दुमकाः जिले का नक्सल प्रभावित प्रखंड शिकारीपाड़ा के गांव बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं. यहां स्वास्थ्य, पेयजल और सड़क की स्थिति चिंताजनक है. इस वजह से लोग परेशान हैं और सरकार से इस दिशा में आवश्यक पहल की मांग कर रहे हैं.
अस्पताल के लिए प. बंगाल का टूर
शिकारीपाड़ा के बेनागड़िया गांव को ही लें तो 5 वर्ष पूर्व यहां स्वास्थ्य उपकेंद्र बनना शुरू हुआ था. लोगों को उम्मीद थी कि जल्द ही गांव में इलाज की सुविधा मिलने लगेगी. इससे लोगों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए 30 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट या 45 किलोमीटर दूर दुमका जिला मुख्यालय नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन यह आज तक यह बनकर पूरा नहीं हो सका. अब लंबे समय से काम भी बंद है. यह जर्जर भी होने लगा है, इसकी हालत देखकर अफसोस ही होता है. लोग सरकार से इस अस्पताल को जल्द पूरा कराने की मांग कर रहे हैं. स्थानीय निवासी सुनील प्रसाद ने बताया कि यदि यह अस्पताल शुरू हो जाए तो ग्रामीणों की कई परेशानियां खत्म हो सकती हैं.
चापाकल खराब, पानी के लिए घंटों तक कतार
इसी बेनागड़िया गांव में ईटीवी भारत की टीम को एक सोलर संचालित पानी की टंकी के नीचे भीड़ दिखी. लोग पानी भरने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. पूछे जाने पर पता चला कि इस गांव में 4 चापाकल खराब हैं. इस पानी टंकी से भी दिनभर में तीन-चार घंटे ही पानी आता है. अगर यहां पानी नहीं भर पाए तो दैनिक कार्य के लिए आधा किलोमीटर दूर पोखर जाना पड़ेगा. ज्यादा गर्मी बढ़ने पर तो इस पानी टंकी से भी पानी नहीं मिलेगा. स्थानीय ग्रामीण बाबर अली और मीना फ्लोरा किस्कू ने पेयजल व्यवस्था दुरुस्त कराने की मांग की है.
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बच्चों को स्कूल भेजने में खस्ता सड़कें बाधा
ईटीवी भारत की टीम ने शिकारीपाड़ा प्रखंड के ग्रामीण इलाकों की सड़कों की भी पड़ताल की. कई गांव के सड़कों की स्थिति काफी बदहाल है, जिसमें छातूपाड़ा, नवपहाड़ गांव, जगतपुर, रामबनी गांव से करमा को जोड़ने वाली पथ, भोक्तानडीह , खाड़ू कदमा, शिवतल्ला गांव की सड़कें इतनी खस्ताहाल हैं कि आवागमन मुश्किल है. हमने रामबनी गांव के मिठू मिर्धा से बात की. उन्होंने बताया कि हमारे गांव की सड़कें सड़क काफी खराब हैं. बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत होती है. अगर कोई बीमार पड़ गया तो उसे अस्पताल ले जाने में परेशानी होती है. रात के समय में तो यह परेशानी और बढ़ जाती है.