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संस्था के सर्वे से उजागर हुई भयावह स्थिति, लौहनगरी के ज्यादातर मासूम है नशे की जद में

बच्चों में नशे की स्थिति काफी गंभीर होती जा रही है. मासूमों को कई बार बहला फुसला कर नशे के जद में डाल दिया जाता है. इससे जुड़े आंकड़े भी काफी चौकाने वाले हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि नशे की सामाग्री चौक चौराहे पर आसानी से मिल जाती है.

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Published : Jul 14, 2019, 1:50 PM IST

जमशेदपुरः जिले में 30 हजार बच्चे नशे की गिरफ्त में हैं. बाल मजदूरी मुक्ति संस्थान के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक10 वर्ष से लेकर 16 वर्ष के बच्चे इसमें शामिल हैं. 18 वर्ष के बच्चों में औसतन नशे की प्रवृति कम है.

देखें पूरी खबर

बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के सर्वे के मुताबिक पूर्वी सिंहभूम में 30, 735 बच्चे नशे में शामिल हैं. 9 महीने के सर्वे के बाद बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के कार्यकर्ताओं ने बताया पूर्वी सिंहभूम में नशा करने वाले बच्चें की संख्या सबसे ज्यादा है.

थानाक्षेत्र बच्चों की संख्या
⦁ मानगो- 4000
⦁ आजादनगर- 2000
⦁ उलीडीह- 1500
⦁ एमजीएम- 800
⦁ पटमदा- 200
⦁ जुगसलाई- 1500
⦁ साकची- 1800
⦁ सिदगोड़ा- 1300
⦁ सीतारामडेरा- 1900
⦁ टेल्को- 1700
⦁ गोविंदपुर- 1500
⦁ बिरसानगर- 1500
⦁ गोलमुरी- 1200
⦁ कदमा- 700
⦁ सोनारी- 115

ये सर्वे बाल मजदूर मुक्ति संस्थान के द्वारा 335 कार्यकर्ताओं के द्वारा कराए गए हैं. जिसमें 12 हजार से अधिक लोगों ने घरों में जाकर परिजनों के साथ आम नागरिकों से संपर्क किया गया है.
ये भी पढ़ें- जल संरक्षण योजना की हकीकत, हजारों लीटर पानी हर दिन हो रहे बर्बाद

49 तरह के नशे का पदार्थ

बच्चे पेट्रोल, शराब, गांजा, दवाएं, गोंद, डेंड्रॉइट, बियर, अफीम, ताड़ी जैसे पदार्थ का सेवन कर रहे हैं. नशे की जद में आने से युवा अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं. चोरी, छिनतई जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. कोल्हान प्रमंडल में 73 हजार बच्चे नशे की जद में हैं. ऐसे में बच्चे अपराध की तरफ प्रवृत हो रहे हैं.
नशे की जद में आने वाले युवा अपने दोस्तों के प्रभाव में आने के कारण भी नशे में शामिल होते हैं. दिमाग को अच्छा रखने के लिए भी बच्चे नशे को स्वीकार कर रहे हैं. कुछ बच्चे बचपन में मिलने वाले दबाव को कम करने के कारण भी नशा करते हैं. कुछ निजी कारणों से भी लोग नशे की लत में जुट जाते हैं.

जमशेदपुरः जिले में 30 हजार बच्चे नशे की गिरफ्त में हैं. बाल मजदूरी मुक्ति संस्थान के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक10 वर्ष से लेकर 16 वर्ष के बच्चे इसमें शामिल हैं. 18 वर्ष के बच्चों में औसतन नशे की प्रवृति कम है.

देखें पूरी खबर

बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के सर्वे के मुताबिक पूर्वी सिंहभूम में 30, 735 बच्चे नशे में शामिल हैं. 9 महीने के सर्वे के बाद बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के कार्यकर्ताओं ने बताया पूर्वी सिंहभूम में नशा करने वाले बच्चें की संख्या सबसे ज्यादा है.

