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ऑनलाइन पढ़ाई के लिए चाहिए था मोबाइल तो घाटशिला में बच्चे बेचने लगे आम - Mobile need for online studies

पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला के एक गांव में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों के पास मोबाइल नहीं था तो ये बच्चे मोबाइल के लिए आम बेचने लगे. पूरे इलाके में इनदिनों इन बच्चों की चर्चा है.

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घाटशिला में मोबाइल के अभाव में बच्चे की पढ़ाई बाधित
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Published : May 30, 2021, 6:06 PM IST

Updated : May 30, 2021, 7:52 PM IST

पूर्वी सिंहभूम/घाटशिलाः कोरोना संक्रमण काल में स्कूल बंद हैं, लेकिन बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है. हालांकि, जादूगोड़ा गांव के बच्चों के पास मोबाइल नहीं है. इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित है. बच्चों को पढ़ाई के लिए मोबाइल चाहिए था तो ये जंगल से आम तोड़कर लाने लगे और इन दिनों सड़क किनारे बेचते हैं. ताकि आम बेचकर मोबाइल खरीद सकें.

देखें पूरी रिपोर्ट

यह भी पढ़ेंःखरखाई नदी में नहाने के दौरान 2 बच्चे डूबे, एक को बचाया गया, दूसरे की तलाश जारी

बच्चा बोला पैसा जुटा रहे

जादूगोड़ा से मुसाबनी मुख्य मार्ग के रोआम के पास बच्चे आम बेच रहे हैं. आम बेचने वाला बच्चे रामू हेंब्रम ने बताया कि जंगल से आम लेकर आते हैं, जिसे 30 रुपये प्रतिकिलो बेचते हैं. एक दिन में 150 से 200 रुपये की आमदनी हो जाती है. उन्होंने बताया कि मोबाइल नहीं होने के कारण पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, तो आम बेचकर मोबाइल खरीदेंगे. जंगल से आम लाकर और बेचकर पैसे जुटा रहे हैं.

किसी तरह चलता है घर का खर्च

बच्चे के पति यशवंत हेंब्रम ने कहा कि हमलोग गरीब हैं, थोड़ी-बहुत खेती है, जिससे साल भर किसी तरह खर्च चलता है. उन्होंने कहा कि बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण पढ़ाई बंद है. मोबाइल होता, तो ऑनलाइन पढ़ाई बाधित नहीं होती. मजबूरन बच्चे आम बेच रहे हैं.

पूर्वी सिंहभूम/घाटशिलाः कोरोना संक्रमण काल में स्कूल बंद हैं, लेकिन बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है. हालांकि, जादूगोड़ा गांव के बच्चों के पास मोबाइल नहीं है. इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित है. बच्चों को पढ़ाई के लिए मोबाइल चाहिए था तो ये जंगल से आम तोड़कर लाने लगे और इन दिनों सड़क किनारे बेचते हैं. ताकि आम बेचकर मोबाइल खरीद सकें.

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बच्चा बोला पैसा जुटा रहे

जादूगोड़ा से मुसाबनी मुख्य मार्ग के रोआम के पास बच्चे आम बेच रहे हैं. आम बेचने वाला बच्चे रामू हेंब्रम ने बताया कि जंगल से आम लेकर आते हैं, जिसे 30 रुपये प्रतिकिलो बेचते हैं. एक दिन में 150 से 200 रुपये की आमदनी हो जाती है. उन्होंने बताया कि मोबाइल नहीं होने के कारण पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, तो आम बेचकर मोबाइल खरीदेंगे. जंगल से आम लाकर और बेचकर पैसे जुटा रहे हैं.

किसी तरह चलता है घर का खर्च

बच्चे के पति यशवंत हेंब्रम ने कहा कि हमलोग गरीब हैं, थोड़ी-बहुत खेती है, जिससे साल भर किसी तरह खर्च चलता है. उन्होंने कहा कि बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण पढ़ाई बंद है. मोबाइल होता, तो ऑनलाइन पढ़ाई बाधित नहीं होती. मजबूरन बच्चे आम बेच रहे हैं.

Last Updated : May 30, 2021, 7:52 PM IST
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