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कॉलेज प्रबंधन की उदासीनता की शिकार छात्राएं, करोड़ों के हॉस्टल हैं, फिर भी किराए के घरों में रहने को मजबूर - दुमका संथालपरगना महाविद्यालय का गर्ल्स

दुमका में छात्राओं के लिए बनाए गए दो छात्रावास महाविद्यालय प्रबंधन की उदासीनता की भेंट चढ़ गये हैं. छात्रावास लगभग 3 वर्ष पहले बनाया गया है, छात्राओं के रहने की व्यवस्था के लिए लाखों के सामान भी खरीदे गए हैं, लेकिन आजतक यह चालू नहीं हो पाया है.

कॉलेज प्रबंधन की उदासीनता की शिकार हॉस्टल
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Published : Oct 6, 2019, 3:21 PM IST

दुमका: झारखंड में सरकारी राशि का किस तरह दुरुपयोग होता है इसका जीता-जागता उदाहरण दुमका के दो सरकारी छात्रावास हैं. दो करोड़ की लागत से बने छात्राओं के दो छात्रावास में रहने के लिए लाखों के सामान भी खरीदे गए, लेकिन प्रबंधन की उदासीनता से यह अब तक बेकार पड़ा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

दुमका के संथाल परगना महिला महाविद्यालय का हॉस्टल और संथाल परगना महाविद्यालय का हॉस्टल लगभग 3 वर्ष पहले बनाया गया है. इसमें छात्राओं के रहने के लिए लाखों के सामान भी खरीदे गए थे, लेकिन उन सारे सामानों का आजतक कोई उपयोग नहीं हो पाया है. महाविद्यालय प्रशासन की उदासीनता के कारण छात्राएं ऊंची कीमतों पर प्राइवेट लॉज और किराए पर कमरा लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. अगर यह हॉस्टल चालू रहता तो छात्राओं को काफी फायदा होता.

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क्या कहती है छात्राएं
छात्राओं का कहना है कि हमें यह जानकारी नहीं है कि हमारे लिए सरकार ने हॉस्टल भी बनवाया है. उनका कहना है कि हमलोग किराए का कमरा लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

क्या कहते हैं छात्र नेता
इस संबंध में जब छात्र नेता गुंजन मरांडी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह महाविद्यालय प्रबंधन की उदासीनता है. उन्होंने जानकारी दी कि इन हॉस्टलों में करोड़ों के सामान खरीदे गए हैं, लेकिन फिर भी जरूरत के सभी सामान प्रबंधन की उदासीनता के कारण अबतक नहीं खरीदे जा सके हैं.

इसे भी पढ़ें:- दुमका में लगातार बारिश से जनजीवन प्रभावित, बाजार में पसरा सन्नाटा, दुकानदार निराश

क्या कहना है एसपी महिला कॉलेज के प्रिंसिपल का
संथाल परगना महिला महाविद्यालय की प्रिंसिपल पुष्पा रानी से जब इसे लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हॉस्टल क्यों बंद पड़ा है. इसकी जानकारी मुझे नहीं है. उन्होंने कहा हॉस्टल को चालू कराए जाने को लेकर प्रयास जारी है और इसे जल्द चालू करवाया जाएगा.

दुमका: झारखंड में सरकारी राशि का किस तरह दुरुपयोग होता है इसका जीता-जागता उदाहरण दुमका के दो सरकारी छात्रावास हैं. दो करोड़ की लागत से बने छात्राओं के दो छात्रावास में रहने के लिए लाखों के सामान भी खरीदे गए, लेकिन प्रबंधन की उदासीनता से यह अब तक बेकार पड़ा है.

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दुमका के संथाल परगना महिला महाविद्यालय का हॉस्टल और संथाल परगना महाविद्यालय का हॉस्टल लगभग 3 वर्ष पहले बनाया गया है. इसमें छात्राओं के रहने के लिए लाखों के सामान भी खरीदे गए थे, लेकिन उन सारे सामानों का आजतक कोई उपयोग नहीं हो पाया है. महाविद्यालय प्रशासन की उदासीनता के कारण छात्राएं ऊंची कीमतों पर प्राइवेट लॉज और किराए पर कमरा लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. अगर यह हॉस्टल चालू रहता तो छात्राओं को काफी फायदा होता.

