जमशेदपुरः झारखंड में बाबूलाल मरांडी की ओर से दिए गए बयान 'आदिवासी जन्म से हिंदू है' इस बयान पर अब राजनीति गरमाने लगी है. आदिवासी सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने बाबूलाल मरांडी के बयान पर विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी का यह बयान आदिवासियों के लिए खतरे की घंटी है. इसके साथ ही उन्होंने अपने बयान में कहा कि बाबूलाल मरांडी संघी गुलाम है.
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आदिवासी समाज को बेचने का दुस्साहस
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की ओर से पिछले दिनों दिया गया बयान 'आदिवासी जन्म से हिंदू है' अब तूल पकड़ता जा रहा है. इस बयान पर राजनीति गरमाने लगी है. पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने बाबूलाल मरांडी के इस ब्यान पर विरोध जताया है और अपना बयान जारी किया है.
सालखन मुर्मू ने बताया है कि बाबूलाल मरांडी का यह बयान गलत, भ्रामक और अपमानजनक है, इसके साथ ही आदिवासियों के लिए खतरे की घंटी है. उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी ने केवल सत्ता सुख और निजी स्वार्थ के लिए आदिवासी समाज को बेचने का दुस्साहस किया है, बाबूलाल संघी गुलाम हैं.
संघ ने बाबूलाल के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के आदिवासियों को गुलाम बनाने के षड्यंत्र को जगजाहिर कर दिया है. ऐसे में पूरे भारत में आदिवासियों को जबरन हिंदू बनाने के इस षड्यंत्र के खिलाफ आदिवासी सेंगल अभियान जोरदार आवाज बुलंद करेगी. सालखन मुर्मू ने भाजपा और आरएसएस को आदिवासी विरोधी बताते हुए कहा कि ये सरना धर्म विरोधी हैं.
पुतला दहन कर राष्ट्रव्यापी विरोध
सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासी सेंगल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी इस मनुवादी षड्यंत्र के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध सप्ताह का आह्वान करती है, जिसके तहत 17 मार्च तक भाजपा और आरएसएस का पुतला दहन कर विरोध दर्ज करेगी. बाबूलाल मरांडी के पीछे मोहन भागवत, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा का हाथ है, बाबूलाल मरांडी के साथ उक्त चारों आदिवासी विरोधियों का पुतला दहन कर राष्ट्रव्यापी विरोध दर्ज किया जाएगा. सालखन मुर्मू ने कहा कि ऐसे मामले में बाकी सभी आदिवासी संगठन को अपनी आवाज बुलंद करने की जरूरत है.
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प्रकृति को ही अपना पालनहार मानते हैं आदिवासी
सालखन मुर्मू ने कहा कि भारत के आदिवासी आर्य नहीं है, वे अनार्य हैं, हिंदू धर्म और संस्कृति आर्यों की देन है, जबकि भारत के आदिवासी आर्यों के पूर्व से भारत में निवास करते रहे हैं, आदिवासी आर्यन नहीं बल्कि द्रविड़ या ऑस्ट्रिक भाषा समूह के लोग हैं, आदिवासियों की भाषा- संस्कृति, इतिहास आर्यों हिंदू से भिन्न है. आदिवासी मूर्ति पूजक नहीं प्रकृति पूजक है, आदिवासी की पूजा पद्धति, सोच संस्कार, पर्व त्योहार आदि सभी प्रकृति से जुड़े हुए हैं. आदिवासी प्रकृति को ही अपना पालनहार मानते हैं.
आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ विरोध सप्ताह
सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासी भारत के असली मूलवासी या इंडीजीनस पीपुल हैं, जबकि बाकी आर्यन बाहर से आए हैं. सिंधु घाटी सभ्यता को नष्ट करते हुए अनार्यों पर हमला कर भारत पर कब्जा जमाया है. अब आरएसएस आदिवासियों को वनवासी, वनमानुष बनाने पर उतारू है. आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी झारखंड, बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम में संगठित रूप से कार्यरत है. इस मुद्दे पर सभी जगहों पर आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ विरोध सप्ताह दर्ज करेगी, ताकि भारत के जनमानस को पता चले कि आदिवासी जन्म से हिंदू नहीं हैं.
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15 करोड़ आदिवासियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण
सालखन मुर्मू ने कहा कि भारत में 2021 वर्ष जनगणना का वर्ष है, अपनी धार्मिक पहचान के साथ जनगणना में शामिल होना हमारा अधिकार है, लेकिन बीजेपी आरएसएस हमारे मौलिक अधिकार फंडामेंटल राइट, मानवीय अधिकार ह्यूमन राइट्स और आदिवासी अधिकार इंडिजेनस पीपल राइट्स-यूएन को दरकिनार कर जबरन हमें हिंदू बनाने पर उतारू है, जबकि झारखंड और बंगाल सरकार ने आदिवासियों की धार्मिक मांग सरना धर्म कोड का अनुशंसा कर दी है.
भाजपा और आरएसएस ने अब तक इस मामले पर चुप्पी साधकर आदिवासी विरोधी, सरना धर्म विरोधी होने का प्रणाम प्रस्तुत कर दिया है, जो भारत के लगभग 15 करोड़ आदिवासियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसे में प्रतीत होता है कि भाजपा आरएसएस बाकी बचे दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों को जबरन अपना गुलाम बनाकर छोड़ेगी.