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गौरैया संरक्षण के लिए टाटा स्टील की पहल, लव स्पैरो अभियान की शुरुआत

टाटा स्टील कंपनी ने गौरैया के संरक्षण के लिए 'लव स्पैरो अभियान' की शुरुआत की है. टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड ने ओडिशा के सुकिंदा में गौरैया संरक्षण की पहल की है. जिसके तहत 40 नेस्ट बॉक्स आर्टिफिशियल घोंसला स्वयंसेवकों को बांटा गया है.

Tata Steel Company
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Published : May 25, 2022, 12:12 PM IST

जमशेदपुर: देश की सौ साल पुरानी टाटा स्टील कंपनी ने लुप्त होती जा रही गौरैया के संरक्षण के लिए एक नई पहल की है. टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड ने ओडिशा के सुकिंदा में गौरैया संरक्षण के लिए 'लव स्पैरो अभियान' (Love Sparrow Campaign) की शुरुआत की है, जिसके तहत स्वयंसेवकों को 40 नेस्ट बॉक्स आर्टिफिशियल घोंसला बांटा गया है.

इसे भी पढ़ें: पहल: गौरैया संरक्षण का संकल्प लेकर घर को ही बना डाला 'चिड़ियाघर'


ओडिशा के सुकिंदा में हुई शुरुआत: लुप्त होती जा रही गौरैया के लिए टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड (Tata Steel Mining Limited TSML) ने ओडिशा के जाजपुर जिला स्थित सुकिंदा क्रोमाइट माइन में गौरैया संरक्षण के लिए लव स्पैरो अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत वैज्ञानिक डिजाइन और क्षेत्र के आंकड़ों के आधार पर तैयार किए गए 40 कृत्रिम नेस्ट बॉक्स घोंसला को स्वयंसेवकों के बीच वितरित किया गया है. इस दौरान वन्यजीव और पारिस्थितिकी अनुसंधान जीवविज्ञानी और सुशांत कुमार मिश्रा, टीएसएमएल के वरिष्ठ महाप्रबंधक भी उपस्थित थे.


क्या है उद्देश्य: इस अभियान का उद्देश्य घरेलू गौरैयों की आबादी बढ़ाने का संदेश फैलाने के लिए है. गौरैया एक ऐसी चिड़ियां है जिनकी संख्या हाल के दिनों में घटती जा रही है, यह विलुप्त होने के कगार पर है. इस पहल के माध्यम से इन्हें संरक्षण देने और लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए पक्षियों को बॉक्स में अधिक घोंसले बनाने में मदद करने की कोशिश है. अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता विशेषज्ञ डॉ. रांडल डी ग्लाहोल्ट ने टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार सतीजा के साथ औपचारिक रूप से इस पहल की शुरुआत की.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: मौके पर डॉ रांडल डी ग्लाहोल्ट ने कहा कि लव स्पैरो कार्यक्रम टाटा स्टील माइनिंग की ओर से जैव विविधता प्रबंधन योजना का एक बड़ा कदम है. ये जमीनी स्तर का यह प्रयास गौरैयों के संरक्षण में मदद करेगा. इस अवसर पर सतीजा ने कहा कि हमने अपने संचालन क्षेत्रों में जैव विविधता के संरक्षण और बहाली के लिए कई पर्यावरणीय पहल किये हैं. जैव विविधता संरक्षण पहल की सफलता के लिए सामुदायिक भागीदारी एक महत्वपूर्ण तत्व है. उन्होंने कहा- मुझे उम्मीद है कि यह अभियान गौरैया संरक्षण के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगी.

जमशेदपुर: देश की सौ साल पुरानी टाटा स्टील कंपनी ने लुप्त होती जा रही गौरैया के संरक्षण के लिए एक नई पहल की है. टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड ने ओडिशा के सुकिंदा में गौरैया संरक्षण के लिए 'लव स्पैरो अभियान' (Love Sparrow Campaign) की शुरुआत की है, जिसके तहत स्वयंसेवकों को 40 नेस्ट बॉक्स आर्टिफिशियल घोंसला बांटा गया है.

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ओडिशा के सुकिंदा में हुई शुरुआत: लुप्त होती जा रही गौरैया के लिए टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड (Tata Steel Mining Limited TSML) ने ओडिशा के जाजपुर जिला स्थित सुकिंदा क्रोमाइट माइन में गौरैया संरक्षण के लिए लव स्पैरो अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत वैज्ञानिक डिजाइन और क्षेत्र के आंकड़ों के आधार पर तैयार किए गए 40 कृत्रिम नेस्ट बॉक्स घोंसला को स्वयंसेवकों के बीच वितरित किया गया है. इस दौरान वन्यजीव और पारिस्थितिकी अनुसंधान जीवविज्ञानी और सुशांत कुमार मिश्रा, टीएसएमएल के वरिष्ठ महाप्रबंधक भी उपस्थित थे.


क्या है उद्देश्य: इस अभियान का उद्देश्य घरेलू गौरैयों की आबादी बढ़ाने का संदेश फैलाने के लिए है. गौरैया एक ऐसी चिड़ियां है जिनकी संख्या हाल के दिनों में घटती जा रही है, यह विलुप्त होने के कगार पर है. इस पहल के माध्यम से इन्हें संरक्षण देने और लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए पक्षियों को बॉक्स में अधिक घोंसले बनाने में मदद करने की कोशिश है. अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता विशेषज्ञ डॉ. रांडल डी ग्लाहोल्ट ने टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार सतीजा के साथ औपचारिक रूप से इस पहल की शुरुआत की.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: मौके पर डॉ रांडल डी ग्लाहोल्ट ने कहा कि लव स्पैरो कार्यक्रम टाटा स्टील माइनिंग की ओर से जैव विविधता प्रबंधन योजना का एक बड़ा कदम है. ये जमीनी स्तर का यह प्रयास गौरैयों के संरक्षण में मदद करेगा. इस अवसर पर सतीजा ने कहा कि हमने अपने संचालन क्षेत्रों में जैव विविधता के संरक्षण और बहाली के लिए कई पर्यावरणीय पहल किये हैं. जैव विविधता संरक्षण पहल की सफलता के लिए सामुदायिक भागीदारी एक महत्वपूर्ण तत्व है. उन्होंने कहा- मुझे उम्मीद है कि यह अभियान गौरैया संरक्षण के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगी.

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