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बेमौसम बारिश से आम-लीची की खेती को नुकसान, सरकार से मदद उम्मीद

दुमका में बेमौसम बारिश के वजह से आम और लीची के फसल को काफी नुकसान हुआ है. किसान फलों की बर्बादी देख कर मायूस हो चुके हैं. वहीं, किसानों ने सरकार से मदद की अपील की है.

rains harm mango litchi farming in dumka
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Published : May 8, 2020, 9:10 PM IST

दुमका: बेमौसम लगातार हो रही बारिश और आंधी की वजह से फलदार वृक्षों को काफी नुकसान हुआ है. खासतौर पर आम और लीची का फसल काफी बर्बाद हुआ है. आम और लीची जो 20 से 25 दिन में तैयार हो जाते थे. वो आंधी-बारिश के कारण नीचे गिर गए या फिर फल पेड़ पर ही खराब हो गए.

देखें स्पेशल स्टोरी

इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसके साथ ही बहुत सारे ऐसे किसान है जिनका खुद का बगान नहीं है. जो सरकारी और निजी बगानों को लीज पर ले लेते हैं और अपने स्तर पर उन वृक्षों का देखभाल कर उसके फल का व्यवसाय करते हैं. ऐसे भी व्यवसायियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है क्योंकि सरकार हो या निजी बागान मालिक, इनसे पहले ही पैसे ले लेते हैं. किसानों को इस आंधी बारिश की वजह से खर्चा जुटाना मुश्किल हो गया है.

क्या कहते हैं किसान

किसान जिनका फसल खराब हो गया है वे कहते हैं कि इस बार बेमौसम बारिश ने हमें तबाह कर दिया है. हमारे अधिकांश आम और लीची नीचे गिर गए हैं. वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

क्या कहती हैं दुमका की उपायुक्त

इस संबंध में जब हमने दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने बताया कि फसल के नुकसान होने पर दो तरह से बीमा दिया जाता है. एक तरीका केंद्र सरकार के फसल बीमा योजना का है, जिसमें किसानों का रजिस्ट्रेशन और उनके फसल का बीमा होती है. अगर उनके फसलों को नुकसान होता है तो बीमा राशि सरकार के द्वारा दी जाती है. वहीं, दूसरी योजना में प्राकृतिक आपदा की वजह से किसान को नुकसान होता है तो उसका आकलन कर क्षतिपूर्ति दी जाती है.

आम का बागान हो या लीची बागान, आप वहां जाएंगे तो निश्चित रूप से देख सकते हैं कि इन किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. उनके फल बर्बाद हो चुके हैं. ऐसे में राज्य सरकार को जल्द से जल्द इन किसानों को मदद पहुंचाने की आवश्यकता है.

दुमका: बेमौसम लगातार हो रही बारिश और आंधी की वजह से फलदार वृक्षों को काफी नुकसान हुआ है. खासतौर पर आम और लीची का फसल काफी बर्बाद हुआ है. आम और लीची जो 20 से 25 दिन में तैयार हो जाते थे. वो आंधी-बारिश के कारण नीचे गिर गए या फिर फल पेड़ पर ही खराब हो गए.

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इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसके साथ ही बहुत सारे ऐसे किसान है जिनका खुद का बगान नहीं है. जो सरकारी और निजी बगानों को लीज पर ले लेते हैं और अपने स्तर पर उन वृक्षों का देखभाल कर उसके फल का व्यवसाय करते हैं. ऐसे भी व्यवसायियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है क्योंकि सरकार हो या निजी बागान मालिक, इनसे पहले ही पैसे ले लेते हैं. किसानों को इस आंधी बारिश की वजह से खर्चा जुटाना मुश्किल हो गया है.

क्या कहते हैं किसान

किसान जिनका फसल खराब हो गया है वे कहते हैं कि इस बार बेमौसम बारिश ने हमें तबाह कर दिया है. हमारे अधिकांश आम और लीची नीचे गिर गए हैं. वह सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

क्या कहती हैं दुमका की उपायुक्त

इस संबंध में जब हमने दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने बताया कि फसल के नुकसान होने पर दो तरह से बीमा दिया जाता है. एक तरीका केंद्र सरकार के फसल बीमा योजना का है, जिसमें किसानों का रजिस्ट्रेशन और उनके फसल का बीमा होती है. अगर उनके फसलों को नुकसान होता है तो बीमा राशि सरकार के द्वारा दी जाती है. वहीं, दूसरी योजना में प्राकृतिक आपदा की वजह से किसान को नुकसान होता है तो उसका आकलन कर क्षतिपूर्ति दी जाती है.

आम का बागान हो या लीची बागान, आप वहां जाएंगे तो निश्चित रूप से देख सकते हैं कि इन किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. उनके फल बर्बाद हो चुके हैं. ऐसे में राज्य सरकार को जल्द से जल्द इन किसानों को मदद पहुंचाने की आवश्यकता है.

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