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अस्पताल में डॉक्टर और दवाइयां नदारद, मरीजों का नहीं होता इलाज फिर भी खर्च होते हैं 20 लाख

झारखंड की उपराजधानी दुमका का जिला स्तरीय अस्पताल दयनीय हालत में है. यहां देसी चिकित्सा पद्धति से लोगों को इलाज किया जाना था. लेकिन इसके बनने के लगभग ढाई साल बीत जाने के बाद भी यहां डॉक्टर और दवाइयां नहीं हैं. यहां मरीजों का इलाज तो नहीं हो रहा लेकिन अस्पताल का खर्च लगभग 20 लाख रुपये का है.

District level Hospital Of Dumka
District level Hospital Of Dumka
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Published : Feb 19, 2022, 1:54 PM IST

Updated : Feb 19, 2022, 2:04 PM IST

दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका के जिला स्तरीय अस्पताल (District Level Hospital Of Dumka) में लगभग ढाई सालों से न तो ईलाज करने वाले एक भी डॉक्टर हैं और न ही दवाइयां. जाहिर है, इन ढाई सालों में एक भी मरीज यहां नहीं पहुंचे. यहां जो चतुर्थवर्गीय कर्मचारी मौजूद हैं, उन्हें इस बात का मलाल है कि हम कोई काम नहीं करते.

इसे भी पढ़ें: दुमका शहरी जलापूर्ति के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में लापरवाही, बड़े हादसे की बन सकती है वजह


क्या है पूरा मामला: दरअसल, झारखंड सरकार ने दुमका में देसी चिकित्सा पद्धति से लोगों के इलाज के लिए अस्पताल खोला है. दुमका फूलो झानो मेडिकल कॉलेज के सामने जिला संयुक्त औषधालय है. यहां होम्योपैथी, आयुर्वेदिक और यूनानी पद्धति से लोगों को चिकित्सा सुविधा मिलनी है, लेकिन यह अस्पताल खुद बीमार है. सरकार की अनदेखी का आलम यह है कि यहां पिछले ढाई सालों से इलाज करने वाले एक भी डॉक्टर नहीं हैं और न ही दवाइयां हैं. वैसे इस अस्पताल में चार चतुर्थवर्गीय कर्मी और एक क्लर्क कार्यरत हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस अस्पताल में वेतन और अन्य खर्च सालाना लगभग 20 लाख का है. लेकिन एक भी मरीज को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है और बीस लाख रुपये का खर्च बेकार साबित हो रहे हैं.

देखें वीडियो


अस्पताल के कर्मी भी हैं परेशान: इस अस्पताल के कर्मियों से हमने बात की तो उन्होंने कहा कि यहां वे काम करने आते हैं पर जब कोई मरीज ही नहीं आता वे क्या कर सकते हैं. दिन भर समय काट पाना मुश्किल हो जाता है. बैठे-बैठे सुबह से शाम हो जाती है. यहां के कर्मी भी चाहते हैं कि सरकार यहां डॉक्टर की व्यवस्था करें, दवाइयों की व्यवस्था करें ताकि मरीज आएं उनका इलाज हो और इस अस्पताल में भी चहल-पहल रहे.


दुमका के देसी चिकित्सा पद्धति के अन्य 12 अस्पतालों की स्थिति बदहाल: देसी चिकित्सा पद्धति का दुमका में यही एक अस्पताल नहीं है, बल्कि प्रखंड स्तर पर 12 और भी अस्पताल हैं. इन सभी 12 अस्पतालों की स्थिति भी जिला स्तर के अस्पताल की तरह ही बदहाल है. दुमका के जामा, अमरपुर (रामगढ़ ), काठीकुंड, गोपीकांदर, शिकारीपाड़ा, कुरुआ, कठलिया और रानीश्वर में आयुर्वेद के अस्पताल हैं. वही बासुकीनाथ, रामगढ़ और शिकारीपाड़ा में होम्योपैथी के अस्पताल हैं, जबकि हंसडीहा में एक यूनानी अस्पताल है. नियम के अनुसार इन सभी अस्पताल में एक-एक चिकित्सक होना चाहिए लेकिन सिर्फ काठीकुंड और जामा के अस्पताल में डॉक्टर की पोस्टिंग है. सभी में एक-एक कंपाउंडर भी होने चाहिए जबकि सिर्फ दो जगह बासुकीनाथ और हंसडीहा के अस्पताल में कंपाउंडर मौजूद हैं.


दवा भी है अनुपलब्ध: देसी चिकित्सा पद्धति के इन अस्पतालों में सिर्फ डॉक्टर और अन्य कर्मियों की कमी नहीं है बल्कि दवा भी अनुपलब्ध है. दुमका जिला मुख्यालय में जो अस्पताल हैं उसमें ढाई साल से तो दवा भी नहीं है. अन्य अस्पतालों में भी स्थिति नाजुक है. प्रखंड स्तर के 12 अस्पतालों में सिर्फ जामा में ही दवाइयां हैं.


क्या कहते हैं दुमका आयुष चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी: इस पूरे मामले पर हमने दुमका आयुष चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी डॉ. सी एस प्रसाद से बात की उन्होंने भी माना कि डॉक्टर और दवा की काफी कमी है. उनका कहना है कि दवा उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने विभाग को लिखा है. एक माह के अंदर दवाइयां उपलब्ध हो जाएंगी. इसके अलावा एनएचएम के तहत डॉक्टर भी मिलने जा रही हैं.

सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता: सरकार ने जब इस देसी चिकित्सा पद्धति की व्यवस्था की है तो उसमें आधारभूत संरचना पर्याप्त रूप से क्यों नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है. झारखंड सरकार और स्वास्थय विभाग को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका के जिला स्तरीय अस्पताल (District Level Hospital Of Dumka) में लगभग ढाई सालों से न तो ईलाज करने वाले एक भी डॉक्टर हैं और न ही दवाइयां. जाहिर है, इन ढाई सालों में एक भी मरीज यहां नहीं पहुंचे. यहां जो चतुर्थवर्गीय कर्मचारी मौजूद हैं, उन्हें इस बात का मलाल है कि हम कोई काम नहीं करते.

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क्या है पूरा मामला: दरअसल, झारखंड सरकार ने दुमका में देसी चिकित्सा पद्धति से लोगों के इलाज के लिए अस्पताल खोला है. दुमका फूलो झानो मेडिकल कॉलेज के सामने जिला संयुक्त औषधालय है. यहां होम्योपैथी, आयुर्वेदिक और यूनानी पद्धति से लोगों को चिकित्सा सुविधा मिलनी है, लेकिन यह अस्पताल खुद बीमार है. सरकार की अनदेखी का आलम यह है कि यहां पिछले ढाई सालों से इलाज करने वाले एक भी डॉक्टर नहीं हैं और न ही दवाइयां हैं. वैसे इस अस्पताल में चार चतुर्थवर्गीय कर्मी और एक क्लर्क कार्यरत हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस अस्पताल में वेतन और अन्य खर्च सालाना लगभग 20 लाख का है. लेकिन एक भी मरीज को चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है और बीस लाख रुपये का खर्च बेकार साबित हो रहे हैं.

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अस्पताल के कर्मी भी हैं परेशान: इस अस्पताल के कर्मियों से हमने बात की तो उन्होंने कहा कि यहां वे काम करने आते हैं पर जब कोई मरीज ही नहीं आता वे क्या कर सकते हैं. दिन भर समय काट पाना मुश्किल हो जाता है. बैठे-बैठे सुबह से शाम हो जाती है. यहां के कर्मी भी चाहते हैं कि सरकार यहां डॉक्टर की व्यवस्था करें, दवाइयों की व्यवस्था करें ताकि मरीज आएं उनका इलाज हो और इस अस्पताल में भी चहल-पहल रहे.


दुमका के देसी चिकित्सा पद्धति के अन्य 12 अस्पतालों की स्थिति बदहाल: देसी चिकित्सा पद्धति का दुमका में यही एक अस्पताल नहीं है, बल्कि प्रखंड स्तर पर 12 और भी अस्पताल हैं. इन सभी 12 अस्पतालों की स्थिति भी जिला स्तर के अस्पताल की तरह ही बदहाल है. दुमका के जामा, अमरपुर (रामगढ़ ), काठीकुंड, गोपीकांदर, शिकारीपाड़ा, कुरुआ, कठलिया और रानीश्वर में आयुर्वेद के अस्पताल हैं. वही बासुकीनाथ, रामगढ़ और शिकारीपाड़ा में होम्योपैथी के अस्पताल हैं, जबकि हंसडीहा में एक यूनानी अस्पताल है. नियम के अनुसार इन सभी अस्पताल में एक-एक चिकित्सक होना चाहिए लेकिन सिर्फ काठीकुंड और जामा के अस्पताल में डॉक्टर की पोस्टिंग है. सभी में एक-एक कंपाउंडर भी होने चाहिए जबकि सिर्फ दो जगह बासुकीनाथ और हंसडीहा के अस्पताल में कंपाउंडर मौजूद हैं.


दवा भी है अनुपलब्ध: देसी चिकित्सा पद्धति के इन अस्पतालों में सिर्फ डॉक्टर और अन्य कर्मियों की कमी नहीं है बल्कि दवा भी अनुपलब्ध है. दुमका जिला मुख्यालय में जो अस्पताल हैं उसमें ढाई साल से तो दवा भी नहीं है. अन्य अस्पतालों में भी स्थिति नाजुक है. प्रखंड स्तर के 12 अस्पतालों में सिर्फ जामा में ही दवाइयां हैं.


क्या कहते हैं दुमका आयुष चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी: इस पूरे मामले पर हमने दुमका आयुष चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी डॉ. सी एस प्रसाद से बात की उन्होंने भी माना कि डॉक्टर और दवा की काफी कमी है. उनका कहना है कि दवा उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने विभाग को लिखा है. एक माह के अंदर दवाइयां उपलब्ध हो जाएंगी. इसके अलावा एनएचएम के तहत डॉक्टर भी मिलने जा रही हैं.

सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता: सरकार ने जब इस देसी चिकित्सा पद्धति की व्यवस्था की है तो उसमें आधारभूत संरचना पर्याप्त रूप से क्यों नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है. झारखंड सरकार और स्वास्थय विभाग को इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

Last Updated : Feb 19, 2022, 2:04 PM IST
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