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8 साल पहले तैयार हुआ खाद चेक करने वाला लैब, अब तक किसी किसान को नहीं हुआ फायदा, जानें वजह - ईटीवी भारत न्यूज

संथालपरगना के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक का कार्यालय भवन के ठीक नीचे आठ साल पहले फर्टिलाइजर क्वालिटी लेबोरेटरी खुला था, जिसमें किसान जो खाद बाजार से लेते हैं उसकी क्वालिटी की जांच होनी थी. किसानों के लिए यह एक वरदान साबित होने वाला था. लेकिन लापरवाही के कारण यह लैब पिछले 8 सालों से शुरू नहीं हो सका है.

कृषि विभाग की लापरवाही
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Published : Mar 22, 2019, 3:06 PM IST

दुमका: झारखंड सरकार हमेशा किसानों के उत्थान की बातें करती है लेकिन. जमीनी स्थिति बेहद खराब है. आलम ये है कि दुमका का खाद फर्टिलाइजर क्वालिटी लेबोरेटरी बनकर आठ वर्ष पहले ही तैयार हो गया, लेकिन वह अब तक चालू नहीं हो सका है.

कृषि विभाग की लापरवाही

संथालपरगना के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक का कार्यालय भवन के ठीक नीचे आठ साल पहले फर्टिलाइजर क्वालिटी लेब्रोटरी खुला था, जिसमें किसान जो खाद बाजार से लेते हैं उसकी क्वालिटी की जांच होनी थी. किसानों के लिए यह एक वरदान साबित होने वाला था. लेकिन लापरवाही के कारण यह लैब पिछले 8 सालों से शुरू नहीं हो सका है.

प्रयोगशाला बनाने में राज्य सरकार के लाखों रूपये खर्च किए, लेकिन इसके चालू नहीं होने से यह सारा पैसा पानी में डूबता नजर आ रहा है. आलम ये है कि 8 साल पहले बने इस भवन की स्थिति भी अब जर्जर होने लगी है.

किसानों को इस लेबोरेटरी की जानकारी तक नहीं
इसके बारे में जब किसानों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यहां के किसानों को किसी भी प्रयोगशाला की जानकारी नहीं है. लेकिन अगर यह चालू होता तो किसानों को बहुत फायदा होता. उन्होंने इस मामले की सरकार से जांच करने की मांग करते हुए कहा कि जो भी इसमें दोषी हैं उसे सजा दी जाएगी.

क्या कहते हैं अधिकारी
इस सम्बंध में जब कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस प्रयोगशाला के लिए जो टेक्नीशियन, अधिकारी और कर्मचारियों की पदस्थापना नहीं हो पाई, जिस वजह से यह चालू नहीं हो पाया.

दुमका: झारखंड सरकार हमेशा किसानों के उत्थान की बातें करती है लेकिन. जमीनी स्थिति बेहद खराब है. आलम ये है कि दुमका का खाद फर्टिलाइजर क्वालिटी लेबोरेटरी बनकर आठ वर्ष पहले ही तैयार हो गया, लेकिन वह अब तक चालू नहीं हो सका है.

कृषि विभाग की लापरवाही

संथालपरगना के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक का कार्यालय भवन के ठीक नीचे आठ साल पहले फर्टिलाइजर क्वालिटी लेब्रोटरी खुला था, जिसमें किसान जो खाद बाजार से लेते हैं उसकी क्वालिटी की जांच होनी थी. किसानों के लिए यह एक वरदान साबित होने वाला था. लेकिन लापरवाही के कारण यह लैब पिछले 8 सालों से शुरू नहीं हो सका है.

प्रयोगशाला बनाने में राज्य सरकार के लाखों रूपये खर्च किए, लेकिन इसके चालू नहीं होने से यह सारा पैसा पानी में डूबता नजर आ रहा है. आलम ये है कि 8 साल पहले बने इस भवन की स्थिति भी अब जर्जर होने लगी है.