थानाक्षेत्र बच्चों की संख्या
⦁ मानगो- 4000
⦁ आजादनगर- 2000
⦁ उलीडीह- 1500
⦁ एमजीएम- 800
⦁ पटमदा- 200
⦁ जुगसलाई- 1500
⦁ साकची- 1800
⦁ सिदगोड़ा- 1300
⦁ सीतारामडेरा- 1900
⦁ टेल्को- 1700
⦁ गोविंदपुर- 1500
⦁ बिरसानगर- 1500
⦁ गोलमुरी- 1200
⦁ कदमा- 700
⦁ सोनारी- 115

ये सर्वे बाल मजदूर मुक्ति संस्थान के द्वारा 335 कार्यकर्ताओं के द्वारा कराए गए हैं. जिसमें 12 हजार से अधिक लोगों ने घरों में जाकर परिजनों के साथ आम नागरिकों से संपर्क किया गया है.
ये भी पढ़ें- जल संरक्षण योजना की हकीकत, हजारों लीटर पानी हर दिन हो रहे बर्बाद

49 तरह के नशे का पदार्थ

बच्चे पेट्रोल, शराब, गांजा, दवाएं, गोंद, डेंड्रॉइट, बियर, अफीम, ताड़ी जैसे पदार्थ का सेवन कर रहे हैं. नशे की जद में आने से युवा अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं. चोरी, छिनतई जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. कोल्हान प्रमंडल में 73 हजार बच्चे नशे की जद में हैं. ऐसे में बच्चे अपराध की तरफ प्रवृत हो रहे हैं.
नशे की जद में आने वाले युवा अपने दोस्तों के प्रभाव में आने के कारण भी नशे में शामिल होते हैं. दिमाग को अच्छा रखने के लिए भी बच्चे नशे को स्वीकार कर रहे हैं. कुछ बच्चे बचपन में मिलने वाले दबाव को कम करने के कारण भी नशा करते हैं. कुछ निजी कारणों से भी लोग नशे की लत में जुट जाते हैं.

Intro:एंकर--जमशेदपुर में 30 हज़ार बच्चे नशे की गिरफ्त में शामिल हैं.बाल मजदूरी मुक्ति संस्थान के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक.10 वर्ष से लेकर 16 वर्ष के बच्चे इसमें शामिल हैं.18 वर्ष के बच्चों में औसतन नशे की प्रवृति कम है।पेश है एक रिपोर्ट


Body:वीओ1--बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के सर्वे के मुताबिक पूर्वी सिंहभूम में 30735 बच्चे नशे में शामिल हैं.नव महीने के सर्वे के बाद बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के कार्यकर्ताओं ने बताया पूर्वी सिंहभूम जिला नंबर वन पर है.
थाना --बच्चे मानगो-4000
आजादनगर-2000
उलीडीह-1500
एमजीएम-800
पटमदा-200
जुगसलाई-1500
साकची-1800
सिदगोड़ा-1300
सीतारामडेरा-1900
टेल्को-1700
गोविंदपुर-1500
बिरसानगर-1500
गोलमुरी-1200
कदमा-700
सोनारी-115
नोट--यह सर्वे बाल मजदूर मुक्ति संस्थान के द्वारा 335 कार्यकर्ताओं के द्वारा कराए गए हैं.जिसमें 12 हज़ार से अधिक लोगों के द्वारा घरों में जाकर परिजनों के साथ आम नागरिकों से संपर्क किया गया है.
49 तरह के नशे का पदार्थ--गुलाब के फूल,चिचोरी, से,लेकर,पेट्रोल,शराब,गांजा,मिट्टी,कोरेक्स,गोंद,डेंड्रॉइट,बियर,अफीम,चॉकलेट,ताड़ी,जैसे पदार्थ का सेवन कर रहे हैं.
नशे की जद में जाने से युवा अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं.चोरी,छिनतई,जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।कोल्हान प्रमंडल में 73 हज़ार बच्चे नशे की जद में हैंऐसे में बच्चे अपराध की तरफ प्रवृत हो रहे हैं।
बाइट--सदन ठाकुर(बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान)
वीओ2--नशे की जद में आने वाले युवा साथियों के साथ रहने के कारण भी नशे में शामिल होते हैं.दिमाग को अच्छा रखने के लिए भी बच्चे नशे को स्वीकार कर रहे हैं.कुछ बच्चे बचपन की हालत के कारण भी नशे में संलिप्त हो जाते हैं.कुछ निजी कारणों से भी लोग नशे की लत में जुट जाते हैं.
बाइट-- डॉक्टर केशव कुमार (मानसिक रोग के डॉक्टर)



Conclusion:बहरहाल पुलिस सिर्फ गुत्थी को सुलझाने का काम कर रही है.आवश्यकता है नशे के कारोबार को बंद करके इसे जड़ से खत्म किया जाए जिससे लौहनगरी के बच्चे अपना जीवन सँवार सके।
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