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दुमकाः मेडिकल कॉलेज में नहीं हो रहा कचरे का निष्पादन, हवा में घुल रहा जहर

दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इन दिनों सामान्य दिनों की तुलना में चार-पांच गुणा अधिक मेडिकल कचरा निकल रहा है. लेकिन, इस कचरे का समुचित निष्पादन नहीं किया जा रहा है. इससे अस्पताल परिसर में कचरे का ढेर लगा है, जो पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है.

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मेडिकल कॉलेज में नहीं हो रहा कचरे का निष्पादन
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Published : May 5, 2021, 4:49 PM IST

दुमकाः जिले के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जहां बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं. मरीजों की संख्या बढ़ने से अस्पताल में रोजाना मेडिकल कचरा भी अधिक निकल रहा है, लेकिन मेडिकल कचरे का समुचित निष्पादन नहीं हो रहा है. स्थिति यह है कि अस्पताल भवन के पीछे कचरे का ढेर लगा है, जो हवा में जहर घोल रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

यह भी पढ़ेंःदुमकाः उपायुक्त ने कोविड-19 जांच शिविर का किया निरीक्षण, जरमुंडी प्रखंड में लगाए गए हैं शिविर

मेडिकल कचरे के ढेर में सिर्फ सर्जिकल कचरा नहीं है, बल्कि पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क और कोविड वार्ड से निकल वाला कचरा भी है. इस कचरे से पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ साथ संक्रमण फैलने की भी खतरा है. हालांकि, अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल कचरे को प्रत्येक दो दिन पर धनबाद भेजा जाता है, ताकि कचरे का समुचित निष्पादन हो सके. लेकिन, कचरा आधा-अधूरा भेजा जाता है, जिससे 24 घंटे यहां कचरे का ढेर लगा रहता है.

कचरा डंपिंग स्थल के पास कुपोषण उपचार केंद्र

मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कचरा डंपिंग यार्ड के सामने कुपोषण उपचार केंद्र है. इस केंद्र में कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है. केंद्र में कार्यरतकर्मी कहते हैं कि मेडिकल कचरे का ढेर कभी खत्म ही नहीं होता है. कचरे के ढेर में कभी-कभी आग भी लगा दी जाती है, जिससे ड्यूटी करना मुश्किल हो जाता है. मेडिकल कचरे के निष्पादन की शीघ्र स्थाई व्यवस्था होनी चाहिए.

यह भी पढ़ेंःदुमकाः डीसी ने जामा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का किया निरीक्षण, कोरोना इंतजामों का लिया जायजा

निजी क्लीनिक भी फैला रहे कचरा

शहर में कई निजी क्लीनिक हैं. इन निजी क्लीनिक से निकलने वाले कचरे का भी निष्पादन नहीं हो रहा है. निजी क्लीनिक संचालक मेडिकल कचरे को सड़क किनारे फेंक देते हैं. इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है. लेकिन, प्रदूषण नियंत्रण विभाग हाथ पर हाथ रख बैठी है.

क्या कहते हैं मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक

फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. रविंद्र कुमार कहते हैं कि सामान्य दिनों की तुलना में आजकल चार-पांच गुणा ज्यादा कचरा निकल रहा है. कोरोना संक्रमित मरीज को लेकर एंबुलेंस पहुंचता है, तो एंबुलेंस ड्राइवर अपना पीपीई किट इधर उधर फेंक देते हैं. उन्होंने कहा कि अभी मेडिकल कचरे को प्रत्येक दो दिनों पर धनबाद भेजकर नष्ट करा रहे हैं. कचरे के ढेर को देखते हुए निर्देश दिया है कि अब दो दिनों की जगह प्रतिदिन कचरा धनबाद भेजा जाए, ताकि कचरा का ढेर नहीं दिखे.

