दुमकाः झारखंड सरकार विकास को गांव-गांव तक पहुंचाने का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आज भी लोगों को पानी, शिक्षा, रोजगार जैसी बुनियादी सुविधा प्राप्त करने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. हम बात कर रहे हैं दुमका के भुरकुंडा पंचायत स्थित लेटो गांव(Leto village of Dumka) की. यहां के लोगों को बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं है.
लेटो गांव में पानी की बड़ी समस्याः सबसे पहले हम बात करते हैं पानी की समस्या की. लेटो गांव (Leto village of Dumka) में दो टोला है. दोनों मिलाकर छह चापाकल हैं. इन छह में से पांच चापाकल लंबे समय से खराब हैं. एक चापाकल जो अच्छा है उसमें टंकी भी लगा दी गई है. अब इस टंकी से पानी भरने के लिए लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. इसके साथ ही गांव में जो आंगनबाड़ी केंद्र हैं, उसमें लगभग दो दर्जन बच्चे पढ़ते हैं. इसके साथ ही एक प्राथमिक विद्यालय है. दोनों जगह चापाकल लगे हैं लेकिन दोनों चापाकल भी लंबे समय से खराब पड़े हुए हैं. इससे यहां पढ़ने वाले बच्चों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है. बच्चे दूर से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं.
दुमका के लेटो गांव की हकीकत, आजादी के 75 साल बाद भी बुनियादी सुविधा को तलाश रहे ग्रामीण - रोजगार की तलाश
झारखंड की उपराजधानी है दुमका. लेकिन इसके गांव के हालात इतने खराब हैं कि लगता ही नहीं के ये उपराजधानी के गांव हैं. मूलभूत सुविधाओं के लिए भी यहां के लोग तरस रहे हैं.
दुमकाः झारखंड सरकार विकास को गांव-गांव तक पहुंचाने का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आज भी लोगों को पानी, शिक्षा, रोजगार जैसी बुनियादी सुविधा प्राप्त करने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है. हम बात कर रहे हैं दुमका के भुरकुंडा पंचायत स्थित लेटो गांव(Leto village of Dumka) की. यहां के लोगों को बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं है.
लेटो गांव में पानी की बड़ी समस्याः सबसे पहले हम बात करते हैं पानी की समस्या की. लेटो गांव (Leto village of Dumka) में दो टोला है. दोनों मिलाकर छह चापाकल हैं. इन छह में से पांच चापाकल लंबे समय से खराब हैं. एक चापाकल जो अच्छा है उसमें टंकी भी लगा दी गई है. अब इस टंकी से पानी भरने के लिए लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. इसके साथ ही गांव में जो आंगनबाड़ी केंद्र हैं, उसमें लगभग दो दर्जन बच्चे पढ़ते हैं. इसके साथ ही एक प्राथमिक विद्यालय है. दोनों जगह चापाकल लगे हैं लेकिन दोनों चापाकल भी लंबे समय से खराब पड़े हुए हैं. इससे यहां पढ़ने वाले बच्चों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है. बच्चे दूर से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं.