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झारखंडः मकर संक्रांति पर लगाई गई आस्था की डुबकी, नदियों व घाटों पर उमड़े श्रद्धालु - मकर संक्रांति पर किया गंगा स्नान

झारखंड में मकर संक्रांति का पर्व पारंपरिक हर्षोल्लास से मनाया गया. हालांकि इस बार कोरोना के कारण ज्यादा भीड़ नहीं देखी गई. सादगीपूर्ण तरीके से पर्व मनाया गया. फिर भी लोगों ने नदियों व घाटों में आस्था की डुबकी लगाई.

गंगा स्नान
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Published : Jan 14, 2021, 4:15 PM IST

सिमडेगा: जिले में इस बार मकर संक्रांति का पर्व सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया. जिला मुख्यालय से करीब 14 किमी दूर भैरव पहाड़ी धाम आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है. खासियत यह कि प्रत्येक वर्ष यहां मकर संक्रांति के पावन व महत्वपूर्ण मौके पर अनुष्ठान व मेला का आयोजन किया जाता है. झारखंड में मकर संक्रांति पर लोगों ने गंगा न अन्य नदियों में आस्था की डुबकी लगाई.

वैसे इस बार यहां कोरोना के कारण यहां सादगीपूर्ण केवल अनुष्ठान का ही आयोजन किया जाएगा. इस धाम की स्थापना 2002 में हुई थी. तब तत्कालीन वन पदाधिकारी आनंद झा ने ईश्वर से प्रेरणा मिलने के बाद धाम के विकास के लिए नींव रखी थी.

इसके उपरांत स्थानीय लोगों की कमेटी बनाकर धाम के विकास कार्य को अनवरत जारी रखा गया है. आज फुलवाटांगर में स्थित यह धाम अब धार्मिक पर्यटक का रूप ले लिया है.

पहाड़ की तलहटी में बनी गुफा में ही मुख्य मंदिर है. गुफा में प्रवेश के दौरान ही सर्वप्रथम पहाड़ पर बजरंग बली की प्रतिमा विराजमान हैं.

वहीं अंदर में संकटनाशक भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित हैं. जबकि गुफा के आखिरी में भगवान भोलेदेव की प्रतिमा स्थापित की गई है.

बीरू रियासत के युवराज दुर्गविजय सिंह देव कहते हैं कि भैरव बाबा पहाड़ी अपने आप में अद्भुत है. पहाड़ के शिखर पर बनी मानव आकृति के कारण ही यह भैरव धाम के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि धाम के विकास के लिए कई कार्य प्रस्तावित है.

दुमका में तातलोई नदी गर्म जलकुंड

दुमका जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में गर्म जल कुंड तातलोई सुमार है, जो सैलानियों को अपने ओर आकर्षित किया करते हैं. दुमका-भागलपुर मुख्य मार्ग बारापलासी बाजार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गर्म जल कुंड चारों ओर से प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा है.

एक तरफ जहां तातलोई नदी गर्म जल कुंड नंगी का पांव पखारती है, वहीं दूसरी तरफ चारों ओर पहाड़ियां भी चार चांद लगाने में कम नहीं है, जोकि सैलानियों एवं पिकनिक मनाने वालों को अपनी ओर खींच लाती है. यहां वर्तमान में चार जल कुंड एक कूप एक यात्री सेड का निर्माण कराया गया है.

तातलोई गर्म जलकुंड में सालों भर यात्रियों का आना लगा रहता है लेकिन यहां 25 दिसम्बर बड़ा दिन से 15 जनवरी तक पिकनिक मनाने वालों एवं मकर सक्रांति मले में डुबकी लगाने वाले सैलानियों का तांता लगा रहता है.

मकर संक्रांति पर 12 से 15 जनवरी तक मेला का आयोजन किया जाता है जो बुधवार बारह ज़नवरी से मेला का प्रारंभ हुआ. यहां मेला देखने एवं गर्म जलकुंड में डुबकी लगाने दूर-दूर से आने वाले सैलानियों की तादाद काफी बढ़ जाती है.

यहां मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि यहां डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं को चर्म रोग एवं पेट संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. धार्मिक आस्था के लिए भी लोग अपने तन मन की पवित्रता के लिए मकर सक्रांति में डुबकी लगाने आते हैं.

