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जमशेदपुर में मनाई गई दानवीर भामाशाह की जंयती, भाजपा नेताओं ने अर्पित किए गए श्रद्धा सुमन

भाजपा द्वारा दानवीर भामाशाह की जंयती की जयंती पर उन्हें याद किया गया.

भामाशाह
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Published : Apr 30, 2020, 9:17 AM IST

जमशेदपुरः जब-जब राणा का भाला चर्चा में आएगा तब तब भामा का दान, दोनों एक जैसे ही थे महान ये वो नींव के पत्थर थे जो दिखे तो कभी नहीं लेकिन खड़ी कर एक चले गये हिंदुत्व की वो बुलंद इमारत जो आज तक लाखों थपेड़े खा कर भी ज्यों की त्यों खड़ी है. आज उस महान दानवीर भामाशाह का जन्मदिवस है जिन्होंने अपनी जमा पूंजी को उस समय धर्ममार्ग पर दान कर दिया था.

भारतीय जनता पार्टी जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार ने कहा कि दान की चर्चा होते ही भामाशाह का नाम स्वयं ही मुंह पर आ जाता है. देश रक्षा के लिए महाराणा प्रताप के चरणों में अपनी सब जमा पूंजी अर्पित करने वाले दानवीर भामाशाह का जन्म अलवर (राजस्थान) में 29 अप्रैल, 1547 को हुआ था.

उनके पिता भारमल्ल तथा माता कर्पूरदेवी थीं. भारमल्ल राणा सांगा के समय रणथम्भौर के किलेदार थे. अपने पिता की तरह भामाशाह भी राणा परिवार के लिए समर्पित थे. एक समय ऐसा आया जब अकबर से लड़ते हुए राणा प्रताप को अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि का त्याग करना पड़ा. वे अपने परिवार सहित जंगलों में रह रहे थे. महलों में रहने और सोने चांदी के बरतनों में स्वादिष्ट भोजन करने वाले महाराणा के परिवार को अपार कष्ट उठाने पड़ रहे थे.

यह भी पढ़ेंः गृह मंत्रालय ने दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को दी घर जाने की अनुमति

राणा को बस एक ही चिन्ता थी कि किस प्रकार फिर से सेना जुटाएं, जिससे अपने देश को मुगल आक्रमणकारियों से चंगुल से मुक्त करा सकें. इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से भाजपा नेत्री रीता मिश्रा, भाजपा नेता राजकुमार शाह, कृष्ण कुमार गुप्ता, युवा नेता पिंटू शाह, छगन सिंह साहू, लोकनाथ साहू उपस्थित थे.

जमशेदपुरः जब-जब राणा का भाला चर्चा में आएगा तब तब भामा का दान, दोनों एक जैसे ही थे महान ये वो नींव के पत्थर थे जो दिखे तो कभी नहीं लेकिन खड़ी कर एक चले गये हिंदुत्व की वो बुलंद इमारत जो आज तक लाखों थपेड़े खा कर भी ज्यों की त्यों खड़ी है. आज उस महान दानवीर भामाशाह का जन्मदिवस है जिन्होंने अपनी जमा पूंजी को उस समय धर्ममार्ग पर दान कर दिया था.

भारतीय जनता पार्टी जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार ने कहा कि दान की चर्चा होते ही भामाशाह का नाम स्वयं ही मुंह पर आ जाता है. देश रक्षा के लिए महाराणा प्रताप के चरणों में अपनी सब जमा पूंजी अर्पित करने वाले दानवीर भामाशाह का जन्म अलवर (राजस्थान) में 29 अप्रैल, 1547 को हुआ था.

उनके पिता भारमल्ल तथा माता कर्पूरदेवी थीं. भारमल्ल राणा सांगा के समय रणथम्भौर के किलेदार थे. अपने पिता की तरह भामाशाह भी राणा परिवार के लिए समर्पित थे. एक समय ऐसा आया जब अकबर से लड़ते हुए राणा प्रताप को अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि का त्याग करना पड़ा. वे अपने परिवार सहित जंगलों में रह रहे थे. महलों में रहने और सोने चांदी के बरतनों में स्वादिष्ट भोजन करने वाले महाराणा के परिवार को अपार कष्ट उठाने पड़ रहे थे.

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राणा को बस एक ही चिन्ता थी कि किस प्रकार फिर से सेना जुटाएं, जिससे अपने देश को मुगल आक्रमणकारियों से चंगुल से मुक्त करा सकें. इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से भाजपा नेत्री रीता मिश्रा, भाजपा नेता राजकुमार शाह, कृष्ण कुमार गुप्ता, युवा नेता पिंटू शाह, छगन सिंह साहू, लोकनाथ साहू उपस्थित थे.

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