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क्या कहती है छात्राएं
छात्राओं का कहना है कि हमें यह जानकारी नहीं है कि हमारे लिए सरकार ने हॉस्टल भी बनवाया है. उनका कहना है कि हमलोग किराए का कमरा लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

क्या कहते हैं छात्र नेता
इस संबंध में जब छात्र नेता गुंजन मरांडी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह महाविद्यालय प्रबंधन की उदासीनता है. उन्होंने जानकारी दी कि इन हॉस्टलों में करोड़ों के सामान खरीदे गए हैं, लेकिन फिर भी जरूरत के सभी सामान प्रबंधन की उदासीनता के कारण अबतक नहीं खरीदे जा सके हैं.

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क्या कहना है एसपी महिला कॉलेज के प्रिंसिपल का
संथाल परगना महिला महाविद्यालय की प्रिंसिपल पुष्पा रानी से जब इसे लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हॉस्टल क्यों बंद पड़ा है. इसकी जानकारी मुझे नहीं है. उन्होंने कहा हॉस्टल को चालू कराए जाने को लेकर प्रयास जारी है और इसे जल्द चालू करवाया जाएगा.

Intro:दुमका -
झारखंड में सरकारी राशि का किस तरह दुरुपयोग होता है इसका नमूना हम दुमका में दो करोड़ की लागत से बने लड़कियों के दो सरकारी छात्रावास को देखकर लगा सकते हैं । इसमें से एक हॉस्टल संथालपरगना महिला महाविद्यालय और दूसरा संथालपरगना महाविद्यालय में लगभग 3 वर्ष पहले बना । इसमें छात्राओं के रहने के लिए इस्तेमाल के लाखों के सामान भी खरीदे गए लेकिन प्रबंधन की उदासीनता से यह अब तक बंद है । जबकि दुमका के आसपास के सैकड़ों गांव के हजारों लड़कियां शहर में ऊंची कीमतों पर प्राइवेट लॉज और किराये के कमरे लेकर पढ़ाई करने को मजबूर है । अगर यह हॉस्टल चालू रहता तो इसमें उनका काफी पैसा बचता ।


Body:क्या कहती है छात्राएं ।
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इन छात्राओं का कहना है कि हमें तो यह तक जानकारी नहीं है कि हमारे लिए सरकार ने हॉस्टल बनाया है । वह कहती है कि हम किराए लेकर पढ़ाई कर रहे हैं । अगर यह सरकारी हॉस्टल चालू हो जाता तो काफी सुविधा होती ।

बाईट - पूजा , छात्रा
बाईंट -

क्या कहना है छात्र नेता का ।
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इस संबंध में जब हमने छात्र नेता गुंजन मराण्डी से बात की उन्होंने कहा कि यह सरासर प्रबंधन की उदासीनता है और दूसरी बात यह है कि इन हॉस्टलों में अभी भी जो सामान चाहिए वह नहीं है । वे सरकार से मांग करते हैं कि छात्राओं के हित में जल्द से जल्द इन छात्रावासों को चालू कराया जाए ।

बाईंट - गुंजन मराण्डी , छात्र नेता


Conclusion:क्या कहना है एसपी महिला कॉलेज के प्रिंसिपल का ।
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इस संबंध में जब हमने संथालपरगना महिला महाविद्यालय की प्रिंसिपल पुष्पा रानी प्रसाद से बात की तो उन्होंने कहा कि अब तक बंद के विषय मे वह बता नहीं सकती लेकिन वह हॉस्टल को चालू कराने के प्रयास में लगी हुई है और जल्द ही इसे चालू कराया जाएगा ।

बाईंट - पुष्पारानी प्रसाद , प्रिंसिपल , संथालपरगना महिला महाविद्यालय

फाईनल वीओ -
बड़ा सवाल यह है कि अगर छात्राओं के इन दोनों हॉस्टल को बंद ही रखना था तो दो करोड़ की राशि खर्च क्यों की गई । अब जब यह मामला प्रकाश में आ गया है तो सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द इन छात्रावासों को चालू कराएं ताकि छात्रा छात्राओं को सुविधा हो ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका
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