जमशेदपुर: मिनी मुंबई की तर्ज पर बसे आर्थिक शहर लौहनगरी कहे जाने वाले जमशेदपुर में कई बार छोटे-छोटे स्तर पर गैस का रिसाव हो चुका है, लेकिन फिर भी कंपनी प्रबंधन इसे लेकर कोई व्यापक प्रबंध नहीं कर रही. जिसके कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
2340 छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां
गौरतलब है कि जमशेदपुर में तकरीबन 2340 छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं, जिनमें से अधिकांश फैक्ट्रियां मैनुफैक्चरिंग से जुड़ी हैं. इन कंपनियों से लगातार कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी जहरीली गैस निकलती रहती है. ये जहरीली गैस लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है.
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2015 में हुआ था गैस रिसाव
जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित टाटा स्टील के अंदर 2015 में जहरीली गैस से भरी एक टंकी फट गयी थी. जिस दौरान टंकी के फटने से सैकड़ों मजदूर घायल हो गए थे. इस दौरान कोई भी मजदूर की मौत नहीं हुई थी.
जांच के बाद खोली जाएगी फैक्ट्रियां
जमशेदपुर में कार्यरत फैक्ट्री निरीक्षक ने बताया कि जमशेदपुर में अधिकांश फैक्ट्रियां स्टील मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी है. लॉकडाउन के बाद जो भी फैक्ट्रियां खोली जाएंगी. उनके लिए केंद्र सरकार की तरफ से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. एक आदेश के मुताबिक फैक्ट्रियां में जितने भी कैमिकल्स रखे हुए हैं. उनकी जांच की जाएगी और जांच के बाद ही फैक्ट्रियां को खोला जाएगा.
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फैक्ट्री पर शोध करने वाली छात्रा का कहना है कि जमशेदपुर में कई फैक्ट्रियों में कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी जहरीली गैस जरूरत के मुताबिक उपयोग में लाई जाती हैं, लेकिन कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस के कारण लोगों की जान भी जा सकती है. इसके लिए फैक्ट्री प्रबंधन को इसे लेकर व्यापक प्रबंध करने चाहिए नहीं तो इसके कारण सैकड़ों लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ सकती है.