जमशेदपुरः इंसान को जीने के लिए जिस प्रकार ऑक्सीजन की जरूरत होती है, उसी प्रकार रक्त भी जीवन के लिए काफी जरूरी है. अभी हाल ही में ओडिशा में हुए रेल दुर्घटना में घायलों को रक्त की काफी जरूरत थी. रक्त की कमी को देखते हुए स्थानीय प्रशासन की अपील पर काफी संख्या में लोग रक्तदान करने अस्पताल पहुंचे. खासकर आकस्मिक परिस्थिति में रक्त की काफी आवश्यकता पड़ती है. रक्तदान को लेकर रेडक्रॉस सहित काफी संस्थाए अभी काम कर रही हैं, उन्हीं में से एक हैं जमशेदपुर के सोनारी निवासी सुनील आनन्द.
10 वर्षों से रक्तदान के लिए लोगों को कर रहे जागरूकः सुनील रक्तदान के लिए 10 वर्षों से भी अधिक समय से कार्य कर रहे हैं और लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक कर रहे हैं. यही नहीं रक्तदान करने वाले लोगों को सुनील पौधे देकर सम्मानित भी करते हैं. सुनील आनन्द साल भर में करीब 29 रक्तदान शिविर लगाते हैं. जिसमें करीब एक हजार यूनिट रक्त संग्रह होता है. इस रक्त को वे जरूरतमंद लोगों को निःशुल्क देते हैं.
माह में दो बार लगाते हैं रक्तदान कैंपः सुनील आनन्द महीने में दो बार रक्तदान कैंप लगाते हैं. एक कैंप वे जमशेदपुर के ब्लड बैंक में और दूसरा जमशेदपुर के सरकारी अस्पताल एमजीएम में लगाते हैं. प्रत्येक महीने के अंतिम शनिवार या रविवार को मासिक रक्तदान शिविर का आयोजन जमशेदपुर ब्लड बैंक में किया जाता है और दूसरे शिविर का आयोजन झारखंड सरकार की एमजीएम ब्लड बैंक में भी अब प्रत्येक माह किया जाता है. यही नहीं इसके अलावे बीच-बीच में जरूरत पड़ने पर वे ब्लड कैंप लगाते हैं. इसके अलावे जमशेदपुर ब्लड बैंक में या एमजीएम ब्लड बैंक में किसी विशेष ब्लड ग्रुप की किल्लत होती है तो संस्था की ओर से विशेषकर उस ग्रुप का रक्तदान शिविर का आयोजन भी बीच-बीच में किया जाता है.सुनील यह कार्य आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम ग्लोबल बैनर तले करते हैं.
रक्तदाताओं को पौधे देकर करते हैं सम्मानितः सुनील आनन्द रक्तदान करने वाले लोगों को पौधे देकर सम्मानित करते हैं. इसके माध्यम से सुनील लोगों को पर्यावरण के प्रति भी जागरूक करते हैं. उन्होंने बताया कि अब तक वे पांच हजार से अधिक पौधे बांट चुके हैं.
क्या कहते हैं सुनील आनन्दः सुनील आनन्द ने बताया कि उन्हें शुरू से चाहत थी कि समाज के लिए कुछ अलग करें. उन्होंने बताया कि मैंने कई लोगों को रक्त के लिए भटकते देखा. उसके बाद मैंने खुद रक्तदान किया. फिर रक्तदान शिविर लगाने वाले लोगों से संपर्क कर मैं खुद रक्तदान शिविर लगाने लगा. शुरुआती दौर में शिविर के आयोजन में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन बाद में सब कुछ सामान्य हो गया. पहले तो साल में एक बार रक्तदान शिविर लगाता था, लेकिन अब महीने में दो बार शिविर लगाता हूं.