं. यहां इक्का-दुक्का ग्रामीण ही पशुओं के इलाज के लिए आते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने चिकित्सक की पड़ताल की तो पता चला कि डॉक्टर भी अक्सर गायब ही रहते हैं.
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पशू चिकित्सालय की स्थिति बदहाल
पूर्वी सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा में बने पशु चिकित्सालय की स्थिति बदहाल है. तीन कमरों के बने इस भवन में अस्पताल खोले जाने के बाद से ही बिजली, पीने योग्य पानी की सुविधा नहीं पहुंच पाई है. बदहाली का आलम यह है कि यहां पशु चिकित्सक के चिकित्सालय में आने का कोई समय निर्धारित नहीं होता है. चिकित्सालय में आने वाले जानवरों के लिए दवाईंयां भी नदारद रहती हैं. सिर्फ कागजों पर ही यहां के चिकित्सक उनका इलाज करते हैं.
पशू चिकित्सालय में दवाएं उपलब्ध नहीं
जादूगोड़ा के आसपास तकरीबन आठ गांव हैं. जहां के लोगों का मुख्य रोजगार जानवरों को पालना, दुग्ध उत्पादन, मवेशियों से जुड़ी सेवाओं से जीविका निर्वाह करना है. ऐसे में मवेशियों से जुड़े रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता गणेश बताते हैं कि पशु चिकित्सालय से यहां के ग्रामीणों को दवाईयां उपलब्ध नहीं कराई जाती हैं. पशुओं से जुड़ी छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी 26 किलोमीटर दूर जमशेदपुर का रुख करना पड़ता है. यहां के चिकित्सक कभी-कभार ही समय पर आते हैं.
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चिकित्सक समय पर नहीं पहुंचते
ईटीवी भारत की टीम ने जब जादूगोड़ा स्थित पशु चिकित्सालय की पड़ताल की तो कई सच सामने आए. कुछ दवाओं को एक अलमीरा के ऊपर रखा गया है. जहां इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. चिकित्सक समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं. अस्पताल परिसर के अंदर बने तीनों कमरे में ताले ही लटके पड़े थे. इस संबंध में जब टीम ने डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने ड्यूटी का समय अभी नहीं है कहते हुए पल्ला झाड़ दिया.