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सिस्टम की मार-बेहाल सबर परिवारः ना पानी-ना मकान, बुनियादी सुविधाओं का अभाव

पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला का सबर परिवार बदहाली में जी रहे हैं. इस गांव में सोलर सिस्टम लगाया गया है. लेकिन बदइंतजामी कुछ ऐसी है कि पीने के पानी के नाम पर इनको सिर्फ प्यास ही हाथ लगी है. इस गांव में सिर पर एक अदद छत होना भी बड़ी समस्या है.

Sabar family is lived in dire in Ghatshila
बेहाल सबर परिवार
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Published : Jun 8, 2021, 7:07 AM IST

Updated : Jun 8, 2021, 12:05 PM IST

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूमः जिला के घाटशिला अनुमंडल (Ghatshila Sub-Division) में प्रखंड कार्यालय से करीबन 30 किलोमीटर दूर घुटिया सबर बस्ती का परिवार बदहाली में जीने को मजबूर है. पूरा कुनबा नाला का पानी पीने पर मजबूर हैं. ऐसा नहीं है कि गांव में पानी के लिए जलमीनार नहीं बने हैं. इसके बावजूद हालात ऐसे हैं कि बूंद-बूंद को तरस रहे ग्रामीण नाला से ही अपनी प्यास बुझाने पर मजबूर हैं. घुटिया सबर नाले के किनारे ही बसा है. इस गांव के लोग पानी का सारा काम इसी नाले से करते हैं. नहाने-धोने से लेकर पीने का पानी तक इसी नाले से लिया जाता है.

इसे भी पढ़ें- ऑनलाइन पढ़ाई के लिए चाहिए था मोबाइल तो घाटशिला में बच्चे बेचने लगे आम

घुटिया सबर में पानी के अलावा, सबर बस्ती में जर्जर आवासों की समस्या है. हालत यह है कि बरसात में छत से पानी टपकता है. इन लोगों ने बताया कि बरसात से पहले जर्जर आवासों की मरम्मत करवा दी जाती तो राहत होती. लेकिन इनकी मांग नुमाइंदों के कानों तक नहीं पहुंची. बारिश में तो छत ही झरना बन जाता है. लेकिन इससे पहले प्यास की यहां साफ पेयजल की समस्या खड़ी है.

देखें पूरी खबर

जलमीनार से नहीं मिल रहा पानी

सबर बस्ती में दो जलमीनार बनाए गए हैं, जिनमें से एक 6 महीने से खराब है तो दूसरा पर्याप्त पानी नहीं दे पाता. इन मजबूर परिवारों की मानें तो दूसरा जलमीनार काम तो करता है, पर कड़ी धूप ना हो तो सोलर एनर्जी से चलने वाला यह जलमीनार पानी देने में सक्षम नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से लोग बूंद-बूंद के लिए तरस जाते हैं. गांव के टोटो धीवर के मुताबिक सोलर जलमीनार दो में से एक में कड़ी धूप आने पर ही पानी आता है. इस जलमीनार से पास के ईंट भट्टे के कई मजदूर यहीं से पानी लेते हैं, जिससे यह जलमीनार इलाके के लिए पर्याप्त पानी नहीं दे पाता है.

लॉकडाउन में इन दिनों सबर के परिवार अपना पेट पालने के लिए जंगल में साल के पत्तों से पत्तल बना रहे हैं. गांव की महिला दुरगी सबर ने बताया कि महिलाएं जंगल से पत्ता तोड़कर लाती हैं और दिनभर पत्तल बनाती हैं. एक पत्तल के बदले में इन्हें 1 रुपया मिलता है. ये महिलाएं एक दिन में करीब 100 रुपये कमाती हैं. हालांकि सरकार की ओर से इन सभी परिवारों को राशन मिलता है.

