दुमका: जिले के शिक्षा विभाग में दो क्लर्क की फर्जी नियुक्ति और उनकी ओर से 49 लाख 53 हजार की अवैध निकासी का मामला तूल पकड़ने लगा है. जांच में पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी धर्मदेव राय और वर्तमान जिला शिक्षा पदाधिकारी पूनम कुमारी की भी संलिप्तता सामने आई है.
इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दुमका उपायुक्त राजेश्वरी बी ने सरकार को पत्र लिखा है, साथ ही फर्जी नियुक्ति और अवैध राशि निकासी मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारी मनोज कुमार साह और संतोष मंडल के खिलाफ नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराया गया है. इस प्राथमिकी में डीईओ कार्यालय के दो क्लर्क मो. इफ्तिखार और शशिभूषण श्रीवास्तव का भी नाम शामिल है. इन दोनों पर फर्जी नियुक्ति और फर्जी निकासी में सहयोग करने का आरोप है.
क्या है पूरा मामला
2017 में मनोज कुमार साह ने शिक्षा विभाग में दावा किया था कि उसकी नियुक्ति 2002 मे प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय काठीकुंड में हुई है. वहीं संतोष मंडल ने गोपीकांदर प्रखंड के प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय में नियुक्ति का दावा किया है. इस दावे की लिखित पत्र को डीईओ धर्मदेव राय ने अपने हस्ताक्षर से संपुष्ट कर दिया था. इन दोनों ने 2002 से 2017 तक का वेतन लगभग 50 लाख रुपये निकासी कर ली थी. ट्रेजरी में निकासी फाइल पर जिला शिक्षा पदाधिकारी के हस्ताक्षर थे. बाद में यह मामला उजागर हुआ कि दोनों क्लर्क फर्जी है. इसके बाद जांच आगे बढ़ी तो सारा मामला उजागर हुआ.
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उपायुक्त दुमका राजेश्वरी बी ने दी पूरी जानकारी
मामले में उपायुक्त राजेश्वरी बी ने बताया कि फर्जी बहाली और लगभग 50 लाख रुपये की अवैध निकासी करने के दो आरोपी क्लर्क और उनका साथ देने वाले डीईओ ऑफिस के दो लिपिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया है, साथ ही मामले में पूर्व डीईओ धर्मदेव राय और वर्तमान डीईओ पूनम कुमारी दोनों की मिलीभगत सामने आई है. उन्होंने कहा कि सरकार को दोनों पर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है.
मामला ले सकता है राजनीतिक रंग
नगर थाना में इस घोटाले का मामला दर्ज होने के बाद पुलिस हरकत में आ गई है. जिला एसपी अंबर लकड़ा ने बताया कि मामले का अनुसंधान किया जा रहा है और इस पर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है. यहां खास बात यह है कि आरोपी क्लर्क मनोज कुमार साह जिस पर एफआईआर दर्ज हुआ है, वो भारतीय जनता युवा मोर्चा दुमका के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं. भाजपा में कई सालों तक वे काफी सक्रिय रहे हैं. हालांकि शिक्षा विभाग में लिपिक का पद संभालने के बाद ये राजनीति से दूर हो गए थे. अब यह विपक्षी दलों का एक मुद्दा बन सकता है.