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CAA की आग झारखंड तक पहुंची, समर्थन और विरोध में निकल रहे छात्र संगठन

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन के साथ ही अब इसके समर्थन में संगठन उतरने लगे हैं. इसी कड़ी में रांची के एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने सीएए और एनआरसी का स्वागत किया है, जबकि जमशेदपुर में लेफ्ट छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने इसके विरोध में सड़क पर उतर चुके हैं.

Student organizations rally to support and oppose CAA in jamshedpur
लेफ्ट छात्र संगठन
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Published : Dec 19, 2019, 7:25 PM IST

जमशेदपुर, रांची: नागरिकता संशोधन कानून पर देशभर में हो रहा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. पूर्वोत्तर राज्यों से शुरू हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला धीरे-धीरे देशभर में फैल चुका है. कुछ छात्र संगठन इसके समर्थन में रैली निकाल रहे हैं तो कुछ संगठन सीएए और एनआरसी के नीतियों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

केंद्र सरकार के संशोधित नागरिकता कानून को लेकर अब छात्र दो संगठनों में बंट चुके हैं. गुरुवार को रांची में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र जहां सीएए और एनआरसी के समर्थन में रैली निकाला वहीं, जमशेदपुर में लेफ्ट छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने सीएए के विरोध में सड़क पर मार्च किया और सरकार के विरोध में नारेबाजी की. लेफ्ट कार्यकर्ताओं ने बताया कि देश में रह रहे अल्पसंख्यकों के खिलाफ यह कानून बनाया गया है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लोगों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. नागरिकता के इस नए कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में वामपंथी छात्र संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है.

लेफ्ट कार्यकर्ताओं ने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून उसमें निहित जिम्मेवारी को भी नजरअंदाज करता है. धार्मिक उत्पीड़न के अलावा अन्य तरह के आर्थिक राजनीतिक प्रताड़ना के कारण भी लोग दूसरे, खासकर अनुकूल पड़ोसी देशों में शरण चाहते हैं. केंद्र सरकार बार-बार एनआरसी बनाने और घुसपैठियों को बाहर करने की बात कर रही है. एक तरफ दूसरे देशों के लोगों को नागरिकता देने की बात की जा रही है वहीं देश के लोगों को घुसपैठिया बताकर बाहर करने की साजिश कर रही है. असम की एनआरसी का दर्दनाक विफलता का अनुभव सामने है. एनआरसी की गैर जरूरी और तबाही लाने वाली योजना का इरादा देशहित में घुसपैठ रोकने और घुसपैठियों को चिन्हित करने में नाकाम हो जाएगा.

एबीवीपी का समर्थन रैली

इसे भी पढ़ें- कोडरमा में काउंटिंग को लेकर तैयारियां पूरी, तीन लेयर सुरक्षा की जद में EVM

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्वाधान में गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में करमचंद भगत कॉलेज परिसर रांची से एनएच 24 तक अभियान चलाया और जुलूस निकाला. अभियान में सैकड़ों छात्र-छात्राएं शामिल रहे. एबीवीपी के प्रदेश प्रभारी शिवेंद्र सौरभ ने कहा की ये अधिनियम नागरिकता देने के लिए हैं ना की भारतीय की नागरिकता छिनने के लिए. इस कानून के कारण हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जो वहां प्रताड़ित किये जा रहे हैं, उन्हें अब भारत की नागरिकता मिल पाएगी. एबीवीपी के आकाश रक्षित ने कहा कि हम सीएए का स्वागत करते है. इस मौके पर केसीबी कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष हीरामुनी कुमारी, सचिव रोहन कुमार, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अजय साहू, पूर्व उपाध्यक्ष दुर्गेश कुमार, अंकित कुमार सोनी, आकाक्षा कुमारी, प्रीति कुमारी, शोभा कुमारी, सोनम कुमारी, राहुल सिंह, हर्ष टंडन सहित कई छात्र-छात्राएं मौजूद रहे. बहरहाल, नागरिकता संसोधन कानून 2019 को लेकर इसके समर्थन और विरोध में झारखंड के कई जगहों में छात्र संगठन सड़क पर निकलने लगे हैं.

जमशेदपुर, रांची: नागरिकता संशोधन कानून पर देशभर में हो रहा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. पूर्वोत्तर राज्यों से शुरू हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला धीरे-धीरे देशभर में फैल चुका है. कुछ छात्र संगठन इसके समर्थन में रैली निकाल रहे हैं तो कुछ संगठन सीएए और एनआरसी के नीतियों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.

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केंद्र सरकार के संशोधित नागरिकता कानून को लेकर अब छात्र दो संगठनों में बंट चुके हैं. गुरुवार को रांची में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र जहां सीएए और एनआरसी के समर्थन में रैली निकाला वहीं, जमशेदपुर में लेफ्ट छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने सीएए के विरोध में सड़क पर मार्च किया और सरकार के विरोध में नारेबाजी की. लेफ्ट कार्यकर्ताओं ने बताया कि देश में रह रहे अल्पसंख्यकों के खिलाफ यह कानून बनाया गया है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लोगों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. नागरिकता के इस नए कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में वामपंथी छात्र संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है.

