दुमकाः होली का त्योहार कुछ ही दिनों में आने वाला है, बावजूद इसके दुमका के बाजार में भीड़भाड़ नजर नहीं आ रही. यह त्योहार रंगों और पकवानों का माना जाता है, लेकिन किराना दुकानों से ग्राहक नदारद हैं या फिर इक्के-दुक्के नजर आते हैं. दरअसल ग्राहकों की उदासीनता की वजह है खाद्य सामग्रियों के मूल्य में अत्यधिक वृद्धि. खास तौर पर तिलहन और दलहन के मूल्य में पिछले चार-पांच महीनों में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
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तिलहन-दलहन पदार्थ का मूल्य( अक्टूबर 2020- वर्तमान)
सामान | वर्तमान मूल्य | अक्टूबर 2020 तक का मूल्य |
सरसों तेल | 150-160/ली | 95-100/ली |
रिफाइंड ऑयल | 140-150/ली | 100/ली |
काबुली चना | 105 रुपये/किलो | 70 रुपये/किलो |
चना | 70 रुपये/किलो | 55 रुपये/किलो |
चना दाल | 90 रुपये/किलो | 70 रुपये/किलो |
अरहर दाल | 120 रुपये/किलो | 90 रुपये/किलो |
मूल्य में अत्यधिक वृद्धि से घटी क्रय क्षमता
खाद्य सामग्री खरीदने पहुंचे ग्राहकों का कहना है कि मूल्य में अत्यधिक वृद्धि से हमारी क्रय क्षमता घट गई है. होली सामने है पर महंगाई की वजह से हम मन मसोस के ही सामान खरीद रहे हैं. उनका कहना है कि होली का त्योहार है तो सामान तो खरीदना ही होगा, लेकिन महंगाई ने हमारे उत्साह को कम कर दिया है.
दलहन और तिलहन पदार्थों के मूल्य में वृद्धि
खाद्य सामग्रियों के मूल्य में बढ़ोतरी से लोगों की क्रय क्षमता घटी है. जिसका सीधा असर दुकानदारों की बिक्री पर पड़ा है. दुकानदारों का कहना है कि महंगाई की वजह से बिक्री में कमी आई है. खास तौर पर दलहन और तिलहन पदार्थों के मूल्य तो काफी बढ़े हैं, कीमत सुनकर ग्राहक निराश होकर लौट जाते हैं या फिर पहले के मुकाबले कम सामान खरीदते हैं.
रंगों के साथ खुशियों से सराबोर रहे होली
दुमका आर्थिक रूप से पिछड़ा इलाका माना जाता है. अब ऐसे में खाद्य सामग्री के मूल्य में वृद्धि से परेशानी और बढ़ गई है. स्थानीय प्रशासन को जमाखोरी पर भी नजर बनाए रखने की जरूरत है कि कहीं कोई इस परिस्थिति का बेजा लाभ उठाने के चक्कर में तो नहीं है. सभी का प्रयास यह होना चाहिए कि होली का त्योहार रंगों के साथ साथ खुशियों से सराबोर रहे.