दुमकाः कोरोना काल में दुमका में काफी कम संख्या में घरों से निकल रहे हैं. दोपहर दो बजे तक की दुकान खोलने की इजाजत है. इसका बुरा प्रभाव सब्जी उत्पादक किसानों को हो रहा है. किसान सब्जी लेकर बाजार आते हैं, पर खरीदार कम होने की वजह से वो औने पौने दाम पर अपनी सब्जियां बेचने को मजबूर हैं.
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साथ ही दुकानों को खुला रखने और आम लोगों के बाहर रहने का जो समय है, उसका अंतराल भी काफी कम होने की वजह से सब्जियों का मूल्य काफी कम हो गया है. परवल, करेला, भिंडी जैसी प्रमुख सब्जियों का मूल्य 15 रुपये प्रति किलोग्राम है. जबकि खीरा, नेनुआ, कटहल 10 रुपये प्रति किलोग्राम, कद्दू प्रति पीस 20 रुपया रहता था, जबकि अब 10 रुपये में भी लेने वाला कोई नहीं है.
क्या कहते हैं किसान
दुमका के गांधी मैदान में सब्जी बेच रहे किसानों ने बताया कि काफी ऊंची कीमत पर बीज लेकर उसमें खाद और सिंचाई की व्यवस्था कर हमने यह सब्जियां उपजाई है. लेकिन आज जब इसे बेचने का वक्त आया तो जैसे तैसे बेचना पड़ रहा है. उनका कहना है कि लागत मूल्य भी नहीं उठ रहा. लेकिन सब्जियों को रखने की कोई व्यवस्था नहीं है, इसे रखा तो नहीं जा सकता. प्रशासन से अब तक इस संबंध में किसी तरह की मदद नहीं की गई है, इसको लेकर उनमें मायूसी है.
सब्जी व्यवसायी भी हैं परेशान
सब्जी के दाम कमी होने से सिर्फ सब्जी उत्पादक किसान ही नहीं बल्कि वैसे लोग भी परेशान है जो सब्जी का व्यवसाय कर अपनी आजीविका चलाते हैं. उन्होंने बताया कि सब्जी बेचकर पहले हम जहां 400 से 500 रुपए कमाते थे. अभी एक सौ से डेढ़ सौ रुपये कमाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
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जिला प्रशासन करे मदद
जिस तरह सब्जी उत्पादक किसानों और व्यवसायियों को परेशानी हो रही है. यहां जिला प्रशासन को चाहिए कि वह सब्जियों का उचित मूल्य तय करें जिससे किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य प्राप्त हो.