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टाटा मोटर्स पर भी आर्थिक मंदी का असर, जानिए मजदूरों का क्या है कहना

जमशेदपुर के टाटा मोटर्स में अगस्त महीने में तीसरी बार ब्लॉक क्लोजर किया गया है. वहीं जमशेदपुर से सटे आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में कई कंपनियों पर ताला लग सकता है. यह कंपनियां टाटा मोटर्स के लिए छोटे पैमाने पर पार्ट्स तैयार करती है.

टाटा मोटर्स के सदस्य
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Published : Aug 17, 2019, 7:54 PM IST

जमशेदपुर: आर्थिक मंदी से जूझ रहा टाटा मोटर्स में संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों के भविष्य में अंधकार आ सकता है. मंदी की मार से जूझ रहे टाटा मोटर्स ने अपने संविदा कर्मियों को महीने में केवल 18 दिन ही काम पर आने को बोला है.

टाटा मोटर्स के कर्मचारियों की देखें राय

ऑटोमोबाइल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी माने जाने वाली टाटा मोटर्स को मंदी के कारण करीब तीन सौ करोड़ का घाटा हुआ है. देश के सभी ऑटोमोबाइल कंपनी के छेत्र में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है. अस्थायी मजदूरों के साथ-साथ स्थायी मजदूरों को भी इसका दंश झेलना पड़ रहा है.

ये भी देखें- BDO को नक्सलियों के नाम मिला धमकी भरा लेटर, हर महीने 5 लाख की मांगी रंगदारी


आपको बता दें कि टाटा मोटर्स की स्थापना 1945 में कई गई थी. शुरुवाती दौर से अब तक की ये सबसे बड़ी आर्थिक मंदी के तौर पर देखा जा रहा है. केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार को आर्थिक मंदी से निपटने के लिए किसी पहल की जरूरत है. ताकि अस्थायी कामगारों को ज्यादा से ज्यादा काम मिल सके.


हालांकि मंदी की मार से जूझ रहे अस्थायी कामगारों को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत काम दिए जा रहे हैं, जिससे उनका घर चल सके. ऐसी मंदी कई वर्षों में एक बार आती है. ब्लॉक क्लोजर रखने के कारण सभी कामगारों को एक-एक करके काम दिया जाता है.

जमशेदपुर: आर्थिक मंदी से जूझ रहा टाटा मोटर्स में संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों के भविष्य में अंधकार आ सकता है. मंदी की मार से जूझ रहे टाटा मोटर्स ने अपने संविदा कर्मियों को महीने में केवल 18 दिन ही काम पर आने को बोला है.

टाटा मोटर्स के कर्मचारियों की देखें राय

ऑटोमोबाइल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी माने जाने वाली टाटा मोटर्स को मंदी के कारण करीब तीन सौ करोड़ का घाटा हुआ है. देश के सभी ऑटोमोबाइल कंपनी के छेत्र में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है. अस्थायी मजदूरों के साथ-साथ स्थायी मजदूरों को भी इसका दंश झेलना पड़ रहा है.

ये भी देखें- BDO को नक्सलियों के नाम मिला धमकी भरा लेटर, हर महीने 5 लाख की मांगी रंगदारी


आपको बता दें कि टाटा मोटर्स की स्थापना 1945 में कई गई थी. शुरुवाती दौर से अब तक की ये सबसे बड़ी आर्थिक मंदी के तौर पर देखा जा रहा है. केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार को आर्थिक मंदी से निपटने के लिए किसी पहल की जरूरत है. ताकि अस्थायी कामगारों को ज्यादा से ज्यादा काम मिल सके.


हालांकि मंदी की मार से जूझ रहे अस्थायी कामगारों को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत काम दिए जा रहे हैं, जिससे उनका घर चल सके. ऐसी मंदी कई वर्षों में एक बार आती है. ब्लॉक क्लोजर रखने के कारण सभी कामगारों को एक-एक करके काम दिया जाता है.

Intro:एंकर-- महानगरों की तर्ज पर बसा आर्थिक नगरी लौहनगरी के टाटा मोटर्स में अगस्त महीने में तीसरी बार ब्लॉक क्लोजर किया गया है.वहीं जमशेदपुर से सटे आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में कई कंपनियों पर ताला लग सकता है.यह कंपनियाँ टाटा मोटर्स के लिए छोटे पैमाने पर पार्ट्स तैयार करती है.ऐसे में टाटा मोटर्स के कर्मचारियों का मंदी पर क्या मानना है.देखिए एक रिपोर्ट।


Body:वीओ1--संविदा पर रखे गए कर्मचारियों के भविष्य में अंधकार ला सकता है.मंदी की मार से जूझ रहा टाटा मोटर्स ने अपने संविदा कर्मियों को एक महीने में बारह दिन काम पर आने से मना कर दिया है. ऑटोमोबाइल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी माने जाने वाली टाटा मोटर्स को मंदी के कारण करीब तीन सौ करोड़ का घाटा हुआ है.देश के सभी ऑटोमोबाइल कंपनी के छेत्र में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है.अस्थायी मजदूरों के साथ-साथ स्थायी मजदूरों को भी इसका दंश झेलना पड़ रहा है.
बाइट--गुरमीत सिंह तोते(टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष)
वीओ2-- टाटा मोटर्स के मोटर वाहन की स्थापना 1945 में कई गई थी.शुरुवाती दौर से वर्ष 2019 की आर्थिक मंदी को सबसे बड़ी मंदी के तौर पर देखा जा रहा है. केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार को आर्थिक मंदी से निपटने के लिए किसी पहल की जरूरत है.अस्थायी कामगारों को ज़्यादा-से ज़्यादा काम मिल सके.
बाइट--आर० के सिंह(टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन महामंत्री)
वीओ3--हालांकि मंदी की मार से जूझ रहे अस्थायी कामगारों को वैकल्पिक वयस्था के तहत काम दिए जा रहे हैं.जिससे कि उनका घर चल सके.ऐसी मंदी कई वर्षों में एक बार आती है.ब्लॉक क्लोजर रखने के कारण सभी कामगारों को एक-एक करके काम दिया जाता है.
बाइट--टाटा मोटर्स कर्मी
बाइट--टाटा मोटर्स कर्मी





Conclusion:बहरहाल जल्द ही सरकार को इससे निपटने के लिए समाधान ढूंढना होगा.आने वाले दिनों में कामगार इतिहास में सिमट कर रह जाएंगे.
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