दुमकाः उपराजधानी के ग्रामीण क्षेत्रों में लोग बाल विवाह के प्रति जागरूक हो रहे हैं. झारखंड सरकार की बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee of Jharkhand Government) बाल विवाह पर रोक लगाने में प्रयासरत हैं. अब इसमें ग्रामीण भी आगे आ रहे हैं. ऐसे मामलों की जानकारी बाल कल्याण समिति तक बिना डरे पहुंचा रहे हैं.
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बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है और अपराध भी है. इसे दूर करने के लिए वर्षों से जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. इसी का परिणाम है कि लोग इसके प्रति लोग जागरूक भी हुए हैं. अगर दुमका जिला की बात करें तो पिछले कुछ सप्ताह में दुमका झारखंड सरकार के सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट द्वारा संचालित चाइल्ड वेलफेयर कमिटी को ग्रामीण क्षेत्रों से सात ऐसी सूचना मिली कि इस गांव में बाल विवाह होने जा रहा हैं. इस समिति ने इन सातों बाल विवाह को न सिर्फ रोका बल्कि उन सभी पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई भी चल रही है.
सरकारी और गैर सरकारी संस्था चला रही जागरूकता अभियानः दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा बाल विवाह पर जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. यह इक्तेफाक ही था कि ईटीवी भारत की टीम जब दुमका स्थित चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ऑफिस पहुंची तो वहां सीडब्ल्यूसी के सदस्य छात्राओं को बाल विवाह के दुष्परिणामों की जानकारी दे रहे थे. उन्होंने छात्राओं को समझाया कि किसी भी तरह की कोई सूचना मिलती है तो आप फौरन हमें खबर करें आपकी पहचान गुप्त रखी जाएगी.
वहां मौजूद छात्राओं और बाल विवाह को रोकने में लगी संस्थाओं के सदस्य ने बताया कि समय पूर्व शादी से कई परेशानी आती है. लड़का हो या लड़की दोनों का विकास रुक जाता है, पढ़ाई बाधित हो जाती है. इतना ही नहीं कई तरह की परेशानी और बीमारियों का सामना करना पड़ता है इसलिए यह नहीं होना चाहिए.
क्या कहती हैं महिला चिकित्सकः बाल विवाह और उसके बाद कम उम्र में लड़कियों के मां बनने से क्या परेशानी होती है. इस संबंध में फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ . मिताली से ईटीवी भारत की टीम ने बात की. उन्होंने बताया कि कम उम्र में शादी और फिर बच्चे होने से लड़कियों के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है. वह कई बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि यहां ऐसे भी केस आते हैं कि लड़की की उम्र 22 साल है और वह 3 बच्चे की मां बन चुकी है. एक तरह से पूरी तरह से उसका शरीर टूट चुका हुआ होता है. इसलिए यह काफी आवश्यक है कि लड़कियों की समय से शादी हो और वह उचित समय पर बच्चे को जन्म दे सके.