किसानों को इस लेबोरेटरी की जानकारी तक नहीं
इसके बारे में जब किसानों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यहां के किसानों को किसी भी प्रयोगशाला की जानकारी नहीं है. लेकिन अगर यह चालू होता तो किसानों को बहुत फायदा होता. उन्होंने इस मामले की सरकार से जांच करने की मांग करते हुए कहा कि जो भी इसमें दोषी हैं उसे सजा दी जाएगी.

क्या कहते हैं अधिकारी
इस सम्बंध में जब कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस प्रयोगशाला के लिए जो टेक्नीशियन, अधिकारी और कर्मचारियों की पदस्थापना नहीं हो पाई, जिस वजह से यह चालू नहीं हो पाया.

Intro:दुमका - झारखंड सरकार का कृषि विभाग जब किसानों के हित मे कार्य योजना बनाती है तो उसमें अदूरदर्शिता साफ झलकती है । इसका बड़ा नमूना है दुमका का खाद फर्टिलाइजर क्वालिटी लेब्रोटरी जो निर्माण के आठ वर्षों में भी चालू नहीं हो सका ।


Body:क्या है पूरा मामला ।
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यह है संथालपरगना के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक का कार्यालय भवन । यह कार्यालय 1st फ्लोर पर स्थित है । जबकि ग्राउंड फ्लोर पर आठ वर्ष पहले खाद गुण नियंत्रक प्रयोगशाला अथार्त फर्टिलाइजर क्वालिटी लेब्रोटरी खुला था । इसमें किसान जो खाद बाजार से लेते हैं उसके क्वालिटी की जांच होनी थी । ताकि उस खाद को डालने के बाद किसान को अच्छी फसल प्राप्त हो । कभी कभी ऐसा होता है कि किसान ने खेत में खाद डाले और उस खाद की गुणवत्ता सही नहीं थी और उसका फसल खराब हो गया । कृषि विभाग के इस भवन निर्माण और प्रयोगशाला को बनाने में लाखों खर्च हुए पर आज तक यह प्रयोगशाला चालू नहीं हुआ । अब तो स्थिति यह है कि यह जर्जर हो रहा है । प्रयोगशाला के बनाये कई कमरों में ताले लटके हैं । कार्यालय के चौकीदार का यह आवास बन गया है ।

किसानों को इस लेब्रोटरी की जानकारी तक नहीं ।
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इस संबंध में हमने कुछ किसानों से बात की तो उन्होंने बताया कि हमें तो इस तरह के किसी प्रयोगशाला की जानकारी तक नहीं । यह चालू होता तो निश्चित रूप से हमें फायदा मिलता लेकिन यह बन्द गई । अगर इसे खोलना ही नहीं तो इतनी राशि खर्च करने की क्या जरूरत थी । वे कहते हैं इसकी जांच हो और वे आवश्यक कारवाई की मांग करते हैं ।

बाईट - मनोज कुमार यादव , किसान

बाईट - जयप्रकाश , किसान


Conclusion:क्या कहते हैं अधिकारी ।
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इस सम्बंध में जब हमने संथालपरगना के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक से बात कि तो उन्होंने बताया कि इस प्रयोगशाला के लिए जो टेक्नीशियन या अधिकारी - कर्मी चाहिए थे उसकी आज तक पदास्थापना ही नहीं हुई । जिस वजह से यह चालू नहीं हो पाया । अगर सरकार इसके लिए मैनपावर की व्यवस्था करती है तब ही यह चालू हो पायेगा ।

बाईट - अजय कुमार सिंह , संयुक्त निदेशक , कृषि , संथालपरगना प्रक्षेत्र ।

फाईनल वीओ -
अब बड़ा सवाल यह है कि जब मैनपावर था ही नहीं तो प्रयोगशाला खोलने की जरूरत ही क्या थी । किसान को अभी तक इसकी जानकारी नहीं । जाहिर है विभाग बिना प्लानिंग के काम कर रहा है । सरकार को चाहिए कि अब भी इसे चालू करे ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका
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