दुमकाः झारखंड की उपराजधानी एक पहाड़ी इलाका है और यहां जो छोटे-छोटे नदी और तालाब हैं वह प्रतिवर्ष ठंड के मौसम आते आते पूरी तरह से सूख जाते हैं. इस वर्ष भी यही स्थिति है. प्राकृतिक जल स्रोत लगभग सूख चुके हैं. इसका सीधा असर वाटर लेवल पर पड़ा है और वह काफी नीचे चला गया है. दुमका में वाटर लेवल नीचे जाने से जिले के गांव में पानी की समस्या अभी से उत्पन्न हो गई है. इस समस्या की एक और बड़ी वजह यह है कि कई गांव में जो चापाकल और सोलर वाटर प्लांट लगाए गए हैं, वो वाटर लेवल नीचे जाने और तकनीकी खराबी जी वजह से बेकार हो चुके हैं. जिससे लोगों को पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है.
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सदर प्रखंड के हरणाकुंडी गांव में पानी की समस्या से लोग परेशान
दुमका जिले के सदर प्रखंड के हरणाकुंडी गांव में पानी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं. एक ही जगह एक सोलर वाटर टंकी और चापाकल लगाया गया, लेकिन कई महीने से दोनों खराब हैं. गांव की भवानी देवी ने अपनी जमीन सोलर वाटर टंकी और चापाकल के लिए दी थी ताकि सभी लोगों को पानी आसानी से मिल सके लेकिन दोनों के खराब हो जाने से लोग परेशान हैं और वे जल्द इसे दुरुस्त करने की मांग कर रहे हैं.
सदर प्रखंड के रानीबहाल पंचायत के कठल डीहा और मुड़जोड़ा गांव में पानी की समस्या है. यहां के भी जो प्राकृतिक जल स्रोत हैं वे सूख गए हैं और चापाकल खराब हैं. इसके साथ ही शिकारीपाड़ा प्रखंड के करमाचुआ गांव में भी पानी की समस्या है. सभी लोगों का कहना है कि हमें काफी दूर से पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. प्रशासन इस पर ध्यान दें और जल्द से जल्द हमारी समस्या को दूर करे.
जिला प्रशासन को संज्ञान लेने की आवश्यकता
झारखंड राज्य निर्माण के दो दशक से अधिक बीत जाने के बाद भी अगर लोग पानी के लिए तरस रहे हैं तो साफ समझा जा सकता है कि विकास अभी भी कोसों दूर है. अभी तो सर्दी का मौसम है और अभी से अगर लोगों को पानी की समस्या होने लगेगी तो गर्मी आते आते स्थिति और विकराल हो जाएगी ऐसे में जरूरत है कि जिला प्रशासन इस पर तुरंत संज्ञान लें और लोगों को आसानी से पेयजल मिले इसकी व्यवस्था कराए.