ETV Bharat / state

पंचतत्व में विलीन हुए मां भारती के सपूत गणेश हांसदा, नम आंखों से लोगों ने दी विदाई - जमशेदपुर के शहीद गणेश हांसदा

भारत-चीन के बीच झड़प में शहीद हुए वीर गणेश हांसदा का उनके पैतृक गांव कोसाफालिया में अंतिम संस्कार किया गया. शहीद का पार्थिव शरीर हवाई मार्ग से रांची से उनके गांव लाया गया. इस दौरान इस शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोगों की भीड़ मौजूद थी. इस दौरान लोग भारत माता की जय के नारे लगाते रहे.

martyr ganesh hansda cremated in jamshedpur, पंचतत्व में विलीन हुआ मां भारती का सपूत गणेश हांसदा
डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Jun 19, 2020, 7:24 PM IST

Updated : Jun 19, 2020, 8:31 PM IST

जमशेदपुरः भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुई झड़प में शहीद गणेश हांसदा का पार्थिव शरीर शुक्रवार के दोपहर में उनके पैतृक गांव कोसाफालिया पहुंचा. पार्थिव शरीर को देखने के लिए आसपास के गांव के सभी लोग पहुंचे. हर किसी की आंखों में आंसू तो चेहरे पर सपूत के शहादत का गौरव था.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

हजारों लोगों की भीड़ रही मौजूद

भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में चीन की कायरतापूर्ण हरकत से भारतीय सेना के बीस जवान शहीद हो गए थे. उनमें से एक जवान बहरागोड़ा के कोसाफलिया का वीर सपूत गणेश हांसदा थे. शुक्रवार को हवाई मार्ग से गणेश के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव लाया गया. इस स्वर्णिम पल को अपनी आंखों से देखने के लिए लोगों का हुजूम शहीद के गांव में उमड़ पड़ा. झारखंड के इस शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोगों की भीड़ मौजूद थी. इस दौरान लोग भारत माता की जय के नारे लगाते रहे. शहीद के अंतिम दर्शन के लिए लोग सड़क किनारे, घरों के बाहर और छतों पर जुटे रहे. इस दौरान लोगों ने शहीद गणेश अमर रहे और चीन मुर्दाबाद के भी नारे लगाए गए.

और पढ़ें- झारखंड के सपूत शहीद कुंदन ओझा पंचतत्व में विलीन, आखिरी दर्शन के लिए जुटा हुजूम

देश के लिए सरहद पर अपनी शहादत देने वाले गणेश की उम्र महज 23 वर्ष ही थी. वर्ष 2018 में गणेश ने भारतीय सेना ज्वाइन किया था. चयन के बाद उन्होंने बिहार के दानापुर में 9 महीने तक प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण पूरी करने के बाद गणेश एक महीने के लिए घर आए थे. उनकी पहली पोस्टिंग लद्दाख में हुई थी. वहीं लगातार देश की सेवा करते रहे. इस बीच पिछले दिसंबर महीने में वह दूसरी बार गांव आए थे, फिर फरवरी में लद्दाख चले गए थे. बीच-बीच में वह वहां से घर फोन कर के लोगों का हाल समाचाल लेते रहते थे.

जमशेदपुरः भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हुई झड़प में शहीद गणेश हांसदा का पार्थिव शरीर शुक्रवार के दोपहर में उनके पैतृक गांव कोसाफालिया पहुंचा. पार्थिव शरीर को देखने के लिए आसपास के गांव के सभी लोग पहुंचे. हर किसी की आंखों में आंसू तो चेहरे पर सपूत के शहादत का गौरव था.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

हजारों लोगों की भीड़ रही मौजूद

भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में चीन की कायरतापूर्ण हरकत से भारतीय सेना के बीस जवान शहीद हो गए थे. उनमें से एक जवान बहरागोड़ा के कोसाफलिया का वीर सपूत गणेश हांसदा थे. शुक्रवार को हवाई मार्ग से गणेश के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव लाया गया. इस स्वर्णिम पल को अपनी आंखों से देखने के लिए लोगों का हुजूम शहीद के गांव में उमड़ पड़ा. झारखंड के इस शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोगों की भीड़ मौजूद थी. इस दौरान लोग भारत माता की जय के नारे लगाते रहे. शहीद के अंतिम दर्शन के लिए लोग सड़क किनारे, घरों के बाहर और छतों पर जुटे रहे. इस दौरान लोगों ने शहीद गणेश अमर रहे और चीन मुर्दाबाद के भी नारे लगाए गए.

और पढ़ें- झारखंड के सपूत शहीद कुंदन ओझा पंचतत्व में विलीन, आखिरी दर्शन के लिए जुटा हुजूम

देश के लिए सरहद पर अपनी शहादत देने वाले गणेश की उम्र महज 23 वर्ष ही थी. वर्ष 2018 में गणेश ने भारतीय सेना ज्वाइन किया था. चयन के बाद उन्होंने बिहार के दानापुर में 9 महीने तक प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण पूरी करने के बाद गणेश एक महीने के लिए घर आए थे. उनकी पहली पोस्टिंग लद्दाख में हुई थी. वहीं लगातार देश की सेवा करते रहे. इस बीच पिछले दिसंबर महीने में वह दूसरी बार गांव आए थे, फिर फरवरी में लद्दाख चले गए थे. बीच-बीच में वह वहां से घर फोन कर के लोगों का हाल समाचाल लेते रहते थे.

Last Updated : Jun 19, 2020, 8:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.