दुमका: पानी की किल्लत और जागरुकता के अभाव के चलते दुमका में स्वच्छ भारत अभियान दम तोड़ रहा है. दुमका जिला कागजों पर तो ओडीएफ घोषित हो गया लेकिन हकीकत इसके उलट है. ग्रामीण इलाकों में घरों में शौचालय होने के बावजूद लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दुमका में 2,39,211 शौचालय निर्माण का लक्ष्य है. इसमें 2,15,030 शौचालय का निर्माण हो चुका है. प्रतिशत से हिसाब से 90% टागरेट पूरा कर लिया गया है.
शौचालय में अनाज और जलावन रख रहे लोग
दुमका के ग्रामीण इलाकों में शौचालय का निर्माण जलावन और अनाज रखने के लिए किया जा रहा है. जामा प्रखंड के नावाडीह गांव और सदर प्रखंड के सांपडहर गांव में लोग शौचालय के इस्तेमाल को लेकर जागरुक नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में पानी की समस्या है. पथरीला जमीन होने की वजह से चापाकल से कम पानी निकलता है. गांव में अगर बेहतर पानी की व्यवस्था हो तो शौचालय का इस्तेमाल करने में कोई दिक्कत नहीं हैं.
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पानी की किल्लत के कारण नहीं कर रहे शौचालय का इस्तेमाल
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार चौधरी का कहना है कि जिनके पास स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय निर्माण का दायित्व है उनका कहना है कि 90% घरों में हमने शौचालय का निर्माण करा दिया है. उन्हें पानी की समस्या से भी अवगत कराया गया है. जल-जीवन मिशन की योजना के तहत घर-घर पानी पहुंचाया जा रहा है. इसको लेकर तेजी से काम चल रहा है. 2024 तक सभी घरों में पानी पहुंच जाएगा.
उपायुक्त का निर्देश-लोगों को शौचालय के इस्तेमाल का महत्व समझाएं
उपायुक्त राजेश्वरी बी का कहना है कि लोगों की खुले में शौच की प्रवृत्ति बिमारियों को जन्म दे रही है. लोग डायरिया और अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. स्वच्छता विभाग के कर्मचारियों से लेकर अधिकरियों को यह निर्देश दिया गया है कि लोगों को शौचालय के इस्तेमाल का महत्व समझाएं. लोगों को जागरुक करें. लोगों को स्वच्छता का महत्व समझाएं और यह बताएं कि शौचलाय का निर्माण क्यों किया गया है. लोगों को बताएं कि खुले में शौच से बीमारी फैलती है और इसका इस्तेमाल सभी लोग करें.