लेफ्ट कार्यकर्ताओं ने बताया कि नागरिकता संशोधन कानून उसमें निहित जिम्मेवारी को भी नजरअंदाज करता है. धार्मिक उत्पीड़न के अलावा अन्य तरह के आर्थिक राजनीतिक प्रताड़ना के कारण भी लोग दूसरे, खासकर अनुकूल पड़ोसी देशों में शरण चाहते हैं. केंद्र सरकार बार-बार एनआरसी बनाने और घुसपैठियों को बाहर करने की बात कर रही है. एक तरफ दूसरे देशों के लोगों को नागरिकता देने की बात की जा रही है वहीं देश के लोगों को घुसपैठिया बताकर बाहर करने की साजिश कर रही है. असम की एनआरसी का दर्दनाक विफलता का अनुभव सामने है. एनआरसी की गैर जरूरी और तबाही लाने वाली योजना का इरादा देशहित में घुसपैठ रोकने और घुसपैठियों को चिन्हित करने में नाकाम हो जाएगा.

एबीवीपी का समर्थन रैली

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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्वाधान में गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में करमचंद भगत कॉलेज परिसर रांची से एनएच 24 तक अभियान चलाया और जुलूस निकाला. अभियान में सैकड़ों छात्र-छात्राएं शामिल रहे. एबीवीपी के प्रदेश प्रभारी शिवेंद्र सौरभ ने कहा की ये अधिनियम नागरिकता देने के लिए हैं ना की भारतीय की नागरिकता छिनने के लिए. इस कानून के कारण हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जो वहां प्रताड़ित किये जा रहे हैं, उन्हें अब भारत की नागरिकता मिल पाएगी. एबीवीपी के आकाश रक्षित ने कहा कि हम सीएए का स्वागत करते है. इस मौके पर केसीबी कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष हीरामुनी कुमारी, सचिव रोहन कुमार, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अजय साहू, पूर्व उपाध्यक्ष दुर्गेश कुमार, अंकित कुमार सोनी, आकाक्षा कुमारी, प्रीति कुमारी, शोभा कुमारी, सोनम कुमारी, राहुल सिंह, हर्ष टंडन सहित कई छात्र-छात्राएं मौजूद रहे. बहरहाल, नागरिकता संसोधन कानून 2019 को लेकर इसके समर्थन और विरोध में झारखंड के कई जगहों में छात्र संगठन सड़क पर निकलने लगे हैं.

Intro:एंकर-- नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बाद लौहनगरी में लेफ्ट क्षात्र संगठन ने केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया.क्षात्रों ने कहा फांसीवाद ताकत जबरन कानून बना दी है।


Body:वीओ1-- केंद्र सरकार के द्वारा लाया गया यह कानून संविधान के खिलाफ है.देश में रह रहे अल्पसंख्यकों के खिलाफ यह कानून बनाया गया है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लोगों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. नागरिकता के इस नए कानून को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में वामपंथी क्षात्र संगठनों के द्वारा विरोध प्रदर्शन जारी है. यह कानून इस सच और उसमें निहित जिम्मेवारी को भी नजरअंदाज करता है. कि धार्मिक उत्पीड़न के अलावा अन्य तरह के आर्थिक राजनीतिक प्रताड़ना के कारण भी लोग दूसरे खासकर अनुकूल पड़ोसी देशों में शरण चाहते हैं. केंद्र सरकार बार-बार जोर-शोर से एनआरसी बनाने और घुसपैठियों को बाहर करने की बात कर रहे हैं. एक तरफ दूसरे देशों के लोगों को नागरिकता देने की बात की जा रही है. वहीं देश के लोगों में से घुसपैठियों को चिन्हित कर सजा की बात की जा रही है.असम की एनआरसी का दर्दनाक विफलता का अनुभव सामने है. एनआरसी की गैर जरूरी और तबाही लाने वाली योजना का इरादा देश हित में घुसपैठ रोकने और घुसपैठियों को चिन्हित करने में नाकाम हो जाएगा.
बाइट--पंकज कुमार
बाइट--सिमा कुमारी


Conclusion:बहरहाल अन्य राज्यों में नागरिकता संसोधन बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन के बाद लौहनगरी के क्षात्र संगठन भी इसमें कूद पड़े हैं.हालांकि ऐसे कम ही क्षात्र हैं.जो इस बिल की तठस्थ जानकारी रखते हैं।अब देखना ये है कि क्या इस बिल से जनसंख्या में कोई कमी आती है.या फ़िर एक देश एक राष्ट्र की तरफ भारत जा रहा है।
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