इसे भी पढ़ें- घाटशिला का Tree Man: अब तक लगा चुके हैं 25 हजार पेड़, बचपन से रहा लगाव

नहीं मिली बिरसा आवास योजना का लाभ

घुटिया सबर बस्ती की रहने वाली फुलमनी बताती हैं कि आवास नहीं रहने के कारण वह दूसरे के आवास में रहती हैं. सरकार की ओर से बिरसा आवास के लिए फोटो और कागजात लिए गए. लेकिन अब तक रहने के लिए बिरसा आवास नहीं मिला. घुटिया सबर बस्ती में कई ऐसे परिवार हैं, जो बिरसा आवास नहीं मिलने के कारण जर्जर मकानों में रहने पर मजबूर हैं. गांव की ही सुरूवाली का कहना है कि सबसे अधिक परेशानी बरसात के मौसम में होती है और इन दिनों ये लोग आने वाले दिनों से डरे हुए हैं.

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूमः जिला के घाटशिला अनुमंडल (Ghatshila Sub-Division) में प्रखंड कार्यालय से करीबन 30 किलोमीटर दूर घुटिया सबर बस्ती का परिवार बदहाली में जीने को मजबूर है. पूरा कुनबा नाला का पानी पीने पर मजबूर हैं. ऐसा नहीं है कि गांव में पानी के लिए जलमीनार नहीं बने हैं. इसके बावजूद हालात ऐसे हैं कि बूंद-बूंद को तरस रहे ग्रामीण नाला से ही अपनी प्यास बुझाने पर मजबूर हैं. घुटिया सबर नाले के किनारे ही बसा है. इस गांव के लोग पानी का सारा काम इसी नाले से करते हैं. नहाने-धोने से लेकर पीने का पानी तक इसी नाले से लिया जाता है.

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घुटिया सबर में पानी के अलावा, सबर बस्ती में जर्जर आवासों की समस्या है. हालत यह है कि बरसात में छत से पानी टपकता है. इन लोगों ने बताया कि बरसात से पहले जर्जर आवासों की मरम्मत करवा दी जाती तो राहत होती. लेकिन इनकी मांग नुमाइंदों के कानों तक नहीं पहुंची. बारिश में तो छत ही झरना बन जाता है. लेकिन इससे पहले प्यास की यहां साफ पेयजल की समस्या खड़ी है.

देखें पूरी खबर

जलमीनार से नहीं मिल रहा पानी

सबर बस्ती में दो जलमीनार बनाए गए हैं, जिनमें से एक 6 महीने से खराब है तो दूसरा पर्याप्त पानी नहीं दे पाता. इन मजबूर परिवारों की मानें तो दूसरा जलमीनार काम तो करता है, पर कड़ी धूप ना हो तो सोलर एनर्जी से चलने वाला यह जलमीनार पानी देने में सक्षम नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से लोग बूंद-बूंद के लिए तरस जाते हैं. गांव के टोटो धीवर के मुताबिक सोलर जलमीनार दो में से एक में कड़ी धूप आने पर ही पानी आता है. इस जलमीनार से पास के ईंट भट्टे के कई मजदूर यहीं से पानी लेते हैं, जिससे यह जलमीनार इलाके के लिए पर्याप्त पानी नहीं दे पाता है.

लॉकडाउन में इन दिनों सबर के परिवार अपना पेट पालने के लिए जंगल में साल के पत्तों से पत्तल बना रहे हैं. गांव की महिला दुरगी सबर ने बताया कि महिलाएं जंगल से पत्ता तोड़कर लाती हैं और दिनभर पत्तल बनाती हैं. एक पत्तल के बदले में इन्हें 1 रुपया मिलता है. ये महिलाएं एक दिन में करीब 100 रुपये कमाती हैं. हालांकि सरकार की ओर से इन सभी परिवारों को राशन मिलता है.

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नहीं मिली बिरसा आवास योजना का लाभ

घुटिया सबर बस्ती की रहने वाली फुलमनी बताती हैं कि आवास नहीं रहने के कारण वह दूसरे के आवास में रहती हैं. सरकार की ओर से बिरसा आवास के लिए फोटो और कागजात लिए गए. लेकिन अब तक रहने के लिए बिरसा आवास नहीं मिला. घुटिया सबर बस्ती में कई ऐसे परिवार हैं, जो बिरसा आवास नहीं मिलने के कारण जर्जर मकानों में रहने पर मजबूर हैं. गांव की ही सुरूवाली का कहना है कि सबसे अधिक परेशानी बरसात के मौसम में होती है और इन दिनों ये लोग आने वाले दिनों से डरे हुए हैं.

Last Updated : Jun 8, 2021, 12:05 PM IST
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