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दुमका के लेटो गांव की हकीकत, आजादी के 75 साल बाद भी बुनियादी सुविधा को तलाश रहे ग्रामीण - रोजगार की तलाश

झारखंड की उपराजधानी है दुमका. लेकिन इसके गांव के हालात इतने खराब हैं कि लगता ही नहीं के ये उपराजधानी के गांव हैं. मूलभूत सुविधाओं के लिए भी यहां के लोग तरस रहे हैं.

People of Leto village
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Published : Aug 14, 2022, 7:56 PM IST

Updated : Aug 14, 2022, 11:05 PM IST

दुमकाः झारखंड सरकार विकास को गांव-गांव तक पहुंचाने का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आज भी लोगों को पानी, शिक्षा, रोजगार जैसी बुनियादी सुविधा प्राप्त करने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. हम बात कर रहे हैं दुमका के भुरकुंडा पंचायत स्थित लेटो गांव(Leto village of Dumka) की. यहां के लोगों को बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं है.

लेटो गांव में पानी की बड़ी समस्याः सबसे पहले हम बात करते हैं पानी की समस्या की. लेटो गांव (Leto village of Dumka) में दो टोला है. दोनों मिलाकर छह चापाकल हैं. इन छह में से पांच चापाकल लंबे समय से खराब हैं. एक चापाकल जो अच्छा है उसमें टंकी भी लगा दी गई है. अब इस टंकी से पानी भरने के लिए लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. इसके साथ ही गांव में जो आंगनबाड़ी केंद्र हैं, उसमें लगभग दो दर्जन बच्चे पढ़ते हैं. इसके साथ ही एक प्राथमिक विद्यालय है. दोनों जगह चापाकल लगे हैं लेकिन दोनों चापाकल भी लंबे समय से खराब पड़े हुए हैं. इससे यहां पढ़ने वाले बच्चों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है. बच्चे दूर से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं.

देखें पूरी खबर
पानी की समस्या को लेकर क्या कहते हैं ग्रामीणः ईटीवी भारत की टीम जब लेटो गांव(Leto village of Dumka) पहुंची तो इस गांव की द्रौपदी कुमारी हाथ में बर्तन लेकर पानी भरने जा रही थी. हमने उनसे बात की. उन्होंने बताया कि पानी की काफी समस्या है, पानी भरने के लिए दूर जाना पड़ता है. काफ़ी समय पानी भरने में ही चला जाता है. वहीं कई अन्य ग्रामीणों ने भी पानी की समस्या को विकट बताया और कहा कि लंबे समय से हमारे चापाकल खराब हैं. दूसरी बात यह है कि जो एक चापाकल अच्छा है उसमें प्लास्टिक की टंकी लगी है और टंकी में जो पानी रहता है वह जमा हुआ रहता है. जिसे पीना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहतर नहीं होता है. इसलिए चापाकल का पानी हमलोग पीते थे लेकिन वह तो काफी दिनों से खराब पड़ा हुआ है. इधर आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका बिलिट बास्की ने बताया कि इस केंद्र का भी चापाकल खराब है. बच्चों को दूर से लाकर पानी देना पड़ता है.एक शिक्षक के सहारे चल रहा सरकारी स्कूलः इस गांव की दूसरी समस्या की बात करते हैं. इस गांव में एक सरकारी विद्यालय है जिसमें 1 से 5 कक्षा की पढ़ाई होती है. लेकिन इस विद्यालय में सिर्फ एक ही शिक्षक हैं सुभान हांसदा, जो विद्यालय प्रबंधन के साथ-साथ सभी पांच वर्गों के बच्चों को पढ़ाते हैं. स्कूल में कई क्लासरूम हैं लेकिन एक मास्टर साहब कहां-कहां जाएंगे इसीलिए सभी वर्ग के बच्चों को एक साथ बैठा लेते हैं. अगर वे विद्यालय के दूसरे काम में व्यस्त होते हैं तो बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दूसरी कक्षा की छात्रा तनु कुमारी की होती है. ईटीवी भारत की टीम जब स्कूल पहुंची तो तन्नू कुमारी बच्चों को पढ़ाती नजर आई. क्या कहते हैं शिक्षक और अभिभावकः इस विद्यालय के शिक्षक सुभान हांसदा ने बताया कि अकेले हम कैसे पांचों वर्ग के बच्चों को पढ़ाएं. जैसे - तैसे पढ़ाई चल रही है. उनका कहना है कि एक और शिक्षक की मांग को लेकर हमने विभाग को लिखा है पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इधर विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक कहते हैं कि पढाई हो ही नहीं रही है. हमारे बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा. रोजगार की तलाश में लोग करते हैं पलायनः हमने कुछ ग्रामीणों से बात की. उन्होंने बताया कि हमारे यहां गांव में लोग खेती पर निर्भर हैं लेकिन खेती के लिए सिंचाई का कोई साधन ही नहीं है, ऐसे में इंद्र देव की कृपा पर ही सभी निर्भर रहते हैं. रोजगार की कमी की वजह से यहां काफी संख्या में लोग पलायन करते हैं. सरकार को गंभीरता दिखाने की जरूरतः लेटो गांव के ग्रामीणों को बुनियादी सुविधा से भी महरूम हैं. ऐसे में सरकार को इस गांव के प्रति गंभीरता दिखाने की जरूरत है ताकि लोगों की समस्याओं का समाधान हो सके.