इसी तरह जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित प्राचीन शिव मंदिर जामधारा में कोलकाता से आए भक्तों ने की विशेष पूजा अर्चना, गरीबों के बीच भोजन और वस्त्र का किया वितरण.

जामधारा गांव की पहाड़ी पर स्थित प्रसिद्ध योगेश्वर नाथ महादेव मंदिर में कोलकाता से आए श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा अनुष्ठान किया.इस अवसर पर एक भंडारा का भी आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया.

बोकारो में लगाई गई आस्था की डुबकी

बोकारो में मकर संक्रांति के मौके पर तेलमोच्चो पुल के निकट दामोदर नदी में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी, लड़कियों ने दामोदर नदी में किया टुसू मनी का विसर्जन.

मान्यता यह है कि आज के दिन भगवान सूर्य उत्तरायण होते हैं और इस दिन नदियों में जाकर आस्था की डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति और रोग का नाश होता है. जिस तरह से कोरोना महामारी का यह वर्ष रहा है.

इसके बावजूद दामोदर नदी में लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं देखी गई. सभी लोग अहले सुबह दामोदर नदी में स्नान और पूजा पाठ करते नजर आए. भीड़ तो काफी थी लेकिन लोगों में कोरोना को लेकर कोई डर नहीं देखा गया.

लोग बिना मास्क के नदी में आते जाते देखे गए. इस दौरान मान्यता के मुताबिक लड़कियों ने अपनी टुसू रानी का भी विसर्जन किया.

इस दौरान लड़कियां पारंपरिक गीत भी गाती नजर आयीं. भीड़ को देखकर हम यह कह सकते हैं की कोरोना संक्रमण पर भक्ति और उत्साह भारी पड़ता नजर आया.

जामताड़ा में नदियों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी

मकर संक्रांति के त्योहार को लेकर जामताड़ा में उत्साह का माहौल बना रहा. कर संक्रांति के मौके पर नदियों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही.

मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में काफी श्रद्धा और भक्ति पूर्ण माहौल में मनाया जाता है . इस दिन नदी और गंगा स्नान का काफी महत्व है.

स्नान कर लोग पूजा पाठ करते हैं तिल का दान करते हैं और पितरों को खुश करते हैं. मकर संक्रांति को लेकर जामताड़ा में काफी उत्साह का माहौल रहा नदियों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही .

मकर संक्रांति को लेकर नदियों में श्रद्धालुओं की भीड़ काफी उमड़ी रही .नदी में जाकर लोगों ने सपरिवार जाकर स्नान किए और श्रद्धा की डुबकी लगाई.

यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना था कि प्रत्येक साल के भांति मकर संक्रांति काफी श्रद्धा के साथ हिंदू धर्म में मनाते हैं. नदी में स्नान सपरिवार करते हैं. पूजा पाठ करते हैं और दान पुण्य करते हैं. इस दिन के बाद अपना शुभ कार्य शुरू करते हैं .

मकर संक्रांति के मौके पर जामताड़ा के अजय नदी एवं विभिन्न नदियों पर काफी संख्या में श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं. पूजा-पाठ भी करते हैं और दान पुण्य भी करते हैं.

इसे लेकर काफी श्रद्धा उत्साह का माहौल बना रहता है. दिन में जहां लोग दही चूड़ा तिलकुट खाते हैं. तिल का दान करते हैं तो ही शाम को खिचड़ी खाते हैं .

धनबाद में दिखा भारी उत्साह

धनबाद में झरिया के सुदामडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत दामोदर नदी के मोहलबनी घाट पर दूर दराज से आये भक्तों ने गुरुवार को मकरसंक्रांति के मौके पर आस्था की डुबकी लगाई.

इस मौके पर भक्तों ने दानपुण्य भी किया. हजारों की भीड़ में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो सका.

सनातन धर्म में मकर संक्रांति के पर्व का विशेष महत्व है. इस बार मकर संक्रांति पर विशेष संयोग बन रहे हैं. जिससे इस पर्व की महत्ता और बढ़ गई है.

सूर्य जब अपने पुत्र की राशि मकर में प्रवेश करते हैं उस दिन मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है. इस बार सूर्य 14 जनवरी 2021को 8 बजकर 14 मिनट पर प्रवेश करने वाले हैं.

