जमशेदपुरः कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ-साथ जिले में संक्रमितों के स्वस्थ होने की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. दरअसल, टीएमएच में कोरोना संक्रमित के ठीक होने की गति में तेजी से सुधार हो रहा है. शनिवार को टाटा स्टील कॉरपोरेट कम्यूनिकेशन की ओर से आयोजित टेली प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेडिकल सर्विसेस के जीएम डॉ राजन चौधरी ने इस विषय में विस्तार से जानकारी दी और टीएमएच को लेकर फैल रही अफवाह के संबंध में भी खुल कर बातें की.
डॉक्टर करते हैं संक्रमितों को अटेंड
डॉ. राजन चौधरी ने बताया कि टीएमएच वर्तमान में जिस तरीके की संक्रमितों को सुविधा दे रहा है, वह सबसे बेहतर में से एक है. संक्रमितों की बढ़ती संख्या और दबाव में थोड़ी बहुत कमी जरूर हो रही है, उसे भी दूर करने का प्रयास लगातार जारी है. डॉक्टर संक्रमितों को देखने तक नहीं जा रहे हैं, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि डॉक्टर हर समय संक्रमितों को अटेंड कर रहे हैं और बाकी समय में नर्स, पूरा मेडिकल स्टाफ उनकी सेवा में लगे रहते हैं. मौत के आंकड़ों के संबंध में उन्होंने कहा कि अब तक कोरोना से जितनी भी मौत हुई है, उसमें महज 15 प्रतिशत के ही मौत की वजह शत प्रतिशत कोरोना रही है, अन्य लोग पूर्व से कई गंभीर बीमारी से ग्रसित थे, जिसके कारण वह कोरोना से रिकवर नहीं हो पाए और उनकी मौत हो गई.
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रिकवरी रेट में सुधार
रिकवरी रेट के बारे में डॉ राजन चौधरी ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में इसमें भी अच्छी बढ़त हुई है. पिछले सप्ताह तक टीएमएच में कोरोना संक्रमितों के ठीक होने का दर 66.1 प्रतिशत था, जो इस सप्ताह बढ़ कर 72.49 हो गया है. एक सप्ताह में 6.48 प्रतिशत की सुधार में बढ़त को डॉक्टर अच्छा संकेत मान रहे हैं. अगर पिछले माह की बात करें तो यह रिकवरी रेट 55 से 60 प्रतिशत के बीच था. ऐसे में 12 प्रतिशत से ज्यादा का सुधार होना कोरोना संक्रमितों के लिए अच्छी रिपोर्ट है.
कोरोना संक्रमितों का नि:शुल्क होता है इलाज
जीएम डॉ राजन चौधरी की ओर से यह साफ किया गया है कि कोरोना टेस्ट में किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही है. एक सवाल के जवाब में बताया गया कि कोरोना टेस्ट या संक्रमितों के इलाज के लिए टीएमएच प्रबंधन को बाहर से कोई फंड नहीं मिलता है. किसी भी संक्रमित के एडमिट होने पर उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसका पूरा इलाज नि:शुल्क किया जाता है. इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है और न ही उसके इलाज का खर्च अस्पताल प्रबंधन को बाहर से मिल रहा है. बल्कि यह पूरा फंड अस्पताल प्रबंधन और कंपनी, ट्रस्ट के फंड से किया जा रहा है.