जमशेदपुरः दीपों और रोशनी का त्योहार दिपावली के लिए अब कुछ दिन ही शेष बचे हैं. इसको लेकर हर आम और खास तैयारियों में जुटा है. भारतीय संस्कृति में मिट्टी के रंग-बिरंगे दीये की परंपरा है. इसी परंपरा को खास रंग दे रहे हैं, जमशेदपुर से स्पेशल छात्र, इनके बनाये दीये कुछ खास हैं.
इसे भी पढ़ें- मेहनत से रोशन होंगे घर! दीपावली में घूमने लगे कुंभकारों के चाक, विदेशी लाइट्स की जगह दीयों के इस्तेमाल की अपील
दीपावली दीपों का उत्सव है, हर घर आंगन में दीप जलाए जाते हैं. रोशनी का ये त्योहार दीया के बिना अधूरा है. रोशनी और दीपों की बात हो तो स्पेशल दीयों की बात करना लाजिमी है. इन खास दीयों को अपनी कूची से रंग भरा है, जमशेदपुर के खास बच्चों ने. इन रंग-बिरंगे दीयों को कोई ये नहीं कह सकता है कि इनमें उन स्पेशल लोगों ने रंग भरा है, जिन्हें समझ नहीं हैं या मानसिक रूप से लाचार हैं.
जमशेदपुर की जीविका संस्था, जहां के मानसिक रूप से पीड़ित छात्रों ने इन दीयों को अपने हाथों से सजाया-संवारा और उनमें रंग भरा है. सोनारी स्थित जीविका संस्था में मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाता है. इस दौरान उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई गुर सिखाये जाते हैं. इसी क्रम में इस संस्था के बच्चों ने दीये बनाए हैं. इन दीयों को काफी खुबसूरत तरीका से सजाया भी है.
इस संबंध में जीविका के निदेशक अवतार सिंह ने बताया कि दो माह पहले से हम लोग इसकी तैयारी में लग जाते हैं. जमशेदपुर के आसपास गांव जैसे आसानबनी समेत कई जगहों में जाकर कुम्हारों को बोलकर दिए बनाने का ऑर्डर दिया जाता है. दीया बनने के बाद सभी को संस्था में लाया जाता है. यहां पर दीयों को धोकर सुखाया जाता है. इसके बाद इन मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को उनमें रंग भरने के लिए दिया जाता है. रंग भरने का प्रशिक्षण पा चुके ये स्पेशल छात्र अपनी हुनर से दीयों को आकर्षक रंगों से सजाते हैं.
जब छात्रों के द्वारा दीये तैयार कर लिए जाते हैं तो शहर के स्कूलों में इनकी प्रदर्शनी लगाई जाती है. इसके अलावा शहर की कई सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के द्वारा इन दीयों को खरीदा जाता है. इसके साथ ही इन दीयों की मांग पर विदेशों में भी भेजा जाता है. इतना ही नहीं इनकी मेहनत को मूर्त रूप देने के लिए इसे बाजार में बेचा जा रहा है. इनकी कीमत 6 रुपया से लेकर 125 रुपया तक रखा गया है.
मानसिक रूप से दिव्यांग छात्र इन दीयों को बेहरतीन ढंग से रंगते हैं. इनके हुनर का रंग इन दीयों के रंगों से कुछ कम नहीं है. खास छात्रों का ये खास दीया सचमुच में काफी खास है. इस काम से संस्था के छात्र भी काफी खुश रहते हैं. उन्हें भी रंगों के साथ काम करने में मजा आता है. वहीं जीविका संस्था के द्वारा बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है. इससे उनके अभिभावक भी काफी खुश हैं.