दुमकाः सरकार के द्वारा आदिवासियों के उत्थान के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इन सब पर सरकार की बड़ी राशि खर्च होती है. जनजातीय समाज कैसे आगे बढ़े । उनकी कला-संस्कृति को कैसे ज्यादा से ज्यादा समृद्ध बनाया जाए और उसे दूर-दूर तक पहुंचाया जाए इन सभी मुद्दों पर काफी चर्चा होती है. लेकिन तमाम संजीदगी विचारों के मंच पर ही दिखती है. जमीनी हकीकत देखनी हो तो दुमका के ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को देखिए,
2008 में खुला ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट पिछले वर्ष हो गया बंदः झारखंड सरकार ने 2008 में दुमका में डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान की स्थापना की थी. कल्याण विभाग द्वारा संचालित इस संस्थान में लगभग एक दर्जन अधिकारियों और कर्मचारियों की एक टीम पदस्थापित की गई. इसमें आदिवासी समाज से जुड़े तमाम पहलुओं के रिसर्च की व्यवस्था की गई. साथ ही साथ यह भी व्यवस्था की गई कि अगर कोई अन्य व्यक्ति जनजातीय समाज से जुड़े किसी मुद्दे पर शोध करना चाहते हैं तो यह संस्थान उन्हें सहयोग प्रदान करेगा.
इसमें भारत की लगभग सभी आदिवासी - जनजातीय भाषा, कला-संस्कृति, पर्व-त्योहार, खानपान, समाज के महापुरुष, लेखक, क्रांतिकारी-आंदोलनकारी के साथ अन्य विषयों से संबंधित हजारों पुस्तकें रखी गई हैं. इसके साथ ही जनसंख्या, शैक्षणिक स्थिति, आर्थिक स्थिति के आंकड़े उपलब्ध हैं. संस्थान के अधिकारी सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में जाकर आदिवासियों से रिसर्च करते थे. उनके लिए कौन सी योजना बेहतर रहेगी, उनका विकास कैसे होगा इस पर रिपोर्टिंग हो रही थी. कुल मिलाकर यह संस्थान अपने उद्देश्यों की पूर्ति करा रहा था कि अचानक इसके प्रति विभाग का रवैया उदासीन हो गया. देखते-देखते इसके अधिकारी और कर्मी यहां से हटाए जाने लगे. काफी दिनों तक एक गार्ड के भरोसे यह टीआरआई खुलता पर वह भी ज्यादा दिन नहीं चला. अंततः 2021 में यह बंद हो गया(Tribal Research Institute closed in Dumka).
क्या कहते हैं जनजातीय समाज से जुड़े स्थानीयः जनजातीय शोध संस्थान के बंद हो जाने से स्थानीय लोग काफी मायूस हैं. उनका कहना है कि एक तरफ सरकार लाखों रुपए खर्च करती है. वहीं दूसरी ओर दुमका में इतना महत्वपूर्ण रिसर्च इंस्टीट्यूट पर ताला लग गया और किसी ने इसकी सुध नहीं ली. उनका कहना है कि झारखंड राज्य के गठन का एक प्रमुख उद्देश्य यहां के जनजातीय समाज को समृद्ध बनाना था और शायद इसी उद्देश्य के साथ इंस्टीट्यूट उपराजधानी में स्थापित हुआ. कुछ वर्ष अच्छा चला भी लेकिन हाल के दिनों में इसकी स्थिति बदहाल होती चली गई और अब तो यह बंद हो चुका है. लोग इसे जल्द से जल्द खुलवाने की मांग कर रहे हैं.