प्रशासन को संज्ञान लेने की जरूरत

मेडिकल कचरा पर्यावरण के लिए घातक है. इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज अस्पताल और निजी क्लीनिक से निकलने वाले कचरे का निष्पादन नहीं हो रहा है. अस्पताल परिसर के साथ साथ सड़क किनारे मेडिकल कचरा फैला है, जिसपर जिला प्रशासन को शीघ्र संज्ञान लेने की जरूरत है, ताकि इसकी वजह से कोई घातक बीमारी का शिकार नहीं हो जाए.

दुमकाः जिले के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जहां बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं. मरीजों की संख्या बढ़ने से अस्पताल में रोजाना मेडिकल कचरा भी अधिक निकल रहा है, लेकिन मेडिकल कचरे का समुचित निष्पादन नहीं हो रहा है. स्थिति यह है कि अस्पताल भवन के पीछे कचरे का ढेर लगा है, जो हवा में जहर घोल रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

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मेडिकल कचरे के ढेर में सिर्फ सर्जिकल कचरा नहीं है, बल्कि पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क और कोविड वार्ड से निकल वाला कचरा भी है. इस कचरे से पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ साथ संक्रमण फैलने की भी खतरा है. हालांकि, अस्पताल से निकलने वाले मेडिकल कचरे को प्रत्येक दो दिन पर धनबाद भेजा जाता है, ताकि कचरे का समुचित निष्पादन हो सके. लेकिन, कचरा आधा-अधूरा भेजा जाता है, जिससे 24 घंटे यहां कचरे का ढेर लगा रहता है.

कचरा डंपिंग स्थल के पास कुपोषण उपचार केंद्र

मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कचरा डंपिंग यार्ड के सामने कुपोषण उपचार केंद्र है. इस केंद्र में कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है. केंद्र में कार्यरतकर्मी कहते हैं कि मेडिकल कचरे का ढेर कभी खत्म ही नहीं होता है. कचरे के ढेर में कभी-कभी आग भी लगा दी जाती है, जिससे ड्यूटी करना मुश्किल हो जाता है. मेडिकल कचरे के निष्पादन की शीघ्र स्थाई व्यवस्था होनी चाहिए.

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निजी क्लीनिक भी फैला रहे कचरा

शहर में कई निजी क्लीनिक हैं. इन निजी क्लीनिक से निकलने वाले कचरे का भी निष्पादन नहीं हो रहा है. निजी क्लीनिक संचालक मेडिकल कचरे को सड़क किनारे फेंक देते हैं. इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है. लेकिन, प्रदूषण नियंत्रण विभाग हाथ पर हाथ रख बैठी है.

क्या कहते हैं मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक

फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. रविंद्र कुमार कहते हैं कि सामान्य दिनों की तुलना में आजकल चार-पांच गुणा ज्यादा कचरा निकल रहा है. कोरोना संक्रमित मरीज को लेकर एंबुलेंस पहुंचता है, तो एंबुलेंस ड्राइवर अपना पीपीई किट इधर उधर फेंक देते हैं. उन्होंने कहा कि अभी मेडिकल कचरे को प्रत्येक दो दिनों पर धनबाद भेजकर नष्ट करा रहे हैं. कचरे के ढेर को देखते हुए निर्देश दिया है कि अब दो दिनों की जगह प्रतिदिन कचरा धनबाद भेजा जाए, ताकि कचरा का ढेर नहीं दिखे.

प्रशासन को संज्ञान लेने की जरूरत

मेडिकल कचरा पर्यावरण के लिए घातक है. इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज अस्पताल और निजी क्लीनिक से निकलने वाले कचरे का निष्पादन नहीं हो रहा है. अस्पताल परिसर के साथ साथ सड़क किनारे मेडिकल कचरा फैला है, जिसपर जिला प्रशासन को शीघ्र संज्ञान लेने की जरूरत है, ताकि इसकी वजह से कोई घातक बीमारी का शिकार नहीं हो जाए.

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