सूर्य के मकर में आते ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा और फिर मांगलिक कार्य शुरू हो जाएगी. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर पांच ग्रहों का संयोग बनेगा, जिसमें सूर्य, बुध, गुरु, चंद्रमा और शनि भी शामिल रहेंगे.

इस विशेष संयोग में पवित्र नदी गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय पुण्य का फल प्राप्त होता है.

सिमडेगा: जिले में इस बार मकर संक्रांति का पर्व सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया. जिला मुख्यालय से करीब 14 किमी दूर भैरव पहाड़ी धाम आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है. खासियत यह कि प्रत्येक वर्ष यहां मकर संक्रांति के पावन व महत्वपूर्ण मौके पर अनुष्ठान व मेला का आयोजन किया जाता है. झारखंड में मकर संक्रांति पर लोगों ने गंगा न अन्य नदियों में आस्था की डुबकी लगाई.

वैसे इस बार यहां कोरोना के कारण यहां सादगीपूर्ण केवल अनुष्ठान का ही आयोजन किया जाएगा. इस धाम की स्थापना 2002 में हुई थी. तब तत्कालीन वन पदाधिकारी आनंद झा ने ईश्वर से प्रेरणा मिलने के बाद धाम के विकास के लिए नींव रखी थी.

इसके उपरांत स्थानीय लोगों की कमेटी बनाकर धाम के विकास कार्य को अनवरत जारी रखा गया है. आज फुलवाटांगर में स्थित यह धाम अब धार्मिक पर्यटक का रूप ले लिया है.

पहाड़ की तलहटी में बनी गुफा में ही मुख्य मंदिर है. गुफा में प्रवेश के दौरान ही सर्वप्रथम पहाड़ पर बजरंग बली की प्रतिमा विराजमान हैं.

वहीं अंदर में संकटनाशक भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित हैं. जबकि गुफा के आखिरी में भगवान भोलेदेव की प्रतिमा स्थापित की गई है.

बीरू रियासत के युवराज दुर्गविजय सिंह देव कहते हैं कि भैरव बाबा पहाड़ी अपने आप में अद्भुत है. पहाड़ के शिखर पर बनी मानव आकृति के कारण ही यह भैरव धाम के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कहा कि धाम के विकास के लिए कई कार्य प्रस्तावित है.

दुमका में तातलोई नदी गर्म जलकुंड

दुमका जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों में गर्म जल कुंड तातलोई सुमार है, जो सैलानियों को अपने ओर आकर्षित किया करते हैं. दुमका-भागलपुर मुख्य मार्ग बारापलासी बाजार से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गर्म जल कुंड चारों ओर से प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा है.

एक तरफ जहां तातलोई नदी गर्म जल कुंड नंगी का पांव पखारती है, वहीं दूसरी तरफ चारों ओर पहाड़ियां भी चार चांद लगाने में कम नहीं है, जोकि सैलानियों एवं पिकनिक मनाने वालों को अपनी ओर खींच लाती है. यहां वर्तमान में चार जल कुंड एक कूप एक यात्री सेड का निर्माण कराया गया है.

तातलोई गर्म जलकुंड में सालों भर यात्रियों का आना लगा रहता है लेकिन यहां 25 दिसम्बर बड़ा दिन से 15 जनवरी तक पिकनिक मनाने वालों एवं मकर सक्रांति मले में डुबकी लगाने वाले सैलानियों का तांता लगा रहता है.

मकर संक्रांति पर 12 से 15 जनवरी तक मेला का आयोजन किया जाता है जो बुधवार बारह ज़नवरी से मेला का प्रारंभ हुआ. यहां मेला देखने एवं गर्म जलकुंड में डुबकी लगाने दूर-दूर से आने वाले सैलानियों की तादाद काफी बढ़ जाती है.

यहां मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि यहां डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं को चर्म रोग एवं पेट संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. धार्मिक आस्था के लिए भी लोग अपने तन मन की पवित्रता के लिए मकर सक्रांति में डुबकी लगाने आते हैं.

इसी तरह जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित प्राचीन शिव मंदिर जामधारा में कोलकाता से आए भक्तों ने की विशेष पूजा अर्चना, गरीबों के बीच भोजन और वस्त्र का किया वितरण.

