दुमका: जरमुंडी विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी सीताराम पाठक भाजपा के कदावर नेता रहें हैं, लेकिन भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकार उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया. उनका लंबा राजनीतक इतिहास रहा हैं. वे भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का लगातार 15 सालों से सांसद प्रतिनिधि रह चूके हैं और जरमुंडी विधानसभा की जनता में उनका अच्छा पकड़ भी है.
जनता से राय लेकर लड़ रहे हैं चुनाव
निर्दलीय प्रत्याशी सीताराम पाठक का दावा हैं कि इस बार वे जरमुडी विधानसभा सीट से जीत दर्ज करेगें. उनका कहना है कि वे भाजपा के एक सच्चे सिपाही थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया और 2019 में भी आशा देकर अंतिम समय में टिकट काट लिया. वे हमेशा जरमुंडी की जनता के सुख-दुख में साथ रहे हैं और आगे भी रहेंगे. इसलिए जनता से राय लेकर चुनाव लड़ रहे हैं और उनकी जीत निश्चित है.
भाजपा की राह नहीं रही है आसान
जरमुडी विधानसभा सीट से भाजपा की राह आसान नहीं रही हैं. झारखंड राज्य अलग होने के बाद जरमुंडी सीट से एक बार भी भाजपा ने चुनाव नहीं जीता है. 2014 के चुनाव में भाजपा ने अभय कांत प्रसाद को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वे तीसरे स्थान पर चले गये थे. एसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार भाजपा उमीदवार किस परिस्थिति में पहुंचती है.