दुमकाः झारखंड सरकार विकास को गांव-गांव तक पहुंचाने का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आज भी लोगों को पानी, शिक्षा, रोजगार जैसी बुनियादी सुविधा प्राप्त करने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. हम बात कर रहे हैं दुमका के भुरकुंडा पंचायत स्थित लेटो गांव(Leto village of Dumka) की. यहां के लोगों को बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं है.

लेटो गांव में पानी की बड़ी समस्याः सबसे पहले हम बात करते हैं पानी की समस्या की. लेटो गांव (Leto village of Dumka) में दो टोला है. दोनों मिलाकर छह चापाकल हैं. इन छह में से पांच चापाकल लंबे समय से खराब हैं. एक चापाकल जो अच्छा है उसमें टंकी भी लगा दी गई है. अब इस टंकी से पानी भरने के लिए लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. इसके साथ ही गांव में जो आंगनबाड़ी केंद्र हैं, उसमें लगभग दो दर्जन बच्चे पढ़ते हैं. इसके साथ ही एक प्राथमिक विद्यालय है. दोनों जगह चापाकल लगे हैं लेकिन दोनों चापाकल भी लंबे समय से खराब पड़े हुए हैं. इससे यहां पढ़ने वाले बच्चों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है. बच्चे दूर से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं.

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पानी की समस्या को लेकर क्या कहते हैं ग्रामीणः ईटीवी भारत की टीम जब लेटो गांव(Leto village of Dumka) पहुंची तो इस गांव की द्रौपदी कुमारी हाथ में बर्तन लेकर पानी भरने जा रही थी. हमने उनसे बात की. उन्होंने बताया कि पानी की काफी समस्या है, पानी भरने के लिए दूर जाना पड़ता है. काफ़ी समय पानी भरने में ही चला जाता है. वहीं कई अन्य ग्रामीणों ने भी पानी की समस्या को विकट बताया और कहा कि लंबे समय से हमारे चापाकल खराब हैं. दूसरी बात यह है कि जो एक चापाकल अच्छा है उसमें प्लास्टिक की टंकी लगी है और टंकी में जो पानी रहता है वह जमा हुआ रहता है. जिसे पीना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहतर नहीं होता है. इसलिए चापाकल का पानी हमलोग पीते थे लेकिन वह तो काफी दिनों से खराब पड़ा हुआ है. इधर आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका बिलिट बास्की ने बताया कि इस केंद्र का भी चापाकल खराब है. बच्चों को दूर से लाकर पानी देना पड़ता है.एक शिक्षक के सहारे चल रहा सरकारी स्कूलः इस गांव की दूसरी समस्या की बात करते हैं. इस गांव में एक सरकारी विद्यालय है जिसमें 1 से 5 कक्षा की पढ़ाई होती है. लेकिन इस विद्यालय में सिर्फ एक ही शिक्षक हैं सुभान हांसदा, जो विद्यालय प्रबंधन के साथ-साथ सभी पांच वर्गों के बच्चों को पढ़ाते हैं. स्कूल में कई क्लासरूम हैं लेकिन एक मास्टर साहब कहां-कहां जाएंगे इसीलिए सभी वर्ग के बच्चों को एक साथ बैठा लेते हैं. अगर वे विद्यालय के दूसरे काम में व्यस्त होते हैं तो बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दूसरी कक्षा की छात्रा तनु कुमारी की होती है. ईटीवी भारत की टीम जब स्कूल पहुंची तो तन्नू कुमारी बच्चों को पढ़ाती नजर आई. क्या कहते हैं शिक्षक और अभिभावकः इस विद्यालय के शिक्षक सुभान हांसदा ने बताया कि अकेले हम कैसे पांचों वर्ग के बच्चों को पढ़ाएं. जैसे - तैसे पढ़ाई चल रही है. उनका कहना है कि एक और शिक्षक की मांग को लेकर हमने विभाग को लिखा है पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इधर विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक कहते हैं कि पढाई हो ही नहीं रही है. हमारे बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा. रोजगार की तलाश में लोग करते हैं पलायनः हमने कुछ ग्रामीणों से बात की. उन्होंने बताया कि हमारे यहां गांव में लोग खेती पर निर्भर हैं लेकिन खेती के लिए सिंचाई का कोई साधन ही नहीं है, ऐसे में इंद्र देव की कृपा पर ही सभी निर्भर रहते हैं. रोजगार की कमी की वजह से यहां काफी संख्या में लोग पलायन करते हैं. सरकार को गंभीरता दिखाने की जरूरतः लेटो गांव के ग्रामीणों को बुनियादी सुविधा से भी महरूम हैं. ऐसे में सरकार को इस गांव के प्रति गंभीरता दिखाने की जरूरत है ताकि लोगों की समस्याओं का समाधान हो सके.
Last Updated : Aug 14, 2022, 11:05 PM IST
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