जामधारा गांव की पहाड़ी पर स्थित प्रसिद्ध योगेश्वर नाथ महादेव मंदिर में कोलकाता से आए श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा अनुष्ठान किया.इस अवसर पर एक भंडारा का भी आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया.

बोकारो में लगाई गई आस्था की डुबकी

बोकारो में मकर संक्रांति के मौके पर तेलमोच्चो पुल के निकट दामोदर नदी में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी, लड़कियों ने दामोदर नदी में किया टुसू मनी का विसर्जन.

मान्यता यह है कि आज के दिन भगवान सूर्य उत्तरायण होते हैं और इस दिन नदियों में जाकर आस्था की डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति और रोग का नाश होता है. जिस तरह से कोरोना महामारी का यह वर्ष रहा है.

इसके बावजूद दामोदर नदी में लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं देखी गई. सभी लोग अहले सुबह दामोदर नदी में स्नान और पूजा पाठ करते नजर आए. भीड़ तो काफी थी लेकिन लोगों में कोरोना को लेकर कोई डर नहीं देखा गया.

लोग बिना मास्क के नदी में आते जाते देखे गए. इस दौरान मान्यता के मुताबिक लड़कियों ने अपनी टुसू रानी का भी विसर्जन किया.

इस दौरान लड़कियां पारंपरिक गीत भी गाती नजर आयीं. भीड़ को देखकर हम यह कह सकते हैं की कोरोना संक्रमण पर भक्ति और उत्साह भारी पड़ता नजर आया.

जामताड़ा में नदियों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी

मकर संक्रांति के त्योहार को लेकर जामताड़ा में उत्साह का माहौल बना रहा. कर संक्रांति के मौके पर नदियों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही.

मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में काफी श्रद्धा और भक्ति पूर्ण माहौल में मनाया जाता है . इस दिन नदी और गंगा स्नान का काफी महत्व है.

स्नान कर लोग पूजा पाठ करते हैं तिल का दान करते हैं और पितरों को खुश करते हैं. मकर संक्रांति को लेकर जामताड़ा में काफी उत्साह का माहौल रहा नदियों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही .

मकर संक्रांति को लेकर नदियों में श्रद्धालुओं की भीड़ काफी उमड़ी रही .नदी में जाकर लोगों ने सपरिवार जाकर स्नान किए और श्रद्धा की डुबकी लगाई.

यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना था कि प्रत्येक साल के भांति मकर संक्रांति काफी श्रद्धा के साथ हिंदू धर्म में मनाते हैं. नदी में स्नान सपरिवार करते हैं. पूजा पाठ करते हैं और दान पुण्य करते हैं. इस दिन के बाद अपना शुभ कार्य शुरू करते हैं .

मकर संक्रांति के मौके पर जामताड़ा के अजय नदी एवं विभिन्न नदियों पर काफी संख्या में श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं. पूजा-पाठ भी करते हैं और दान पुण्य भी करते हैं.

इसे लेकर काफी श्रद्धा उत्साह का माहौल बना रहता है. दिन में जहां लोग दही चूड़ा तिलकुट खाते हैं. तिल का दान करते हैं तो ही शाम को खिचड़ी खाते हैं .

धनबाद में दिखा भारी उत्साह

धनबाद में झरिया के सुदामडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत दामोदर नदी के मोहलबनी घाट पर दूर दराज से आये भक्तों ने गुरुवार को मकरसंक्रांति के मौके पर आस्था की डुबकी लगाई.

इस मौके पर भक्तों ने दानपुण्य भी किया. हजारों की भीड़ में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो सका.

सनातन धर्म में मकर संक्रांति के पर्व का विशेष महत्व है. इस बार मकर संक्रांति पर विशेष संयोग बन रहे हैं. जिससे इस पर्व की महत्ता और बढ़ गई है.

सूर्य जब अपने पुत्र की राशि मकर में प्रवेश करते हैं उस दिन मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है. इस बार सूर्य 14 जनवरी 2021को 8 बजकर 14 मिनट पर प्रवेश करने वाले हैं.

सूर्य के मकर में आते ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा और फिर मांगलिक कार्य शुरू हो जाएगी. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर पांच ग्रहों का संयोग बनेगा, जिसमें सूर्य, बुध, गुरु, चंद्रमा और शनि भी शामिल रहेंगे.

इस विशेष संयोग में पवित्र नदी गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय पुण्य का फल प्राप्त होता है.

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